रक्त कैंसर का कारण बन सकते हैं हेपेटाइटिस-बी और सी वायरस, शोध में चौंकाने वाले खुलासे

मल्टिपल मायलोमा बीमारी के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि लंबे समय से इसके संक्रामक रोगजनकों से संबंधित होने का संदेह है, लेकिन इस संबंध को कभी भी सत्यापित नहीं किया गया है और कारण को समझा नहीं गया है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS
user

आईएएनएस

हेपेटाइटिस-बी और सी वायरस रक्त के सबसे आम कैंसर 'मल्टिपल मायलोमा' का कारण बन सकते हैं। यह बात एक शोध में सामने आई है। यह शोध घातक बीमारी के उपचार का नया विकल्प खोलता है। यह खोज एक मरीज पर आधारित है, जो कुछ साल पहले हेपेटाइटिस-सी के इलाज के बाद मल्टिपल मायलोमा से ठीक हो गया था। इस मरीज ने स्पेनिश शोधकर्ताओं की एक टीम को हैरान कर दिया था।

मल्टिपल मायलोमा बीमारी के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि लंबे समय से इसके संक्रामक रोगजनकों से संबंधित होने का संदेह है, लेकिन इस संबंध को कभी भी सत्यापित नहीं किया गया है और कारण को समझा नहीं गया है।

हॉस्पिटल 12 डी ऑक्टुब्रे (एच12ओ) और मैड्रिड स्पेन में नेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर (सीएनआईओ) की टीम ने पाया कि एंटीवायरल के साथ संक्रमण को खत्म करना अक्सर इस प्रकार के कैंसर से लड़ने का तरीका है।


टीम ने हेमेटोलोगिका पत्रिका में एक संपादकीय में लिखा, ''वायरल हेपेटाइटिस और मल्टिपल मायलोमा के साथ-साथ मायलोमा मोनोक्लोनल गैमोपैथियों की मौजूदगी से पहले ज्ञात विकार के बीच इस संबंध की मान्यता के महत्वपूर्ण सार्थक प्रभाव हैं।''

उन्होंने कहा, "इन व्यक्तियों में हेपेटाइटिस-बी या सी वायरस संक्रमण की शीघ्र पहचान से उचित एंटीवायरल उपचार हो सकता है और परिणामस्वरूप परिणामों में सुधार हो सकता है।"

मल्टिपल मायलोमा (एमएम) रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक प्रसार है जो एंटीबॉडी (इम्यूनोग्लोबुलिन भी कहा जाता है) बनाते हैं, प्रोटीन जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं।

मायलोमा में संक्रामक एजेंट के आधार पर प्रत्येक मामले में अलग-अलग एक निश्चित एंटीबॉडी लगातार पैैैदा होती है। सिद्धांत का प्रस्ताव है कि यह अनियमित संक्रामक के लगातार संपर्क के कारण होती है जो उस विशिष्ट एंटीबॉडी के उत्पादन में शामिल जैव रासायनिक संकेतों को बदल देती है।

हेपेटाइटिस-सी के इलाज के बाद मायलोमा से ठीक हुए मरीज का मामला इस सिद्धांत का समर्थन करता है।

टीम ने अनुमान लगाया कि शरीर अब लंबे समय तक हेपेटाइटिस वायरस के संपर्क में नहीं रहा, क्योंकि एंटीवायरल दवा ने इसे खत्म कर दिया और यही कारण है कि मायलोमा ने उन कोशिकाओं को गायब कर दिया जो एंटी-हेपेटाइटिस-सी एंटीबॉडी बनाते हैं।


यह जांचने के लिए कि क्या वास्तव में ऐसा हुआ था, दो अध्ययन किए गए, जिनमें प्रारंभिक अध्ययन में मोनोक्लोनल गैमोपैथी और हेपेटाइटिस के 54 रोगियों, हेपेटाइटिस सी के 9 रोगियों और हेमेटोलॉजिका में प्रकाशित अध्ययन में हेपेटाइटिस-बी के 45 रोगियों को शामिल किया गया। उनमें से अधिकांश ने पाया कि जिस एंटीबॉडी का वे लगातार और अत्यधिक उत्पादन कर रहे थे वह वास्तव में हेपेटाइटिस वायरस को लक्षित कर रहा था। इसके बाद उन्होंने हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस- सी (1,200 से अधिक) से संक्रमित मल्टिपल मायलोमा रोगियों (1,300 से अधिक) के एक व्यापक समूह का विश्‍लेषण किया।

दोनों समूहों में उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि जिन लोगों को एंटीवायरल उपचार प्राप्त हुआ, उनमें "जीवित रहने की संभावना काफी अधिक थी"।

शोधकर्ताओं ने कहा, "हेपेटाइटिस-बी या हेपेटाइटिस-सी वायरस से संक्रमित रोगियों में मल्टिपल मायलोमा या गैमोपैथी इन वायरस के कारण हो सकता है और अध्ययन इन रोगियों में एंटीवायरल उपचार के महत्व को दर्शाता है।"

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia