हरियाणा में BJP ने अपने पूर्व दिग्‍गज मंत्री को हाशिये पर क्‍यों डाला? अनिल विज के हाईकमान से सवाल सुर्खियों में

विश्लेषकों की मानें तो अनिल विज की नाराजगी का नुकसान बीजेपी को लोकसभा चुनाव के साथ 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी होने वाला है। कार्यकर्ताओं में इससे संदेश गया है कि जब इतने दिग्‍गज मंत्री के साथ यह हो सकता है तो आम कार्यकर्ताओं की कौन सुनेगा।

हरियाणा में BJP ने अपने पूर्व दिग्‍गज मंत्री को हाशिये पर क्‍यों डाला?
हरियाणा में BJP ने अपने पूर्व दिग्‍गज मंत्री को हाशिये पर क्‍यों डाला?
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में महज सवा महीने पहले (12 मार्च) तक दिग्‍गज मंत्री रहे अनिल विज को बीजेपी ने अकेला छोड़ दिया है? गब्‍बर के नाम से मशहूर गृह और स्‍वास्‍थ्‍य जैसे अहम मंत्रालय संभालते रहे अनिल विज को इस तरह छोड़ देना पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बन गया है। अनिल विज डंके की चोट पर कुछ बातें कह रहे हैं, जो बड़ी हैं। वह कह रहे हैं कि सीएम बदल दिया और मुझे पहले बताया तक नहीं। वह बुलंद आवाज में कह रहे हैं कि आज हरियाणा में बीजेपी जहां भी खड़ी है, वह सिर्फ मेरी वजह से है। यह बातें कह वह न सिर्फ राज्‍य नेतृत्‍व को उसकी हैसियत बता रहे हैं बल्कि केंद्रीय नेतृत्‍व से सीधा सवाल भी पूछ रहे हैं, लेकिन बीजेपी में खामोशी है। मोदी युग में बीजेपी में रहकर कोई इस तरह बात करे यह सामान्‍य नहीं है। यह इस बात की भी तस्‍दीक है कि बीजेपी में सब कुछ सामान्‍य नहीं है।

अनिल विज पूर्व मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में अकेले मंत्री थे, जिनकी काम करने की शैली के प्रशंसक विरोधी भी थे। 12 मार्च को हुए हरियाणा की सरकार में बदलाव के बाद उसी मंत्री को हाशिये पर डाल देने को कोई पचा नहीं पा रहा है। अकेले छोड़ दिए गए अनिल विज खुल कर बात कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि 2014 का चुनाव बीजेपी उनकी वजह से जीती थी। उससे पहले मैंने ही 5 साल लड़ाई लड़ी। मैंने ही बीजेपी को जिंदा रखा। मैंने ही कहा था कि हमें अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। मैं अकेला था इस मामले में, जिसने यह आवाज उठाई थी। हाईकमान ने मेरी बात मानी।

वह कह रहे हैं कि साल 2014 में भी जब मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया था तब भी उन्हें नहीं मालूम था कि सीएम कौन होगा। जिसका नाम बताया गया, सभी ने मान लिया। दोबारा मनोहर लाल को सीएम बनाने और हटाने के बारे में भी उन्हें कुछ नहीं पता था। वह कह रहे हैं कि मैंने कभी सीएम बनने की इच्‍छा नहीं पाली, लेकिन जब वह यह कहते हैं कि मैं 6 बार का विधायक हूं। सबसे सीनियर हूं, तब वह यह साफ कर रहे होते हैं कि मुख्‍यमंत्री पद पर स्‍वाभाविक दावा उनका था। बीजेपी को मैंने खड़ा किया और सीएम पद पर किसी और को थोप दिया गया। वह सीधे-सीधे हाईकमान से सवाल कर रहे होते हैं कि उनके साथ यह नाइंसाफी क्‍यों की गई।

बीजेपी में सबसे सीनियर होने की धमक उन्‍होंने गृह मंत्री रहते साढ़े चार साल दिखाई भी खूब। वह कहते हैं कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने के बाद तो उन्हें बिल्कुल भी नहीं पता था कि सीएम बदला जाना है। यह अनुभव बम शैल गिरने जैसा था। 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा में पूर्ण बहुमत न मिलने के सवाल पर वह इसका ठीकरा पूर्व मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर फोड़ते हैं। वह कहते हैं कि इसका जवाब तो मुखिया (उस वक्‍त के मुख्यमंत्री) ही दे सकते हैं। यह बात कहने वाले अनिल विज अकेले नहीं है। 2019 के चुनाव में हारे दिग्‍गज कैप्‍टन अभिमन्‍यू (पूर्व वित्‍त मंत्री), राम बिलास शर्मा ( पूर्व शिक्षा मंत्री) और ओपी धनखड़ (पूर्व कृषि मंत्री) भी इशारों-इशारों में कहते रहे हैं। यह तथ्‍य है कि ये सभी हरियाणा में मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार थे। इनके हारने के बाद यह माना गया था कि मनोहर लाल खट्टर की राह के सभी कांटे साफ हो गए हैं।


