यूपी चुनाव नतीजों का गठबंधन पर दिखने लगा असर, अखिलेश के सामने एकता बनाए रखने की चुनौती

लगातार बयानबाजी से गठबंधन की गांठें ढिली पड़ सकती हैं। गठबंधन के विधायकों के बीजेपी के संपर्क में रहने का भी खतरा बना हुआ है। इसके अलावा सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बीजेपी के वरिष्ठ नेता गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ हुए गठबंधन में अब महात्वाकांक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। चुनाव में कामयाबी न मिलने पर हार का दोष एक दूसरे पर मढ़ना शुरू हो गया है। बयानबाजियों का दौर अगर नहीं रूका तो अखिलेश यादव के लिए गठबंधन की एकता बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरएलडी अध्यक्ष जयंत चैधरी, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और महान दल अध्यक्ष केशव देव मौर्य भले ही गठबंधन के साथ 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के दावे कर रहे हों, लेकिन समीक्षा में हार का कारण अपने सहयोगियों को ही मान रहे है। इतना ही नहीं एक-दूसरे पर भितरघात का आरोप भी दबी जुबान से लगा रहे हैं।

राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले डा. मसूद अहमद ने कहा है कि गठबंधन चुनाव इसलिए हारा क्योंकि अखिलेश यादव अति उत्साह में यह मान चुके थे कि वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। नतीजा उल्टा आया। उन्होंने कहा कि गठबंधन अति आत्मविश्वास, सीटों के बंटवारे को लेकर ऊहापोह और टिकटों के वितरण में घालमेल के कारण हारा है। गठबंधन में एका नहीं था और उसके घटक दलों में दूरी बनी रही। जयंत चैधरी जो सीटें मांग रहे थे, उन्हें नहीं मिली।


डा. मसूद अहमद ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले चरण के बाद आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कहीं मंच साझा करते नहीं दिखे। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, उससे दलित बीजेपी की ओर चले गए। रालोद के कई स्थानीय नेता भी दबी जुबान से पार्टी के जनाधार वाली सीटें सपा के लिए छोड़े जाने पर नाराजगी जता रहे हैं।

सपा गठबंधन में महान दल, जनवादी पार्टी और रालोद पहले ही थे। इसके बाद इसमें ओमप्रकाश राजभर का दल भी शामिल हो गया। फिर बीजेपी छोड़कर आए स्वामी प्रसाद मौर्या भी शामिल हो गये। इसके बाद महान दल के मुखिया को इनको सपा से मिल रही अहमियत रास नहीं आयी तो उन्होंने निशाना साधना शुरू कर दिया।

सपा गठबंधन में शामिल महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने हार के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य पर ठीकरा फोड़ दिया है। चुनाव से ठीक पहले योगी कैबिनेट छोड़कर सपा में आए स्वामी मौर्य को लेकर केशव देव ने कहा कि उनका आना बीजेपी की साजिश का हिस्सा भी हो सकता है। स्वामी प्रसाद मौर्य खुद तो ओवरकॉन्फिडेंस में थे ही, सपा के दूसरे नेताओं को भी उन्होंने ओवरकॉन्फिडेंस में ला दिया। उन्होंने कहा कि सपा के प्रत्याशियों की ओर से महान दल के कैडर का कम इस्तेमाल किया गया। उस वोट पर सपा का फोकस कम था।


लगातार ऐसी बयानबाजी से गठबंधन की गांठें ढिली पड़ सकती हैं। गठबंधन के विधायकों के बीजेपी के संपर्क में रहने का भी खतरा बना हुआ है। इसके अलावा सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बीजेपी के वरिष्ठ नेता गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। हालांकि इस बात का उन्होंने खंडन किया है और अगला लोकसभा चुनाव सपा के साथ लड़ने का एलान किया है। इस स्पष्टीकरण के बावजूद राजनीतिक गलियारों में उनको लेकर तरह-तरह की चचार्एं थम नहीं रही हैं।

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