एनडीए में रहकर भी मोदी सरकार से दूरी बना रहे नीतीश, 4 राज्यों में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला

जेडीयू और बीजेपी के नेता भले ही संबंधों में किसी प्रकार की कटुता से इंकार कर रहे हों, लेकिन जेडीयू के बिहार के अलावा अन्य राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ने और बीजेपी के कई मुद्दों पर अलग राय रखने के बाद इन दो दलों के संबंधों में खटास के कयास लगने लगे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित जेडीयू और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता भले ही संबंधों में किसी प्रकार की कटुता से इंकार कर रहे हों, लेकिन जेडीयू के बिहार के अलावा अन्य राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ने और बीजेपी के कई मुद्दों पर अलग राय रखने के बाद इन दो दलों के संबंधों में खटास के कयास लगने लगे हैं।

वैसे, नीतीश किसी भी गठबंधन में रहे हों, परंतु उनकी राजनीति अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने की रही है। नीतीश की पार्टी जेडीयू जब आरजेडी के साथ महागठबंधन भी थी, तब भी नीतीश ने केन्द्र सरकार की नोटबंदी की तारीफ की थी। तब भी महागठबंधन के साथ नीतीश के रिश्ते को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे, और आज फिर बीजेपी के साथ नीतीश के रिश्तों को लेकर कयासों का दौर गरम है।

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी ने तो बजाप्ता नीतीश को महागठबंधन में आने का न्योता तक दे दिया है। आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं, "केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू एवं कश्मीर में धारा-370 और 35-ए हटाने, राम मंदिर बनाने और सामान आचार संहिता लागू करने के मुद्दे पर नीतीश कुमार क्या करेंगे?" उन्होंने आगे कहा, "नीतीश कुमार को भगवान बीजेपी के खिलाफ चेहरा बनने का एक और मौका दे रहा है और जब नीतीश कुमार इन मुद्दों पर एनडीए छोड़ेंगे, तो आरजेडी उनके साथ मजबूती से खड़ा होगा।"


इसके अलावा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कहा है कि अगर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में आने की सोचते हैं, तो इससे उनको कोई ऐतराज नहीं होगा। गौरतलब है कि नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए के साथ जरूर है, लेकिन उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया है। यही नहीं, जेडीयू महासचिव के. सी. त्यागी ने भी दो दिन पूर्व स्पष्ट कर दिया है कि जेडीयू चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगा।

इस घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए इस निर्णय के लिए धन्यवाद भी दिया है। हालांकि जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। उन्होंने कहा, "वह धन्यवाद देती हैं, ठीक है, परंतु जेडीयू एनडीए में है और आगे भी रहेगा। इसमें किसी को संशय नहीं रहना चाहिए।" आलोक ने कहा, "धन्यवाद से गलतियां कम नहीं हो जातीं। वहां से बिहारियों को भगाया जा रहा है। लगातार हत्याओं का दौर भी चल रहा है।"


आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी बीजेपी को हराने के लिए सभी छोटे और क्षेत्रीय दलों को एकजुट होने को कहा है। उन्होंने नीतीश कुमार के जेडीयू को भी महागठबंधन में आने का न्योता दिया है। बहरहाल, नीतीश के जेडीयू को लेकर कयासों का दौर जारी है और एनडीए में रहकर जेडीयू के बीजेपी विरोध पर लोग अब कहने लगे हैं कि "यह रिश्ता क्या कहलाता है"।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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Published: 11 Jun 2019, 8:30 PM