गुजरात बीजेपी में बगावत: वरिष्ठ नेताओं का आरोप, आलाकमान ने 9 करोड़ में बेचा पार्टी टिकट

गुजरात चुनाव के पहले चरण से पहले ही बीजेपी में बगावत खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि आलाकमान ने 9 करोड़ रुपए लेकर बाहरी उद्योगपति को उम्मीदवार बनाया है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नचिकेता देसाई

गुजरात चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन के आखिरी दिन सत्तारुढ़ बीजेपी में जबरदस्त बगावत खुलकर सामने आ गई। बगावत करने वालों में एक पूर्व मंत्री समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। पूर्व मंत्री रंजीत सिंह झाला के बीजेपी छोड़ने से पार्टी को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।

झाला ने पार्टी आलाकमान पर आरोप लगाया है कि उसने एक बाहरी व्यक्ति धांजी पटेल को सुरेंद्रनगर जिले की वाधवान सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनका कहना है कि पटेल एक उद्योगपति हैं और उन्होंने 9 करोड़ रुपए में पार्टी टिकट खरीदा है। झाला का कहना है कि, “ मैंने अपने लिए पार्टी से टिकट नहीं मांगा था, लेकिन पैसे लेकर किसी बाहरी व्यक्ति को टिकट दिए जाने को मैं सहन नहीं कर सकता।” इस सीट से पहले वर्षा दोषी विधायक थे, लेकिन उनका टिकट काटकर धांजी पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है।

कुछ दिन पहले तक चर्चा थी कि पार्टी प्रवक्ता आई के जडेजा को वाधवान से टिकट मिलेगा, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें भी ठेंगा दिखा दिया गया। जडेजा को पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है, लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। जडेजा का टिकच कटने के बाद उनके समर्थकों ने पार्टी मुख्यालय पर हंगामा भी किया था और अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी भी की थी।

इसके अलावा एक और मौजूदा विधायक जेठाभाई सोलंकी ने भी इस्तीफा दे दिया है। सोलंकी सौराष्ट्र की कोडिनार सीट से विधायक हैं और एक जाना-पहचाना दलित चेहरा है। उन्होंने 2012 में इस सीट पर 63000 वोटों से जीत दर्ज की थी। उनका टिकट भी ऐन मौके पर काट दिया गया है। सोलंकी पार्टी के संसदीय सचिव भी थे, लेकिन उन्होंने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

दरअसल, 9 दिसंबर को होने वाले पहले दौर के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के साथ ही बीजेपी में बगावत खुलकर सामने आ गई है और तमाम विरोध और इस्तीफे हो रहे हैं। वडोदरा में भी आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। छोटा उदयपुर और भरूच जिले की नवसारी, दक्षिण गुजरात की मुहआ, जसदान और सौराष्ट्र के अमरेली इलाके में भी पार्टी नेताओँ के इस्तीफे और विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

बीजेपी ने तीन किस्तों में उम्मीदवारों का ऐलान किया। सबसे पहले 70, फिर 36 और बाद में 28 उम्मीदवारों की सूची सामने आई। इन सूचियों में बीजेपी से नाराज चल रहे पाटीदार समुदाय को खुश करने की कोशिश भी दिखी। इसीलिए पार्टी की तीसरी सूची में 28 में से 15 पटेलों को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया गया।

जिन पटेलों को उम्मीदवार बनाया गया है उनमें पूर्व उद्योग और पेट्रोकेमिकल मंत्री सौरभ पटेल भी शामिल हैं। सौरभ पटेल पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के करीबी हैं। लेकिन इस बार उनकी सीट वडोदरा के अकोटा से बदलकर सौराष्ट्र के बोटाड में कर दी गई है।

जिन लोगों के टिकट कटे हैं उनमें आनंदीबेन पटेल की बहन वासुबेन त्रिवेदी का नाम अहम है, जो जामनगर से दावेदार थे। उनकी जगह वरिष्ठ पार्टी नेता आर सी फालदू को उम्मीदवार बनाया गया है, क्योंकि फालदू जामनगर ग्रामीण से अपना टिकट कटने से बेहद नाराज थे। फालदू की सीट पर बीजेपी ने राघवजी पटेल को टिकट दिया है, जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं।

इतना ही नहीं राज्यमंत्री और हार्दिक पटेल के कटु आलोचक नानूभाई वनानी का भी सूरत से टिकट कट गया है। दरअसल बीजेपी ने सूरत के सभी पांच मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है, क्योंकि सूरत ही पाटीदार आंदोलन का गढ़ रहा था। इस तरह बीजेपी में अब तक करीब 40 सीटों पर विरोध और इस्तीफे के साथ ही बगावत देखने को मिल रही है।

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