भिवानी-महेंद्रगढ़ में ग्रामीण मतदाताओं में BJP से गहरी नाराजगी, मुश्किल का सबब बनेंगे किसान, पहलवान और जवान!

हरियाणा के भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में ग्रामीण मतदाताओं में बीजेपी से गहरी नाराजगी है। यहां महिला पहलवानों के साथ अन्याय, किसानों की दुर्दशा के साथ अग्निवीर योजना और बेरोजगारी के खिलाफ लोगों का गुस्सा भगवा दल के लिए मुश्किल का सबब बन गया है।

भिवानी-महेंद्रगढ़ में ग्रामीण मतदाताओं में BJP से गहरी नाराजगी
भिवानी-महेंद्रगढ़ में ग्रामीण मतदाताओं में BJP से गहरी नाराजगी
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धीरेंद्र अवस्थी

पूर्व मुख्‍यमंत्री चौधरी बंसीलाल के गढ़ रहे भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में एक तरफ पारा 45 डिग्री को पार कर रहा है तो दूसरी तरफ रोज नई उंचाई छू रहे सियासत के तापमान से भी कोई अछूता नहीं है। इस क्षेत्र के लोगों ने हरियाणा में हुए बड़े आंदोलनों में शिद्दत से भागीदारी की है। जाटलैंड और अहीरवाल के मिश्रण वाले इस क्षेत्र के लोगों का दिल महिला पहलवानों के साथ अन्‍याय पर रोया है। अग्निवीर के खिलाफ युवाओं के गुस्‍से की तपिश भी यहां महसूस की गई थी। किसान आंदोलन में भागीदारी में भी यहां के लोग आगे थे। बेरोजगारों की बारात भी यहां निकल चुकी है। 10 साल से केंद्र और राज्‍य की सत्‍ता में काबिज बीजेपी से यहां का मतदाता कठिन सवाल पूछ रहा है। ग्रामीण मतदाताओं की बहुलता वाले इस लोकसभा क्षेत्र के गावों में बीजेपी की मुश्किलें कहीं ज्‍यादा हैं। बेशक, शहरों में बीजेपी थोड़ी राहत की सांस ले सकती है।

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा के 9 विधानसभा क्षेत्रों में 4 महेंद्रगढ़, नारनौल, अटेली और नांगल चौधरी अहीर बाहुल्य तो लोहारू, चरखी दादरी, बाढड़ा, तोशाम और भिवानी जाट बाहुल्य हैं। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से अनिच्‍छा के बावजूद चौधरी धर्मबीर सिंह को लगातार तीसरी बार उम्‍मीवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने इस बार नया प्रयोग करते हुए अहीरवाल से आने वाले और महेंद्रगढ़ से वर्तमान विधायक राव दान सिंह को प्रत्‍याशी बनाया है। चौधरी धर्मवीर की अनिच्‍छा के बावजूद उन्‍हें टिकट देने पर भी लोग सवाल कर रहे हैं।

यहां लोगों के बीच हर वह सवाल चुनावी मुद्दा है, जो लोगों की जिंदगी से जुड़ा है। जातीय गुणा-भाग भी लोग खूब लगा रहे हैं। चरखी दादरी में रामप्रकाश हलवाई कहते हैं कि धर्मवीर की इच्‍छा न होने के बावजूद उन्‍हें टिकट मिलना ही बीजेपी को यहां भारी पड़ने वाला है। जातीय गणित भी यहां लोगों के पास खूब है। वे कहते हैं कि इस बार 80 प्रतिशत जाट वोट कांग्रेस का है। साथ ही दलित भाईचारे के वोट भी बहुतायत में वह कांग्रेस की तरफ जाने की बात करते हैं। वहीं खड़े राजू धानक इस बात की तस्‍दीक करते हैं।

बीजेपी सांसद माफिया बृजभूषण शरण सिंह से न्‍याय के लिए संघर्ष करने वाली विनेश फोगाट के गांव बलाली के रहने वाले राजू धानक कहते हैं कि हमारे गांव में बदलाव की हवा है। अधिकतर वोट कांग्रेस के पक्ष में जाने वाले हैं। गांव से दूध लाकर शहर में सप्‍लाई करने वाले राजेश दूधिया भी कहते हैं कि हमारे गांव में भी बदलाव की हवा है। लोग कांग्रेस के पक्ष में बात कर रहे हैं। वहीं मिले चौधरी चरण सिंह के साथी रहे और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके धर्मपाल सांगवान दावे से कहते हैं कि अहीरवाल का भी आधा वोट कांग्रेस प्रत्‍याशी रावदान सिंह को मिलने वाला है।


