बिहार में भविष्य की राजनीति के कई सवालों का जवाब देगा बोचहा उपचुनाव परिणाम, बदल जाएंगे समीकरण?

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा विधानसभा क्षेत्र में भले ही उपचुनाव हो रहे हों, लेकिन इस चुनाव के परिणाम बिहार की राजनीतिक भविष्य से जुड़े कई प्रश्नों के उत्तर भी देगा।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा विधानसभा क्षेत्र में भले ही उपचुनाव हो रहे हों, लेकिन इस चुनाव के परिणाम बिहार की राजनीतिक भविष्य से जुड़े कई प्रश्नों के उत्तर भी देगा।

इस उपचुनाव को लेकर प्रारंभ से ही चर्चा रही है कि इस चुनाव में सभी दल एक-दूसरे के वोट बैंकों पर सेंध लगाने को लेकर पुरजोर कोशिश की है। इस बीच, राजनीतिक दलों द्वारा यहां से उतारे गए प्रत्याशियों ने भी इसे लेकर जमकर पसीना बहाया है। ऐसे में इस चुनाव परिणाम से यह तय होगा कि राजनीतिक दलों को इस रणनीति का कितना फायदा मिला।

हाल के दिनों में देखा जाए तो राजद नेता तेजस्वी यादव की नजर सवर्ण मतदाताओं पर टिकी है। विधान परिषद चुनाव में इस वर्ग के मतदाताओं को रिझाने के लिए उन्होंने सवर्ण प्रत्याशी भी उतारे जिसका लाभ भी उन्हें मिला।

राजद का वोट बैंक एकवाई (मुस्लिम और यादव) मतदाता को माना जाता रहा है, जबकि तेजस्वी इस समीकरण से आगे बढ़ाते हुए राजद को एक टू जेड की पार्टी बताते रहे हैं। इस दांव का भूमिहार बहुल बोचहा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कितना लाभ राजद को मिलता है, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।

यह उपचुनाव भाजपा और एनडीए से कुछ ही दिन पहले बाहर किए गए वीआईपी के लिए भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। भाजपा का दावा है कि उसका जनाधार तमाम जातियों में है। बोवहा में मतदाताओं की बात करें तो मल्लाह मतदाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

यह चुनाव परिणाम यह भी साबित करेगा कि मुकेश सहनी के एनडीए से निकल जाने के बाद मल्लाह मतदाताओं का वोट भाजपा को मिला या नहीं। इससे मुकेश सहनी की सहनी (मल्लाह) वोटों पर पकड़ है या नहीं यह भी साफ हो जाएगा।

इस चुनाव में वीआईपी और राजद दोनों को भूमिहार मतदाताओं से आस जगी है। राजद को उम्मीद है कि बिहार विधान परिषद चुनाव में जिस तरह से राजद के भूमिहार उम्मीदवार जीते हैं उससे भूमिहार वोटरों का झुकाव उसकी तरफ हो सकता है। सहनी को भी मल्लाह के अलावा पासवान वर्ग के मतदाताओं पर आस है।

वैसे, मतदान के बाद ये सभी तीनों दलों अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं। तीनों दलों के नेता सामाजिक समीकरणों के आधार पर जोड़-घटाव कर चुनाव परिणाम को अपनी ओर होने का दावा ठांेक रहे हैं, लेकिन किनके दावे में कितनी सच्चाई है, इसका पता तो 16 अप्रैल को ही चलेगा, जब चुनाव परिणाम आएगा।

वैसे, परिणाम किसी भी दल के पक्ष में आए इतना तय है कि बोचहा का चुनाव परिणाम बिहार के भविष्य की राजनीति से जुडे कई प्रश्नों का उत्तर दे जाएगा।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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