कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है- शिवराज सिंह चौहान का सीएम नहीं बनने पर फिर छलका दर्द

मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं मिलने पर चौहान के चेहरे पर निराशा साफ तौर पर पढ़ी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा यार, कई बार राजतिलक होते-होते वनवास भी हो जाता है। लेकिन, वह किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।

शिवराज सिंह चौहान का सीएम नहीं बनने पर फिर छलका दर्द
शिवराज सिंह चौहान का सीएम नहीं बनने पर फिर छलका दर्द
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश चुनाव में अपने नेतृत्व में बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिलाने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का दर्द एक बार फिर बाहर आया है। दरअसल अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी के शाहगंज में एक कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है।

शिवराज सिंह चौहान के इस बयान के सियासी मायने खोजे जाने लगे हैं। राज्य के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत मिला है, उसके बाद मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी चौहान के स्थान पर डॉ. मोहन यादव को सौंप दी गई है। इसके बाद से ही सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है, जिसे समय-समय पर अपने बयान से खुद चौहान हवा देते रहते हैं।


मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं मिलने पर चौहान के चेहरे पर निराशा साफ तौर पर पढ़ी जा सकती है। उनके बयान भी यह जाहिर कर देते हैं। यही बात एक बार फिर सामने आई। उन्होंने कहा, "कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा यार, कई बार राजतिलक होते-होते वनवास भी हो जाता है। लेकिन, वह किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।"

जनता के कल्याण की बात दोहराते हुए चौहान ने कहा, "ये चिंता मत करना। मेरी जिंदगी आपके लिए है, जनता-जनार्दन के लिए है, बेटा-बेटियों के लिए है, मेरी बहनों के लिए है। इस धरती पर इसलिए आया हूं मैं, तुम्हारी जिंदगी से दुख-दर्द दूर करने, आंखों में आंसू नहीं रहने दूंगा, जिंदगी जितनी बेहतर बनेगी, बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। दिन और रात उसके लिए काम करेंगे।"


दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान ने अपने नए बंगला बी-आठ 74 को "मामा का घर" नाम दिया है। दरअसल शिवराज सिंह चौहान की राज्य में पहचान बेटियों के मामा और महिलाओं के भाई के तौर पर है। उन्होंने अपने आवास को "मामा का घर" नाम देकर इसे जाहिर करने की कोशिश की है। हालांकि, शिवराज के इस कदम के भी सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं।

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