महिला पहलवानों के न्‍याय के संघर्ष में चरखी दादरी के लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। कुश्‍ती को नया मुकाम देने वाली फौगाट बहनों का गांव बलाली यहीं है। किसान आंदोलन का असर भी यहां साफ दिखता है। चंद दिनों पहले भी किसानों ने यहां ट्रैक्‍टर मार्च निकाला है। हरियाणा में हुए सभी आंदोलनों में यहां की खाप पंचायतों का रोल बेहद अहम रहा है। चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के साथ खड़े हो गए हैं। उसका भी असर यहां है। सोमवीर सांगवान खाप के मुखिया भी हैं।

भिवानी शहर में एक चाय की दुकान में सजी चुनावी चौपाल में लोगों के बीच गर्मा-गर्म चर्चा से यहां के सियासी तापमान का अंदाजा लगता है। चुनावी बहस में शामिल सुभाष कहते हैं कि एक छोरे (राहुल गांधी) ने अकेले दम पर कांग्रेस पार्टी को खड़ा कर दिया। यह पार्टी आज मोदी के सामने खम ठोक कर खड़ी है। बीजेपी के फिर सत्‍ता में आने पर संविधान और आरक्षण पर खतरे की बात भी वहां होती है। एससी समाज से आने वाले सुभाष कहते हैं कि वह लंबे समय से बीएसपी को वोट कर रहे हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस के साथ हैं। अनिल और अशोक भी इस चर्चा में भागीदार बनते हुए रोजगार की गंभीर स्थिति की बात करते हुए कहते हैं कि 10 साल किसी भी सरकार के लिए काफी होते हैं।

चुनावी चर्चा में प्रधानमंत्री के भाषणों में गिरते स्‍तर पर बात होती है। सभी कहते हैं कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्‍यक्ति के लिए यह शोभा नहीं देता कि वह किसी पार्टी के भैंस ले लेने या मंगल सूत्र ले लेने जैसी बात करे। यहां एक बात और साफ हो गई कि इस बार दलित भाईचारे में बदलाव की हवा है। अटेली में फलों की दुकान पर सुमित सैनी कहते हैं कि वह तो बीजेपी के समर्थक हैं, लेकिन कांग्रेस-बीजेपी में कड़ी टक्‍कर है। वहीं गन्‍ने का रस बेच रहे मनोज भी कड़ा मुकाबला होने की बात का समर्थन करते हैं। महेंद्र गढ़ में एक होटल के मालिक रवि यादव कहते हैं कि मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस में बराबर का है। क्रांग्रेस प्रत्‍याशी राव दान सिंह की जीत इस पर निर्भर करती है कि भिवानी जिले में उन्‍हें कितना समर्थन मिलता है।

महेंद्रगढ़ शहर में एक हलवाई की दुकान पर बीजेपी की बात होती है। अचानक वहां एक महिला बातचीत में कूदते हुए कहती है कि कांग्रेस की सरकार बन गई तो देश में मुसलमानों का राज आ जाएगा। महिला की बात इसकी तस्‍दीक है कि समाज में किस तरह कट्टरपंथ का जहर भरा गया है और इससे एक छोटा वर्ग प्रभावित भी है, जो खतरनाक है। नारनौल में चौराहे पर एक शू स्‍टोर के मालिक कृष्‍ण सैनी कहते हैं कि यहां बनिया वर्ग का वोट कांग्रेस को जाने वाला है। केजरीवाल को जेल भेजने से यह वर्ग नाराज है। केजरीवाल जब जेल गए थे तो इसके विरोध में यहां एक जुलूस भी निकला था। सैनी समाज से आने वाले कृष्‍ण कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि सीएम नायब सिंह सैनी की वजह से पूरा सैनी समाज बीजेपी की तरफ जा रहा है। वह अपनी बात करते हुए कहते हैं कि उनका वोट तो कांग्रेस के साथ जाएगा। वह कहते हैं कि बीजेपी के पास हिंदू-मुसलमान के अलावा तो कुछ है नहीं। वहीं अमित कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने 10 साल में क्‍या काम करवाए इस पर प्रधानमंत्री बात क्‍यों नहीं करते।