अनिल विज गंभीर सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि मैं हरियाणा में सबसे सीनियर विधायक हूं। मैं 6 बार का एमएलए हूं। मैं सबसे सीनियर था, इसके बावजूद मुझसे सीएम बदलने की बात छिपाई गई। मुझे इसका दुख हुआ। शायद दूसरे विधायकों, मंत्रियों को पता हो कि सीएम बदला जा रहा है। वह कहते हैं कि मनोहर लाल को सब कुछ पता था। यह पूरा खेल उन्हीं का था। उस दिन (12 मार्च) मुख्यमंत्री की गाड़ी में बैठकर मैं गवर्नर हाउस त्याग-पत्र भी देने गया था। तब भी उन्होंने नहीं बताया। पता नहीं क्या हुआ है? क्यों बदला है? कहां डिसाइड हुआ है? किन लोगों ने तय किया है? क्या आवश्यकता थी? यह तो वही बता सकते हैं। मुझे कोई जानकारी नहीं थी। मुझे पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया। मुझे सिर्फ यही बताया गया कि आज गठबंधन तोड़ना है।

अनिल विज यह कहते हुए सीधे हाईकमान पर सवाल उठा रहे हैं। यह बात वह लगातार कह रहे हैं। उस दिन (12 मार्च को) चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बीच में छोड़कर जाने की बात पर अनिल विज कहते हैं कि बात सिर्फ ये थी कि उन्होंने मेरे साथ शेयर नहीं किया था। जब आप लोगों को मेरे पर भरोसा ही नहीं है तो आपके साथ बैठकर काम करना आसान नहीं है। जब भरोसा ही नहीं है तो मुश्किल है। मैं यह कहकर बाहर निकल आया था। मैं इस कैबिनेट में शामिल नहीं होऊंगा।

उन्‍हें (अनिल विज) डिप्टी सीएम बनाने की बात पर कहते हैं कि मुझे किसी ने कोई बात शेयर नहीं की थी। न ही किसी ने मुझे कुछ बताया था। जब आप इतना बड़ा डिसीजन ले रहे हो और आप अपने करीबी से शेयर नहीं कर रहे हो तो इसका मतलब ये था कि आपको हमारे पर विश्वास नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान दूरी पर विज कहते हैं कि पीछे इतनी बड़ी घटना हुई और मुझसे किसी ने बात तक नहीं की। इसका मतलब ये है कि मैं छोटा सा आदमी हूं। मैं एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं। मेरी यही हैसियत है। मैं खुद को अंबाला कैंट तक सीमित रखूंगा। विज साफ तौर पर कहते हैं कि वह अपनी अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र के अलावा कहीं भी चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। वह कहते हैं कि अब मेरे साथ जो हुआ, मुझे समझ में आ गया है। इसलिए मैं अब यहीं रहूंगा।

विज ने पार्टी की गतिविधियों से पूरी तरह किनारा कर लिया है। वह चंडीगढ़ सीएम आवास पर दी गई डिनर पार्टी में भी नहीं गए। हरियाणा चुनाव प्रभारी और राजस्‍थान बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष सतीश पूनिया की मौजूदगी में पंचकूला में हुई अंबाला लोकसभा चुनाव की मीटिंग में भी नहीं गए। इससे पहले गुरुग्राम में चुनाव प्रभारी की मीटिंग में भी नहीं पहुंचे। मीटिंग में न जाने के सवाल पर वह कहते हैं कि मीटिंग में बड़े लोग जाते हैं। मैं तो छोटा सा कार्यकर्ता हूं। लेकिन पूर्व मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल पर हमले का वह कोई अवसर नहीं छोड़ रहे। वह कहते हैं कि मैंने कभी मंत्री बनने की भी नहीं सोची, लेकिन लोग डिपार्टमेंट लेने के लिए महीना-महीना दिल्ली बैठे रहे। मैं तो कहीं नहीं गया। साल 2014 में भी और साल 2019 में भी हमारी सरकार बनी। दोनों बार सब लोग दिल्ली बैठे थे। मैं अपने घर अंबाला बैठा था।


खट्टर के अनिल विज नाराज होते रहते हैं, के बयान पर व्‍यंग करते हुए वह कहते हैं कि अब खट्‌टर साहब के अपने दायरे हैं। उनके अपने जानकारी देने वाले लोग हैं। अब वे उनको क्या जानकारी देते हैं, क्या नहीं, मुझे तो मालूम नहीं। वह क्या कहते हैं, किस आधार पर कहते हैं, मुझे मालूम नहीं। इस बीच अनिल विज के भाई कपिल विज की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने खलबली मचा दी। उन्‍होंने लिखा कि मेरा आज किसी भी राजनीतिक दल से कोई वास्ता नहीं है। सवाल यह है कि यह ट्वीट कहीं अनिल विज की इजाजत से तो नहीं किया गया है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो अनिल विज की इस हालत का नुकसान बीजेपी को लोकसभा चुनाव के साथ ही 5 महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी होने वाला है। कार्यकर्ताओं में इससे संदेश गया है कि जब इतने दिग्‍गज मंत्री के साथ यह हो सकता है तो आम कार्यकर्ताओं की कौन सुनेगा।

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