क्या बीजेपी की अंतर्कलह में गई मोहम्मद उमर की जान?

यूं तो राजस्थान में गौरक्षकों का तांडव बेकाबू होकर जारी है और सरकार और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। लेकिन उमर की हत्या के पीछे क्या बीजेपी की अंतर्कलह और वसुंधरा को नीचा दिखाने की साजिश है?

फोटो : सोशल मीडिया
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भाषा सिंह

क्या अलवर में कथित गौरक्षकों और पुलिस की मिलीभगत से हुई मोहम्मद उमर की मौत, बीजेपी की अंदरूनी कलह के कारण हुई? इस नृशंस हत्या को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने सीधे-सीधे पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। इसके बाद पूरे इलाके में ध्रुवीकरण साफ नजर आने लगा है। उमर की हत्या से नाराज मेवों के साथ-साथ अब यादव भी इन हत्याओं के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। राजस्थान में पिछले करीब दो-ढाई वर्षों में गौरक्षा के नाम पर चार हत्याएं हो चुकी हैं। मोहम्मद उमर की हत्या सबसे ताजा मामला है।

नवजीवन को अपनी पड़ताल से पता चला है कि अलवर में इस हत्या और इसमें पुलिस की भूमिका सामने आने के बाद से स्थानीय लोगों में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है। करीब एक महीने से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यहां डेरा डाला हुआ है, क्योंकि बीजेपी सांसद महंत चांदनाथ की मृत्यु के बाद इस संसदीय सीट के लिए उप-चुनाव होने हैं।

यहां से बीजेपी के रामगढ़ से विधायक हैं ज्ञान देव आहूजा, जो खुले तौर पर वसुंधरा राजे के कट्टर विरोधी खेमे के हैं। वसुंधरा सरकार में मंत्री न बनाए जाने पर वह अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और तमाम समितियों से इस्तीफा दे चुके हैं। ज्ञान देव आहुजा संघ के पुराने और वफादार कार्यकर्ता हैं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने में कुख्यात रहे हैं।

यह वही ज्ञान देव आहूजा हैं, जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कंडोम की बरामदगी पर विवादित बयान दिया था। हर मामले पर बयान देकर सुर्खियां बटोरने वाले ज्ञान देव आहूजा, इस पूरे मामले पर आश्चर्यजनक रूप से खामोश हैं। अभी तक इस हत्याकांड के ऊपर न तो ज्ञान देव का कोई बयान आया है और न ही वसुंधरा ने इस पर मुंह खोला है। राज्य सरकार ने पूरी तरह से इस पर चुप्पी साधी हुई है।

इस बीच राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने यह बयान देकर विवाद को और भड़का दिया है कि हर एक घटना को नहीं रोका जा सकता है। जयपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक कुछ गायें बरामद हुई हैं और एक शव रेलवे लाइन पर मिला है। इससे अधिक इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

इस इलाके में यह आम चर्चा है कि वसुंधरा राजे खेमा पिछले कुछ समय से मेवों के भीतर पैठ करके उनके वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था। सामाजिक कार्यकर्ता नूर मोहम्मद ने बताया कि, “अलवर ग्रामीण में मेव समुदाय के बहुत से लोग पिछले दिनों बीजेपी नेताओं से मिले थे। पूरा माहौल ऐसा बन रहा था कि मेव समुदाय के बीच बीजेपी सेंध लगा लेगी। लेकिन दूध का कारोबार करने वाले सारे मेव बीजेपी और संघ के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।”

इस पूरे मामले पर कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के अलवर जिला अध्यक्ष जमशेद खान का कहना है कि संघ और बीजेपी के लोग पूरे इलाके में खौफ पैदा करना चाहते हैं। जमशेद खान कहते हैं कि, “वे पहले गौरक्षकों को आगे करके हत्या करवाते हैं और फिर मरने वालों के खिलाफ मामला भी दर्ज करते हैं। हमला और हत्या गो-पालकों पर हुआ, लेकिन पहला मामला उन्हीं पर गौ-तस्करी का अलवर थाने में दर्ज किया गया। इससे साफ है कि पुलिस खुद कहां खड़ी है। बीजेपी और संघ पूरे इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय में डर पैदा करके चुनाव जीतने की फिराक में हैं।”

मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने इस हत्या में गौ रक्षकों और पुलिस को दोषी मानते हुए राजस्थान की मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है। पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने बताया कि मोहम्मद उमर की हत्या से साफ है कि पूरे इलाके में बीजेपी और संघ नफरत की राजनीति कर रहे हैं औऱ चुनावी मकसद से ध्रुवीकरण करने में जुटे हैं। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज (पीयूसीएल) की राजस्थान ईकाई ने कथित गौ रक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों और गौरक्षकों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है। पीयूसीएल ने कुछ और मांगे भी उठाई हैं, जिनमें प्रमुख ये हैं:

  • 25 लाख नकद और परिवार को जमीन सहित मुआवजा मिले।
  • साहिर को 10 लाख रुपये का मुआवजा और सुरक्षा दिया जाए।
  • रामगढ़ एसएचओ को सेवा से हटाया जाए।
  • एसपी अलवर पर लापरवाही, मामले को रोकने में असफल और दो दिनों तक शव को बरामद नहीं कर पाने के आरोप में निलंबित किया जाए।
  • गृह मंत्री अलवर और भरतपुर जिले में मेव समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए योजना लाए।

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