नारनौल में ही डा. भीम सिंह प्रधानमंत्री के भाषणों पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि सुबह से शाम तक पीएम कुछ भी बोलते हैं। कांग्रेस एक भैंस खोल ले जाएगी। महिलाओं का मंगल सूत्र ले लेगी। यह प्रधानमंत्री को शोभा देता है। डा. भीम सिंह कहते हैं कि पीएम ने पद की गरिमा को रसातल में पहुंचा दिया है। ईवीएम में किसी गड़बड़ी की आशंका भी यहां लोगों ने जाहिर की। यहां एक बात और साफ हो गई कि बनिया वर्ग में बीजेपी को समर्थन को लेकर डिवीजन है। भिवानी-महेंद्रगढ़ में अग्निवीर भी बड़ा मुद्दा है। बड़ी मात्रा में यहां के युवा सेना में जाते हैं। जवान, किसान और पहलवान बीजेपी पर कहीं भारी न पड़ जाएं, इसकी चर्चा यहां है।

बीजेपी प्रत्‍याशी धर्मवीर की लोगों से कम कनेक्टिविटी भी यहां एक मसला है। 2019 में भी चौधरी धर्मवीर ने प्रचार तक नहीं किया था। मोदी के चेहरे पर ही उनका बेड़ा पार हुआ था। इस बार वह लोकसभा का चुनाव लड़ने की जगह अपने बेटे के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट चाह रहे थे, लेकिन राव इंद्रजीत की पैरवी पर फिर बीजेपी ने उन्‍हें उतार दिया। कांग्रेस प्रत्‍याशी राव दान सिंह के साथ एक प्‍लस प्‍वाइंट और है कि वह अहीरवाल के महेंद्रगढ़ से विधायक हैं, जबकि जाटलैंड भिवानी जिले में उनका पैतृक गांव है। इसका भी उन्‍हें फायदा मिल सकता है।

भिवानी-महेंद्रगढ़ का समीकरण

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 17 लाख 88 हजार है। इनमें 9 लाख 43 हजार 237 पुरुष और 8 लाख 44 हजार 780 महिलाएं हैं। जाटलैंड भिवानी और चरखी-दादरी जिले में तकरीबन 10 लाख और 7 लाख से ज्यादा मतदाता अहीरवाल के महेंद्रगढ़ जिले में हैं। सबसे अधिक तकरीबन 4 लाख जाट मतदाता यहां हैं। उसके बाद करीब 3 लाख अहीर, 1.50 लाख से ज्यादा ब्राह्मण, 1 लाख से ज्यादा राजपूत और 3 लाख के करीब अनुसूचित जाति के वोटर हैं। जाट और अहीर मिलाकर तकरीबन साढ़े 8 लाख मतदाता हैं, जो कुल वोटर का तकरीबन 50 फीसदी हैं। खाती और कुम्हार की संख्या भी 50-50 हजार से ज्यादा है। पिछले दो चुनावों में अहीर मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई है। शहरी क्षेत्र में बीजेपी का असर है, लेकिन यहां ग्रामीण मतदाता अधिक हैं। ग्रामीण इलाकों में बीजेपी प्रत्‍याशी धर्मवीर का भारी विरोध हो रहा है। इसमें अहीरवाल में आते महेंद्रगढ़ जिले में भी विरोध काफी है।

पिछले दो चुनाव में बड़ी बढ़त धर्मवीर को यहां से मिली है। कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ से ही विधायक राव दान सिंह को उतारकर बीजेपी के इस किले को तोड़ने की कोशिश की है। अटेली, नांगल चौधरी और नारनौल में भी राव दान सिंह की दखल है। जाट बाहुल्‍य भिवानी और चरखी-दादरी जिले में पिछले चुनाव में बढ़त पाने वाली बीजेपी से ग्रामीण क्षेत्र में गहरी नाराजगी है। इसका नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है। जाट मतदाता खुलकर कांग्रेस के साथ है तो दूसरी जातियों में डिवीजन है। पिछड़ी जातियां और दलित समाज सामान्‍यतः साइलेंट है। इनका वोट निर्णायक होगा। सरकार के खिलाफ 10 साल की एंटी-इंकंबेंसी भी है। मुकाबला जबर्दस्‍त है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नजदीकी धर्मवीर को नांगल चौधरी से विधायक और राज्‍य सरकार में सिंचाई मंत्री अभय यादव से भितरघात का भी खतरा है। अभय यादव और राव इंद्रजीत सिंह में छत्‍तीस का आंकड़ा जगजाहिर है।

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