कोरोना और लॉकडाउन के दौरान रैनसमवेयर भारतीयों के लिए रहा सबसे बड़ा खतरा, क्रिप्टो घोटाले में भी उछाल

साइबर अपराधियों ने लॉकडाउन के दौरान मोबाइल स्क्रीन पर आंख गड़ाए रखने की लोगों की आदत का फायदा उठाना जारी रखा। नतीजतन, 2021 में घोटाले को फैलाने के लिए रैंसमवेयर भारतीयों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

साइबर अपराधियों ने लॉकडाउन के दौरान मोबाइल स्क्रीन पर आंख गड़ाए रखने की लोगों की आदत का फायदा उठाना जारी रखा। नतीजतन, 2021 में घोटाले को फैलाने के लिए रैंसमवेयर भारतीयों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी घोटाले हुए। यह बात बुधवार को एक नई रिपोर्ट में कही गई। साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को निशाना बनाने वाले रैंसमवेयर हमलों में 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी। उन्होंने पाया कि 2021 के अंतिम पांच महीनों की तुलना वर्ष के पहले पांच महीनों से की गई, जिसमें भारत के लिए यह संख्या 65 प्रतिशत है।

वैश्विक सुरक्षा कंपनी अवास्ट के अनुसार, एडवेयर और फ्लीसवेयर मोबाइल पर शीर्ष खतरों में से थे। अवास्ट में थ्रेट इंटेलिजेंस के निदेशक मीकल सलात ने कहा, "महामारी ने हर किसी के जीवन के लगभग हर पहलू को बदल दिया है और इसमें साइबरवर्ल्ड भी शामिल है।"

सलात ने कहा, "हमलावरों के तरीके और अधिक परिष्कृत होते जा रहे हैं। साइबर अपराधी जिन तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, वे उन्हें अधिक व्यक्तिगत साइबर हमलों को अंजाम देना मुश्किल बना देती हैं, इसलिए वे आजमाई हुई और परखी हुई तकनीकों पर नए स्पिन भी जोड़ रहे हैं, खासकर सोशल इंजीनियरिंग से जुड़े हमलों जैसे घोटालों में।"


वैश्विक स्तर पर व्यवसाय जगत ने भी जून-अक्टूबर की अवधि के दौरान हमलों की संख्या में 32 प्रतिशत की वृद्धि का अनुभव किया। हालांकि, भारत के लिए यह संख्या वैश्विक औसत से कम, महज 19 फीसदी थी। सामान्य तौर पर, 2021 के दौरान फिशिंग हमलों में वृद्धि जारी रही।

फिशिंग घोटाले का सामना करने वाले व्यवसायों की संभावना वर्ष के अंतिम पांच महीनों में विश्व स्तर पर 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है, लेकिन भारत में बहुत कम, मात्र 13 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है, "उपभोक्ताओं को भी फिशिंग घोटालों का निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वैश्विक (24 प्रतिशत) और भारत (23 प्रतिशत) के आंकड़े लगभग समान हैं।"

इस साल, क्रिप्टोकरेंसी से मुनाफा कमाने या खनन करने के उद्देश्य से कई तरह के नए खतरे बताए गए। दुनियाभर के कई देशों को प्रभावित करने वाले कुछ मुख्य कारक थे क्रैकोनोश और ब्लूस्टीलर।

क्रैकोनोश और ब्लूस्टीलर के अलावा, शोधकर्ताओं को क्रिप्टोकरेंसी चोरी करने वाले मैलवेयर का भी पता चला, जिसे एक टेलीग्राम चैनल हैकबॉस के माध्यम से वितरित किया गया था, जिसने पीड़ितों से 560,000 डॉलर से अधिक की चोरी की थी।

शोधकर्ताओं को सितंबर में 19,300 से अधिक ऐसे एंड्रॉइड ऐप का पता चला, जो संभावित रूप से फायरबेस डेटाबेस के गलत कॉन्फिगरेशन के कारण उपयोगकर्ता के डेटा को उजागर करते थे- एक एंड्रॉइड टूल, जिसका उपयोग डेवलपर उपयोगकर्ता के डेटा संग्रहीत करने के उद्देश्य से कर सकते हैं।


इसने दुनिया भर के क्षेत्रों में जीवनशैली, फिटनेस, गेमिंग, भोजन वितरण और मेलिंग ऐप्स सहित विभिन्न ऐप्स की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रभावित किया।

सलात ने कहा, "साइबर अपराधियों ने इस साल कई चालें चलीं। लोगों के पैसे पर अपना हाथ साफ करने के लिए उन्होंने मैलवेयर फैलाया, सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर लोगों की गोपनीयता का उल्लंघन किया, स्टाकरवेयर जैसी तकनीक का दुरुपयोग कर लोगों की निजता का उल्लंघन किया या फ्लीसवेयर ऐप या अनावश्यक तकनीकी सहायता के नाम पर भुगतान पाने के लिए धोखा दिया।"

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