ओडिशाः पांडियन या प्रधान- कौन बनेगा पटनायक का उत्तराधिकारी

खुद को ‘ओडिशा गौरव’ का ध्वजवाहक और भगवान जगन्नाथ के ‘कर्ता-धर्ता’ के रूप में स्थापित करने वाले इस कदम को राज्य की सत्ता पर काबिज होने को किसी भी हद तक बेचैन बीजेपी से मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

ओडिशा में पांडियन या प्रधान- कौन बनेगा पटनायक का उत्तराधिकारी
ओडिशा में पांडियन या प्रधान- कौन बनेगा पटनायक का उत्तराधिकारी
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सुजाता आनंदन

जय जगन्नाथ! 

जब 22 जनवरी को प्रस्तावित राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या सुर्ख़ियों में है, नवीन पटनायक के नेतृत्व वाला बीजू जनता दल (बीजेडी) और ओडिशा राज्य सरकार अपना अलग ही हिन्दुत्व कार्ड खेल रहे हैं। यहां जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना का लोकार्पण 17 जनवरी को तय है जिसमें वैष्णो देवी, कामाख्या मंदिर और शिरडी साईं मंदिर सहित देश भर के 187 प्रमुख मंदिरों के ट्रस्टियों के साथ-साथ तमाम वीआईपी, कॉर्पोरेट दिग्गज और मशहूर हस्तियों को निमंत्रण जा रहा है।

खुद को ‘ओडिशा गौरव’ का ध्वजवाहक और भगवान जगन्नाथ के ‘कर्ता-धर्ता’ के रूप में स्थापित करने वाले इस कदम को राज्य की सत्ता पर काबिज होने को किसी भी हद तक बेचैन बीजेपी से मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। बीजेडी ने 2019 में विधानसभा की 147 सीटों में से 112 जीती थीं लेकिन लोकसभा की 21 में से केवल 12 सीटें ही उसे मिलीं, जबकि बीजेपी ने अपनी संख्या बढ़ाते हुए इसे आठ तक पहुंचा लिया था।

श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना (एसएमपीपी) में पुरी के जगन्नाथ मंदिर के इर्द-गिर्द का विकास शामिल है जिस पर 943 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। इसे मंदिर को एक समय में 15,000 तीर्थयात्रियों के लिए आधुनिक तीर्थ केन्द्र में बदलने की सोच के साथ डिजाइन किया गया है जिसमें कतार प्रबंधन, सामान की स्क्रीनिंग, क्लोकरूम, पेयजल, शौचालय, हाथ-पैर धोने की सुविधाएं, सूचना-सह-दान कियोस्क, आश्रय मंडप, मल्टी लेवल कार पार्किंग, पुलिस, अग्निशमन और आपातकालीन वाहनों को समायोजित करने के लिए एक समर्पित शटल-सह-आपातकालीन लेन, एक एकीकृत कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर और स्मारिका की दुकानें शामिल हैं। 

राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अभियान से प्रेरणा लेते हुए ओडिशा सरकार ने 5 जनवरी, 2024 से हर घर से सुपारी और मुट्ठी भर चावल इकट्ठा करने की योजना बनाई है। आश्चर्य नहीं कि इसमें जोर ग्राम पंचायतों पर होगा। हर ब्लॉक मुख्यालय से लोगों को जुटाने और सरकारी खर्चे पर पुरी ले जाने की योजना है। उद्घाटन का सीधा प्रसारण दिखाने के लिए हर पंचायत और ब्लॉक में एलईडी स्क्रीन लगनी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरुआती बजट 4,000 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 4,214 करोड़ हो गया है।

पांडियन बनाम प्रधान 

“अंगुल के धरती पुत्र धर्मेंद्र प्रधान ने जिले के लिए क्या किया?” केन्द्रीय मंत्री के गृह क्षेत्र की एक सार्वजनिक बैठक में यह सवाल वी.के. पांडियन का था। प्रधान ओडिशा में बीजेपी का चेहरा हैं जो पार्टी के जीतने पर खुद को संभावित मुख्यमंत्री मानते हैं। पांडियन रिटायर्ड आईएएस अधिकारी (2000 बैच) हैं, जो  अक्तूबर, 2023 में नौकरी छोड़कर बीजेडी में शामिल हो गए। अब उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है और वह नबीन ओडिशा (एक सरकारी कल्याण योजना) और 5टी (एक परिवर्तनकारी पहल) के चेयरमैन भी हैं।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अत्यंत भरोसेमंद पांडियन ने आगे कहा, “जब बीजू पटनायक केन्द्रीय मंत्री थे, तो वह एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) की इकाई सुनबेड़ा लाए और पारादीप बंदरगाह की स्थापना की। नवीन पटनायक ने केन्द्रीय मंत्री रहते हुए पारादीप में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की रिफाइनरी लाने की पहल की। केन्द्रीय मंत्री बिश्वेश्वर टुडू और जुएल ओराम को एकलव्य विद्यालयों की स्थापना का श्रेय है, जबकि गंजम में तीन केंद्रीय विद्यालय स्थापित करने का श्रेय तत्कालीन केन्द्रीय राज्यमंत्री चंद्रशेखर साहू को जाता है।

उन्होंने ढेंकनाल में भारतीय जनसंचार संस्थान की एक शाखा स्थापित कराने की पहल करने के लिए केन्द्रीय मंत्री के.पी. सिंह देव को भी याद किया। पूछा कि प्रधान बताएं उन्होंने क्षेत्र के लिए क्या किया? पांडियन ने पूछा, “अंगुल, संबलपुर और कटक को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुर्घटनाओं में लगभग 100 लोग मर गए लेकिन इस राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत नहीं हुई, क्यों?


