हरियाणा में चौधरी बीरेंद्र सिंह का झटका BJP के लिए शुभ संकेत नहीं, 2019 नहीं बनने वाला 2024!

चौधरी बीरेंद्र सिंह के कदम ने हरियाणा में एक नए विमर्श को जन्‍म दे दिया है। यह विमर्श हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर काबिज बीजेपी के लिए 2024 में अपना पिछला रिकार्ड दोहराने की राह में सबसे बड़ा खतरा है। यह बात बीजेपी को भी बखूबी मालूम है।

हरियाणा में चौधरी बीरेंद्र सिंह का झटका BJP के लिए शुभ संकेत नहीं, 2019 नहीं बनने वाला 2024!
हरियाणा में चौधरी बीरेंद्र सिंह का झटका BJP के लिए शुभ संकेत नहीं, 2019 नहीं बनने वाला 2024!
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा की सियासत का बड़ा नाम और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार से बीजेपी के सांसद बृजेंद्र सिंह ने कांग्रेस में शामिल होकर बीजेपी को बड़ा झटका दे दिया है।जल्द ही चौधरी बीरेंद्र सिंह भी आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में होंगे। यह सिर्फ जाट बेल्‍ट तक सीमित न होकर पूरे हरियाणा में बीजेपी के लिए झटका है। 2014 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हुए थे, जिसका बीजेपी ने पूरे हरियाणा में नरेटिव बनाने में जमकर फायदा उठाया था। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीरेंद्र सिंह के कांग्रेस में आने से बीजेपी के लिए संकेत ठीक नहीं हैं। 50 साल से हरियाणा की राजनीति में बड़ा दमखम रखने वाले और बेदाग शख्सियत के मालिक चौधरी बीरेंद्र सिंह के समर्थक पूरे हरियाणा में हैं।

वैसे तो चौधरी बीरेंद्र सिंह हरियाणा में जाटों के दबदबे वाले बांगर बेल्‍ट कहे जाते जींद और इससे लगते क्षेत्र के सबसे बड़े नेता कहे जाते हैं। किसानों के सबसे बड़े नेता सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक कर्मभूमि यही बांगर बेल्‍ट रही है। लेकिन चौधरी बीरेंद्र सिंह के समर्थक पूरे हरियाणा में माने जाते हैं। यह समर्थक इतनी तादाद में हैं कि चुनाव में नजदीकी मुकाबले में निर्णायक हो सकते हैं।

अपनी बेबाक छवि के लिए जाने जाने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार से बीजेपी के सांसद बृजेंद्र सिंह ने टिकट वितरण से ठीक पहले बीजेपी की प्राथमिक सदस्‍यता से इस्‍तीफा देकर हरियाणा में एक नए विमर्श को जन्‍म दे दिया है। यह विमर्श हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर काबिज बीजेपी के लिए 2024 में अपना पिछला रिकार्ड दोहराने की राह में सबसे बड़ा खतरा है। यह बात बीजेपी को भी बखूबी मालूम है।

कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही बृजेंद्र सिंह ने वह सभी मुद्दे उठाए हैं, जो बीजेपी की सबसे कमजोर नस हैं। हरियाणा की सीमा पर अपने हकों के लिए पंजाब के किसान बैठे हैं। हरियाणा में जगह-जगह किसान धरना दे रहे हैं। सरकार की मंशा चुनाव से पहले किसी भी तरह किसान आंदोलन को खत्‍म करने की है। बृजेंद्र सिंह ने इसी पर निशाना साधते हुए बीजेपी से अपने इस्‍तीफे की बड़ी वजह किसान आंदोलन 2.0 को बताया है। उन्होंने कहा कि वह किसानों के आंदोलन को लेकर काफी असहज महसूस कर रहे थे। इससे पहले हुए किसानों के आंदोलन के समर्थन में भी वह खड़े हुए थे।


