चुनाव आयोग ने अजित गुट को माना असली NCP, शरद पवार को पार्टी के नाम के लिए देने होंगे 3 विकल्प
चुनाव आयोग ने कहा कि 6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई और पार्टी संविधान और संगठनात्मक और विधायी बहुमत के परीक्षण के बाद ही आयोग ने एनसीपी में विवाद का निपटारा किया और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया।
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लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। एनसीपी पर दावे के विवाद में चुनाव आयोग ने अजित गुट को ही असली एनसीपी करार दिया है और नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। हालांकि आयोग ने शरद पवार को नई पार्टी के गठन के लिए तीन नाम देने को कहा है। ये नाम बुधवार शाम 3 बजे तक देने होंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि उसने तमाम सबूतों के मद्देनजर और कई सुनवाई के आधार पर ये फैसला लिया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि 6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विवाद का निपटारा किया और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। चुनाव आयोग शरद पवार को अपने नए राजनीतिक गठन के लिए एक नाम का दावा करने और आयोग को तीन प्राथमिकताएं प्रदान करने का एक बार का विकल्प प्रदान करता है। रियायत का उपयोग 7 फरवरी, 2024 को दोपहर 3 बजे तक किया जाना है।
आयोग ने कहा कि प्रतिष्ठित कानूनी टीमों की 10 से अधिक सुनवाई के बाद अजीत पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का नाम और प्रतीक मिला है। निर्णय में ऐसी याचिका की रखरखाव के निर्धारित परीक्षणों का पालन किया गया जिसमें पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण शामिल थे। मामले की इस परिस्थिति में विधायी विंग में बहुमत के परीक्षण को समर्थन मिला, जहां दोनों समूहों को पार्टी संविधान और संगठनात्मक चुनावों के बाहर काम करते हुए पाया गया। इस प्रकार, पद पर रहने वालों को मुख्य रूप से निर्वाचक मंडल के स्व-नामांकित सदस्यों द्वारा नियुक्त और आंतरिक पार्टी लोकतंत्र के विरुद्ध माना गया।
आयोग ने आगे कहा कि संगठनात्मक बहुमत होने के अपने दावे के समर्थन में शरद पवार समूह के दावे में समयसीमा के संदर्भ में गंभीर विसंगतियों के परिणामस्वरूप उनका दावा अविश्वसनीय हो गया। महाराष्ट्र से राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव की महत्वपूर्ण समयसीमा को ध्यान में रखते हुए शरद पवार गुट को चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39एए का पालन करने के लिए विशेष रियायत दी गई है, जो राजनीतिक दलों के अधिकृत एजेंटों को सत्यापन करने की अनुमति देता है। इस प्रकार आयोग ने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए शरद पवार गुट को अपने नए राजनीतिक गठन के लिए एक नाम का दावा करने और आयोग को तीन प्राथमिकताएं प्रदान करने का एक बार का विकल्प प्रदान किया गया है।
यहां बता दें कि पिछले साल अजित पवार ने बगावत करते हुए एनसीपी में दो फाड़ कर दिया था और महाराष्ट्र में बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था। अजित के साथ कई विधायक भी उनके साथ थे। इसके बाद अजित ने अपने गुट को असली एनसीपी बताते हुए पार्टी पर अधिकार का दावा भी किया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी अजिट गुट को असली एनसीपी करार दे दिया था। इस फैसले को शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वहीं अब चुनाव आयोग ने भी अजित गुट को ही असली एनसीपी बताते हुए शरद पवार को बड़ा झटका दे दिया है।
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