वह कहते हैं: “यह प्रधान ही हैं जो बार-बार कहते हैं कि क्षेत्र के लोगों को नौकरियों की तलाश में पलायन करते देख उन्हें कितना दुख होता है लेकिन कौशल विकास मंत्री होने के बावजूद उन्होंने अंगुल, देवगढ़ और संबलपुर जिलों को कवर करने वाले क्षेत्र में कौशल उन्नयन के लिए एक भी केन्द्र स्थापित करने की पहल क्यों नहीं की? इसका जवाब उनके पास नहीं है!” पूर्व नौकरशाह प्रधान पर अपने तीखे हमलों के साथ एक कुशल राजनेता की तरह अपनी नई भूमिका में जिस तरह रम गए हैं, पर्यवेक्षकों का मानना है कि पांडियन भी खुद को पटनायक के उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।  

हालांकि, बीजेपी तत्काल प्रधान के समर्थन में उतर गई और दावा किया कि उनकी बदौलत ही जिले में पांच केन्द्रीय विद्यालय चल रहे हैं। उन्हें ‘राज्य में पेट्रोलियम क्षेत्र में भारी निवेश’, तालचेर मेडिकल कॉलेज और थर्मल पावर स्टेशन के साथ-साथ एफसीआई (भारतीय उर्वरक निगम) की एक इकाई के लिए भी श्रेय दे डाला।

कुल मिलाकर यही लगता है कि एनडीए के दोनों सहयोगियों के बीच जुबानी जंग अब खासी तेज होती जा रही है।

कांग्रेस की तैयारी 

कांग्रेस ओडिशा में अपने लोकसभा उम्मीदवारों पर जल्द फैसला करने की तैयारी में है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया शरत पटनायक और नवनियुक्त राज्य प्रभारी अजॉय कुमार 28 दिसंबर को नागपुर में कांग्रेस के 139वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के साथ लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं की समीक्षा वाली एक बैठक में शामिल हुए। पटनायक ने संकेत दिया कि राहुल गांधी की ओडिशा से गुजरने वाली पूर्व से पश्चिम भारत न्याय यात्रा से पूर्व कुछ वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में शामिल किया जा सकता है।

दोनों नेता ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों के बीच मतभेद दूर करने, सीट-बंटवारे का तानाबाना मजबूत करने के लिए अगले महीने की शुरुआत में भुवनेश्वर में मिलने वाले हैं। पटनायक ने संकेत दिया कि राज्य में अपनी जगह बनाने को बेचैन वाम दलों, झारखंड मुक्ति मोर्चा और तृणमूल कांग्रेस के साथ बातचीत के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित की जाएगी।


चखना पड़ा अपनी ही दवा का स्वाद

बजरंग दल के दस कार्यकर्ताओं को ‘अपनी ही दवा’ का स्वाद उस वक्त खुद समझ में आ गया जब उन्होंने कुछ मवेशी पश्चिम बंगाल के एक बूचड़खाने ले जा रहे ट्रक रोकने की कोशिश की। ओडिशा में गायों और गोवंश के वध की अनुमति नहीं है लेकिन वध के लिए उपयुक्त प्रमाणित पशुओं को पश्चिम बंगाल ले जाया जा सकता है, जहां गोमांस और भैंसा- दोनों को अनुमति है। हालांकि प्रतिबंध ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाला साबित हुआ है जिसका नतीजा है कि लावारिस जानवर खेतों में घूमते हुए फसलों को नष्ट कर रहे हैं और किसान परेशान हैं।

इसके बावजूद जब बजरंग दल वालों के निगरानी समूह ने एनएच 60 पर लगभग 100 मवेशी ले जा रहे तीन ट्रक रोकने की कोशिश की, तो लाठी और पत्थरों से लैस स्थानीय ग्रामीण उनसे टक्कर लेने आ गए। ग्रामीणों का दूर-दराज के गांवों से लाए गए उन मवेशियों से कोई लेना-देना नहीं था लेकिन शायद इन्हें ले जाने वालों की दुर्दशा के प्रति उनकी सहानुभूति ने उन्हें लामबंद कर दिया। ग्रामीणों ने निगरानीकर्ताओं की ऐसी पिटाई की कि तीन को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ट्रकों के तेजी से निकल जाने और अंधेरे में पहचान न होने के कारण किसी हमलावर की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

वाहनों में अनिवार्य पैनिक बटन

ओडिशा में 2024 से बसों, स्कूल बसों, एम्बुलेंस और अन्य तयशुदा वाहनों में वाहन स्थान ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) और पैनिक बटन अनिवार्य होंगे। एक अधिसूचना के अनुसार, 1 जनवरी, 2024 या उसके बाद इन श्रेणियों में पंजीकृत होने वाले वाहनों को एआईएस-140 मानक वीएलटीडी और पैनिक बटन से सुसज्जित होना अनिवार्य होगा। 2023 या उससे पहले पंजीकृत पुराने वाहनों को 30 जून, 2024 तक ये शर्तें पूरी करनी होंगी। वाहन मालिकों को ओडिशा सरकार द्वारा अनुमोदित उपलब्ध वीएलटीडी निर्माताओं में से कोई भी वीएलटीडी चुनने की छूट होगी। ऐसा करने से विफल रहने वालों को 1 जुलाई, 2024 से  फिटनेस प्रमाणपत्र, स्वामित्व हस्तांतरण, परमिट, राष्ट्रीय परमिट प्राधिकरण और अन्य दस्तावेज से वंचित कर दिया जाएगा। यह सब यात्रियों खासकर महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते वाहनों की ट्रैकिंग और निगरानी के लिए किया  गया है।

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