मध्य प्रदेशः उमंग सिंघार ने लगाया विधानसभा चुनाव में 'वोट चोरी' का आरोप, 27 सीट की डिटेल्स के साथ खोली पोल
उमंग सिंघार ने कहा कि राज्य में मतदाताओं की मुख्य सूची जारी होने के बाद 16 लाख वोट बढ़े। इस तरह दो माह में हर एक सीट पर 10 हजार वोट बढ़ गए। यह अंतर इन सीटों पर कांग्रेस की हार के अंतर से कहीं ज्यादा है।

देश के कई राज्यों में मतदाता सूची में गड़बड़ी के खिलाफ विपक्षी दलों के आरोपों के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज आरोप लगाया कि बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए विधानसभा चुनाव में राज्य की 27 सीटों पर वोट चोरी हुई। उन्होंने सीटों की डीटेल्स के साथ बताया कि इन सीटों पर कांग्रेस जितने वोटों से हारी उससे कहीं ज्यादा वोटरों की संख्या में इजाफा हुआ था।
मतदाता वृद्धि हार के अंतर से बहुत अधिक
उमंग सिंघार ने एक संवाददाता सम्मेलन में डेटाबेस-आधारित ग्राफिक्स और आंकड़ों के जरिए यह दावा भी किया कि चुनाव से कुछ महीने पहले लाखों मतदाता जोड़े गए और जिन क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवार कम अंतर से हारे, उनमें मतदाता वृद्धि हार के अंतर से बहुत अधिक पाई गई। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश की 27 से अधिक सीट पर वोट चोरी हुई और बीजेपी को अनैतिक लाभ देने के लिए ऐसा किया गया।’’
उमंग सिंघार ने मंगलवार को संवाददाताओं से बात करते हुए विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम विवरण पेश किया और 27 विधानसभा क्षेत्रों की तालिका सामने रखी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में 27 निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवार बहुत कम मतों के अंतर से हारे। उन ही इलाकों में मतदाता-वृद्धि हार के मार्जिन से बहुत ज्यादा पाई गई। ऐसा बीजेपी को अनैतिक लाभ देने के लिए किया गया।
प्रतिदिन 26,000 मतदाता जोड़े गए
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि 5 जनवरी से दो अगस्त (सात महीने) 2023 के दौरान मतदाताओं में लगभग 4.64 लाख की वृद्धि दर्ज हुई। इसी तरह दो अगस्त से चार अक्टूबर के बीच महज दो महीने में मतदाताओं में 16.05 लाख की वृद्धि दर्ज हुई, यानी प्रतिदिन 26,000 मतदाता जोड़े जा रहे थे। यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, यह लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी के खुलासे ने देश को झकझोर दिया है। मध्य प्रदेश भी इस सुनियोजित चुनावी षड्यंत्र का बड़ा शिकार हुआ।’’
आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बताया कि 9 जून 2023 को भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि एक जनवरी 2023 से 30 जून 2023 के बीच हुए जोड़-घटाव और संशोधनों को वेबसाइट पर प्रकाशित न किया जाए और न ही किसी के साथ साझा किया जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव से पहले जो सप्लीमेंट्री मतदाता सूची जारी की जाती है, उसमें कितने नाम जोड़े गए और कितने कम किए गए, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। वहीं राजनीतिक दल को जो सूची दी जाती है, वह पांच से सात माह पुरानी होती है।
आरटीआई के जरिये भी डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया
सिंघार ने कहा कि राज्य में मुख्य सूची जारी होने के बाद 16 लाख वोट बढ़े हैं। इस तरह एक सीट पर 10 हजार वोट बढ़े हैं दो माह में। यह अंतर कांग्रेस की हार के अंतर से कहीं ज्यादा है। निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाते हुए नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के दो दिसंबर 2022 के आदेश के अनुसार जिलों को 8,51,564 नकली और डुप्लीकेट प्रविष्टियां हटाने के निर्देश दिये गये थे। किसी भी जिलाधिकारी ने हटाने की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। आरटीआई के माध्यम से भी संबंधित डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया।
नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि चुनाव आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फोटो शामिल न करने के लिए ‘गोपनीयता’ और ‘फाइल साइज’ का बहाना देता है। लेकिन जब सरकार अपनी योजनाओं का प्रचार करती है, तब लाभार्थियों के फोटो और वीडियो बड़े-बड़े पब्लिक डॉक्यूमेंट्स और विज्ञापनों में सार्वजनिक किए जाते हैं। सवाल यह है कि अगर वहां गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता, तो फिर पारदर्शिता के लिए मतदाता सूची में फोटो क्यों नहीं जोड़े जाते? उन्होंने निर्वाचन आयोग से अंतिम सूची को रोकने, अंतिम प्रकाशित सूची पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर लिये जाने और चुनाव पूरा होने तक किसी भी बदलाव पर रोक लगाए जाने की मांग की।
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