प्रशांत किशोर ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें, 2026 चुनाव तक टीएमसी की करते रहेंगे मदद

वहीं, पीएम मोदी की घटती लोकप्रियता के बीच यह भी उम्मीद की जा रही है कि प्रशांत किशोर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को रणनीतिक समर्थन प्रदान करेंगे, ताकि वह आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी चेहरा बन सकें।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी बीजेपी के लिए मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं। दरअसल बंगाल में टीएमसी की ऐतिहासिक जीत के सूत्रधार रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब 2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव तक टीएमसी की मदद करते रहेंगे। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि टीएमसी अगले पांच वर्षों में तीन महत्वपूर्ण चुनावों- पंचायत, नगर पालिकाओं एवं निगमों और लोकसभा चुनावों का सामना करेगी।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घटती लोकप्रियता के बीच यह भी उम्मीद की जा रही है कि हाल ही में बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी को विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद जीत दिलाकर तीसरी बार सत्ता में पहुंचने में मदद करने वाले प्रशांत किशोर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को रणनीतिक समर्थन प्रदान करेंगे, ताकि वह केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी चेहरा बन सकें।

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ''इसमें कोई शक नहीं है कि प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। वे जमीनी स्तर पर पहुंचे और पार्टी के लिए रणनीति बनाने से पहले जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश की। परियोजनाएं जमीनी स्तर पर पहुंची हैं और लोगों को इससे फायदा हुआ है।''

टीएमसी नेता ने आगे कहा, ''इसलिए, पार्टी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि प्रशांत किशोर और उनकी टीम अगले पांच वर्षों यानी 2026 के विधानसभा चुनाव तक पार्टी और सरकार के साथ मिलकर काम करेगी। 2024 में लोकसभा चुनाव है और पार्टी चाहती है कि ममता बनर्जी मुख्य विपक्षी चेहरा बनें और किशोर उस पर भी काम करेंगे।''


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ठीक बाद प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीति का काम छोड़कर कुछ अन्य विकल्प तलाशने की इच्छा व्यक्त की थी। 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में 213 सीटें जीता कर टीएमसी का तीसरे कार्यकाल तक पहुंचाने के बाद उन्होंने कहा था, ''मैं बहुत लंबे समय से छोड़ने के बारे में सोच रहा था और एक अवसर की तलाश में था, बंगाल ने मुझे वह मौका दिया।''

प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु में द्रविड मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की जीत में अहम भूमिका निभाई। लेकिन चुनावों के बाद किशोर को टीएमसी अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी के साथ ही ममता बनर्जी और डीएमके प्रमुख स्टालिन के शपथ ग्रहण समारोह समेत कई जगहों पर देखा गया। पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ''प्रशांत किशोर दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों का प्रबंधन नहीं करेंगे, लेकिन वह पार्टी को हर संभव सहायता प्रदान करेंगे।''

यह देखना दिलचस्प होगा कि आई-पीएसी और इसकी नौ सदस्यीय नेतृत्व टीम प्रशांत किशोर के बिना कितनी अच्छी तरह काम कर सकती है और यह कितनी कुशलता से तृणमूल और उसके अन्य क्लाइंट के लिए चुनाव जीत सकती है। नया अनुबंध कहता है कि आई-पीएसी सभी राज्यों के चुनावों में शामिल होगी, जिसमें पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव भी शामिल हैं।

दुआरे सरकार (आपके द्वार पर सरकार) योजना और बांग्ला निजेर मेयेकेई चाये (बंगाल अपनी बेटी चाहता है) जैसे नारे किशोर के कुछ मास्टरस्ट्रोक रहे, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने टीएमसी के पक्ष में अधिक लोगों का झुकाव पैदा करने में सहायता की। किशोर के आउटरीच कार्यक्रमों ने टीएमसी को राज्य भर में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने में मदद की।

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