बृजेंद्र सिंह ने महिला पहलवानों के सवाल को भी नए सिरे से जिंदा कर दिया है। अपने इस्‍तीफे की दूसरी वजह उन्होंने महिला पहलवानों के संघर्ष को बताया है। बृजेंद्र सिंह ने कहा कि अपनी जायज मांगों को लेकर वह सड़कों पर बैठी रहीं। जब उनकी नहीं सुनी गई तो उन्हें अपने मेडल तक सड़क पर रखने पड़े। लेकिन उसके बाद भी उनकी जायज मांगों को नहीं सुना गया। अपने इस्‍तीफे की तीसरी वजह बृजेंद्र सिंह ने केंद्र की अग्निवीर योजना को बताया है। हरियाणा के लिए यह सवाल कितना गंभीर है यह इससे समझा जा सकता है कि सेना का हर दसवां सैनिक हरियाणा से है। अग्निवीर के खिलाफ देश में सबसा बड़ा आंदोलन हरियाणा में हुआ था। इस आंदोलन को खत्‍म करवाने के लिए जिस तरह सरकार की तरफ से युवकों को कैरियर खत्‍म करने की धमकियां दी गई थीं, जिसका आक्रोश आज भी है। बृजेंद्र सिंह ने कहा है कि जब अग्निवीर योजना लागू की गई थी तब भी इसका विरोध किया था। उन्होंने बताया था कि इस योजना का सबसे ज्यादा नुकसान हरियाणा के युवाओं को हुआ है, क्योंकि हरियाणा के हर घर से एक सैनिक बनता है। जन नायक जनता पार्टी के बीजेपी से गठबंधन को भी इस्‍तीफे की एक वजह बृजेंद्र सिंह ने बताया है।

भारतीय जनता पार्टी के लिए चौधरी बीरेंद्र सिंह का यह झटका सामान्‍य नहीं है। चौधरी बीरेंद्र सिंह की शख्सियत ऐसी है कि हरियाणा के हर मुश्किल सवाल पर बीजेपी के सामने वह खड़े होते रहे हैं। दिल्‍ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के समर्थन में जाने वाले बीरेंद्र सिंह हरियाणा बीजेपी के इकलौते नेता थे। गांधी जयंती पर 2 अक्‍टूबर 2023 को बीजेपी को अल्‍टीमेटम देते हुए भी चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बड़ा हमला बोला था। बांगर की धरती जींद में 2 अक्‍टूबर को ‘मेरी आवाज सुनो’ रैली में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी को अल्‍टीमेटम देते हुए कहा था कि यदि जेजेपी के साथ उनका समझौता चलेगा तो बीरेंद्र सिंह उनके साथ नहीं रहेगा।

उन्‍होंने कहा था कि बीजेपी को गलतफहमी हो गई है कि जेजेपी उन्‍हें वोट दिला देगी। इन्‍हें अपनी वोट तो मिलनी नहीं हैं यह बीजेपी को वोट क्‍या दिला देंगे। जेजेपी को महाभ्रष्‍ट करार देते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि जेजेपी ने जितना बड़ा धोखा दिया है इतना बड़ा धोखा तो राजनीति में किसी ने नहीं दिया है। यह हमला जेजेपी के साथ ही सरकार की मुख्‍य घटक बीजेपी पर भी था। जेजेपी के भ्रष्‍टाचार की कहानी सुनाते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि एक व्‍यक्ति ने उन्‍हें बताया कि सीधे चले जाओ तो 8 प्रतिशत कमीशन और यदि किसी के जरिये जाओ तो 10 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है।

अपनी अहमियत बताते हुए कहा था कि मैं बीजेपी को बताना चाहता हूं कि बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत (केंद्रीय मंत्री), रमेश कौशिक (सोनीपत से बीजेपी सांसद), चौधरी धर्मवीर (भिवानी से बीजेपी सांसद) और कृष्‍ण पवार (बीजेपी से राज्‍यसभा सदस्‍य) जैसे बाहर से बीजेपी में आए लोगों की कतार में नहीं है। यदि बीजेपी ने हमें कुछ दिया है तो हमारा भी बीजेपी को सत्‍ता में लाने में योगदान है। किसानों के मसले पर चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी पर जमकर हमले किए थे। उन्‍होंने बीजेपी सरकार से मांग कर दी थी कि देश की धन-दौलत में किसानों का हिस्‍सा तय कर दो। यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश की आर्थिक तरक्‍की के कोई मायने नहीं हैं। आजादी के वक्‍त देश में गरीबी, भुखमरी और किसानों का शोषण होता था। आज भी चीजें आर्थिक नीतियों में खोट के चलते ठीक नहीं हो रही हैं।


