असम के पूर्व विधायक समेत चार बड़े नेता कांग्रेस में शामिल, गौरव गोगोई ने कहा- हवा का रुख बदल रहा है

गौरव गोगोई ने कहा कि हर महीने कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहे हैं। ये झलक है कि असम में हवा का रुख बदल रहा है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को यह सबक मिलेगा कि अंत में अहंकार की हार होती है।

असम के पूर्व विधायक समेत चार बड़े नेता कांग्रेस में शामिल, गौरव गोगोई ने कहा- हवा का रुख बदल रहा है
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नवजीवन डेस्क

असम में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुक्रवार को राज्य के एक पूर्व विधायक समेत कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। असम कांग्रेस के अध्यक्ष गौरव गोगोई ने इन सभी नेताओं का पार्टी में स्वागत किया और कहा कि उनकी पार्टी से लोगों के निरंतर जुड़ने से स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में हवा का रुख बदल रहा है। गोगोई ने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को यह सबक मिलेगा कि अंत में अहंकार की हार होती है।

राजधानी दिल्ली में आज गौरव गोगोई, जीतेंद्र सिंह समेक कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में असम गण परिषद के दो नेताओं- पूर्व विधायक बुबुल दास और अशोक कुमार प्रधानी ने कांग्रेस का दामन थामा। उनके अलावा चाय बागान क्षेत्र से जुड़े नेता गौतम धोनोवार और एक अन्य नेता लंकी तबकी भी कांग्रेस में शामिल हुए।


कांग्रेस महासचिव और असम प्रभारी जितेंद्र सिंह ने बताया, ‘‘आज जिस तरह से अमस में हिमंत विश्व शर्मा और बीजेपी की सरकार चल रही है। वो चिंता का विषय है। माफिया राज, जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और असम को लूट रहे हैं। असम की पहचान को खत्म कर रहे हैं।’’ सिंह ने कहा, ‘‘इसी से पीड़ित होकर चार वरिष्ठ नेता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। बुबुल दास जी, अशोक कुमार राय प्रधानी जी, गौतम धानोवार जी डॉ. लंकी तकबी का मैं कांग्रेस में बहुत-बहुत स्वागत करता हूं।’’

इस मौके पर गौरव गोगोई ने कहा, ‘‘हर महीने कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहे हैं। ये झलक है कि असम में हवा का रुख बदल रहा है। हर वर्ग और समाज से लोग कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘असम का युवा बेरोजगारी से त्रस्त है। हमें इसमें परिवर्तन लाना है, तो उद्योग पर ध्यान देना होगा। उद्योग से ही हम बेरोजगारी की समस्या को कम कर सकते हैं। दुख की बात है कि हमारे उद्योग कमजोर होते जा रहे हैं। चाय उद्योग लगभग खत्म हो चुका है। हालात ये हैं कि बीजेपी के नेता ही चाय बागान के मालिक बन रहे हैं।
असम में आदिवासियों की 13,000 एकड़ जमीन पर बड़े-बड़े उद्योगपतियों का कब्जा हो गया है।’’

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