जेडीयू के नए अध्यक्ष के सामने चुनौतियों का अंबार, संगठन की मजबूती, घटक दलों से सामंजस्य जैसी परेशानियां कर रही इंतजार

बिहार में सत्तारूढ जनता दल (युनाइटेड) को देखा जाए तो फिलहाल पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है, ऐसे में पार्टी की कमान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे आर.सी.पी. सिंह को सौंपी गई है।

फोटो : सोशल मीडिया
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मनोज पाठक, IANS

बिहार में सत्तारूढ जनता दल (युनाइटेड) को देखा जाए तो फिलहाल पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है, ऐसे में पार्टी की कमान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे आर.सी.पी. सिंह को सौंपी गई है।

जेडीयू के 'बिग बॉस' की भूमिका सिंह कैसे निभाएंगें यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करना और इसका विस्तार सिंह के सामने बड़ी चुनौती होगी।

कहा जा रहा है कि जेडीयू में नीतीश कुमार सर्वमान्य नेता रहे हैं। ऐसे में सिंह कुमार के सामने ही सर्वमान्य नेता की छवि बना पाएंगें इसमें संदेह है। जेडीयू में भी उनके समय के कई कद्दावर नेता हैं, जिनमें पार्टी के नेतृत्व संभालने की भी क्षमता मानी जाती हैं। ऐसे नेता सिंह को कैसे अध्यक्ष स्वीकार करेंगे, यह देखने वाली बात होगी।

इधर, बिहार में सबसे बड़े दल के रूप में रहने वाली जेडीयू आज तीसरे नंबर पर है। जदयू के नेता भी मानते हैं कि जेडीयू संगठन के दूसरे राज्यों में विस्तार और बिहार में मजबूती देने के कारण संगठनकर्ता के रूप में अपनी पहचान बना चुके सिंह को पार्टी का नेतृत्व संभालने का मौका दिया गया है।


जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी बिहार की तर्ज पर अन्य राज्यों में पार्टी के संगठन के विस्तार और उसे प्रभावी बनाने के प्रस्ताव को पारित कर जदयू ने यह संकेत दे दिया है कि पार्टी अब केवल बिहार में ही मजबूत नहीं रहना चाहती।

बिहार के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार कहते भी हैं, सिंह जदयू से लंबे अरसे से जुड़े हैं और संगठन में प्रभावकारी भूमिका निभाते आ रहे हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव और संवाद कौशल जदयु के सांगठनिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

इधर, जदयू के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष दोहरी जिम्मेदारी संभालना चुनौतीपूर्ण हो रहा था। जदयू अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार की सोच के बाद भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रही थी। ऐसे में पार्टी में नई पीढ़ी को स्थान देना और पार्टी के कार्यकतार्ओं में जोश भरने के लिए परिवर्तन जरूरी समझा गया तथा पार्टी की जिम्मेदारी एक सवतंत्र व्यक्ति को दी गई।

उल्लेखनीय है कि जदयू का अध्यक्ष जॉर्ज फर्णाडीस रहे हों या शरद यादव, पार्टी का चेहरा नीतीश कुमार ही रहे हैं। पार्टी के नेता भी रहते हैं कि नीतीश कुमार पार्टी को नई उंचाइयों पर ले गए हैं।

वैसे, देखा जाए तो सिंह को प्रारंभ से ही नीतीश कुमार का उतराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था। सिंह, कुर्मी जाति से आते हैं और नीतीश कुमार के सबसे विश्वासी पात्रों में से एक हैं।


सिंह के लिए अपने गठबंधनों के घटकदलों से सामंजस्य बैठाए रखना भी एक चुनौती माना जा रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने हालांकि यह भी कहा कि सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी और जेडीयू का संबंध और गठबंधन और मजबूत होगा।

बहरहाल, सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद बधाई देने वालों का सिलसिला जारी है, लेकिन देखने वाली बात होगी कि वे अध्यक्ष बनने के बाद आने वाली चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।

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