किसानों के दर्द को आगे बढ़ाते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि फसलों की कीमत बढ़ाने की मांग पर कहा जाता है कि देश में महंगाई बढ़ जाएगी। हमें 2000 रुपये (किसान सम्‍मान निधि) की खैरात नहीं चाहिए। हमें तो एमएसपी की कानूनी गारंटी देकर हमारी फसलों के दाम बढ़ा दो। यही तो किसानों की आज भी मांग है। बीजेपी में रहते हुए उन्‍होंने इस रैली में गांधी परिवार की जमकर प्रशंसा की थी। उन्‍होंने कहा था कि 42 साल निष्‍ठा से कांग्रेस में काम किया। राजीव गांधी और सोनिया गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि जितना विश्‍वास उनका हमें मिला आज तक हरियाणा में किसी को नहीं मिला। बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि जब मैं मोदी जी से मिलने गया था तो कह दिया था कि राजीव गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ मैं कुछ नहीं कहूंगा। बीरेंद्र सिंह का स्व. राजीव गांधी के प्रति लगाव इस बात से भी सहज समझा जा सकता है कि जींद के उचाना में बने उनके राजीव गांधी कॉलेज में मुख्य दफ्तर से लेकर लाइब्रेरी तक, हर जगह आज भी राजीव गांधी के फोटो लगे हैं।

चौधरी बीरेंद्र सिंह ने साथ ही कहा था कि किसान आंदोलन के वक्‍त बीजेपी का मैं अकेला आदमी था, जो उनके साथ खड़ा था। पहलवान बेटियों के साथ भी खड़ा हुआ। किसानों और बेटियों के साथ खड़े होने पर किसी में हिम्‍मत नहीं थी कि उन पर सवाल उठाए। हरियाणा में यह सिर्फ चौधरी बीरेंद्र सिंह ही थे, जो बीजेपी में रहते हुए ऐसा कर सकते थे और इसके बाद बीजेपी के किसी नेता की जुबान से उनके खिलाफ एक‍ शब्‍द नहीं निकला था। मानो पूरी बीजेपी को सांप सूंघ गया था।

यह आपने आप में तस्‍दीक है कि 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह का बीजेपी को दिया गया झटका सामान्‍य घटना नहीं है। नवजीवन से विशेष बातचीत में जींद के जुलाना से विधायक रहे और बांगर बेल्‍ट को अच्‍छी तरह समझने वाले पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल इस बात की तस्‍दीक करते हुए कहते हैं कि चौधरी बीरेंद्र सिंह का चुनाव से पहले बीजेपी को यह बड़ा झटका है। इसका असर वह पूरे हरियाणा में मानते हैं। बांगर बेल्‍ट में तो वह इसमें बीजेपी का बड़ा नुकसान देखते हैं       

 जनता पार्टी की आंधी में भी जीते थे चौधरी बीरेंद्र सिंह

चौधरी बीरेंद्र सिंह की शख्सियत हरियाणा के बड़े सियासतदानों में एक अलग तरह की है। वर्ष 1977 में जब समूचे उत्तर भारत में जनता पार्टी की आंधी चल रही थी तब भी बीरेंद्र सिंह जींद जिले की उचाना सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। यह बीरेंद्र सिंह का पहला विधानसभा चुनाव था। 1977 के बाद 1982, 1991, 1996 और 2005 में भी बीरेंद्र सिंह जींद की उचाना सीट से ही विधायक चुने गए। 2006 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्‍व वाली हरियाणा सरकार में वह वित्त मंत्री बने। इससे पहले 1982 से 1984 तक भजनलाल सरकार में वह कोऑपरेटिव मंत्री और 1991 से 1993 तक राजस्व मंत्री रहे। 1984 में वह हिसार लोकसभा सीट से ओमप्रकाश चौटाला जैसे दिग्‍गज को हराकर पहली बार सांसद बने। 2010 में कांग्रेस ने उन्‍हें पहली बार राज्यसभा भेजा।

अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में 42 साल कांग्रेस में गुजारने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह ने वर्ष 2014 में बीजेपी ज्वाइन कर ली, जिसके बाद नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में उन्‍हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। 2019 में बीजेपी ने बीरेंद्र सिंह की जगह आईएएस की नौकरी से वीआरएस लेने वाले उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से टिकट दिया और वह चुनाव जीते। बीरेंद्र सिंह ने अपने बेटे के लिए रास्‍ता खोलते हुए राज्‍यसभा से भी इस्‍तीफा दे दिया था।

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