मध्यप्रदेश में दलबदलुओं के लिए अनदेखी पर बीजेपी नेताओं में असंतोष, उपचुनाव से पहले साम-दाम से लगाम की कोशिश

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी के लिए इस दल-बदल के दौर में अपने पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं के असंतोष को काबू में रखना बड़ी चुनौती है। फिलहाल ऐसा जरूर लग रहा है कि पार्टी ने असंतुष्टों को या तो मना लिया है या उन्हें चेतावनी देकर चुप करा दिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

संदीप पौराणिक, IANS

मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले बीजेपी के भीतर उठ रहे असंतोष के स्वरों ने प्रदेश से लेकर केंद्रीय स्तर तक पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। चुनाव को देखते हुए इन असंतुष्ट स्वरों को काबू में करने की कवायद जारी है। उसी का नतीजा है कि जिन नेताओं के तेवर काफी तल्ख दिख रहे थे, अब वे कुछ शांत पड़ने लगे हैं।

दरअसल मध्यप्रदेश में आने वाले दिनों में 26 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है और बीजेपी इन उपचुनावों में लगभग 24 स्थानों पर दल-बदल करने वालों को ही अपना उम्मीदवार बनाने जा रही है। इसी के चलते बीजेपी के कई पुराने नेता असंतुष्ट हैं और उन्होंने अलग-अलग मौकों पर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर भी की है। इन नेताओं की राय पार्टी की रीति-नीति पर सवाल उठाने वाली रही है।

अगर हम बात देवास जिले के हाटपिपलिया क्षेत्र से विधायक रहे पूर्व मंत्री दीपक जोशी की करें, ग्वालियर के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया की करें या जबलपुर के पाटन से विधायक अजय विश्नोई की करें तो इन सभी ने अपने-अपने तरह से सवाल उठाए और संगठन के सामने चुनौती खड़ी करने की कोशिश की है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इन तीनों नेताओं के अलावा और भी कई जगहों पर कई जिम्मेदार नेताओं ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ रहे लोगों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी।

बीजेपी ने इसके पीछे उनकी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता को वजह बताया है। इस पूरे मामले पर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, महामंत्री संगठन सुहास भगत और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के अलावा कई अन्य नेताओं ने असंतुष्ट नजर आने वालों से हाल में लंबी चर्चा की और असंतुष्टों को भरोसा दिलाया कि सरकार और संगठन में उनके अनुभव और क्षमताओं के अनुसार जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

पार्टी नेताओं में असंतोष की बात पर प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि कार्यकर्ता होने के नाते तमाम लोग उनके पास अपनी बात कहने आते हैं, उन्हें संतुष्ट किया जाता है और संबंधित नेता और कार्यकर्ता भी इस बात को मानते हैं कि जो कहा गया है, वह सही है। लिहाजा, असंतोष जैसी कोई बात नहीं है।

लेकिन प्रदेश के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि बीजेपी के लिए इस दल-बदल के दौर में अपने पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं के असंतोष को काबू में रखना बड़ी चुनौती है। सत्ता और संगठन इसके लिए जरूर प्रयासरत है, मगर सफलता कितनी मिलती है, यह तो समय ही तय करेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा जरूर लग रहा है कि पार्टी ने असंतुष्टों को या तो मना लिया है या उन्हें चेतावनी देकर चुप करा दिया गया है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia