वाट्सऐप और ट्विटर पर घालमेल: कितना सुरक्षित सोशल मीडिया और कितने सुरक्षित हम?

इंटरनेट और सोशल मीडिया हमारे लिए बेहद जरूरी हो गया है। लेकिन सोशल मीडिया की बात की जाए तो ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं जो कई तरह की गड़बड़ियों की तरफ इशारा करती हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

3 नवंबर की दोपहर लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप ने अचानक काम करना बंद कर दिया। यूजर न तो वाट्सऐप के जरिये मैसेज भेज पा रहे थे और न ही प्राप्त कर पा रहे थे। थोड़ी देर के लिए यह मशहूर मैसेजिंग ऐप कई देशों में डाउन रहा। उन देशों के लोगों ने ट्विटर पर वाट्सऐप के काम नहीं करने की जानकारी दी। वाट्सऐप के बंद होने से लोगों में बेचैनी बढ़ गई। आधे घंटे से भी ज्यादा देर तक लोग हैरान-परेशान रहे। लगभग एक घंटे के अंदर ही वॉट्सऐप ने फिर से काम करना शुरू कर दिया तब जाकर लोगों की जान में जान आई। बताया गया कि सर्वर के डाउन हो जाने से यह समस्या आई। हालांकि, इस बारे में वाट्सऐप की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया।

2 नवंबर को सोशल मीडिया से ही संबंधित एक और बड़ी घटना हुई। दुनिया का सबसे शक्तिशाली माना जाने वाला राष्ट्रपति ट्वीटर की दुनिया से ही गायब हो गया। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आधिकारिक ट्वीटर हैंडल गुरुवार की शाम 7 बजे अचानक से डीएक्टिवेट हो गया और पूरे 11 मिनट तक बंद रहा। कंपनी ने मानवीय भूल को इसकी वजह बताया। ट्विटर के ही एक कर्मचारी ने ट्रंप का अकाउंट बंद कर दिया था। बाद में इसे फिर से एक्टिवेट कर दिया गया। मिली जानकारी के अनुसार जिस कर्मचारी ने ट्रंप का अकाउंट बंद किया था उसका गुरुवार को कंपनी में आखिरी दिन था। ट्वीटर ने भी बाद में ट्वीट कर कहा, “जांच में पता चला है यह काम ट्विटर सपोर्ट के एक कर्मचारी ने अपने ऑफिस के आखिरी दिन किया है। हम इसके लिए एक आंतरिक समीक्षा कर रहे हैं।”

इंटरनेट और सोशल मीडिया हमारे लिए बेहद जरूरी हो गया है। यहां तक कि राजनीति के लिए भी सोशल मीडिया बहुत अहमियत रखता है। ऐसे में ऊपर की दोनों घटनाएं सोशल मीडिया को लेकर कई सवाल खड़े करती हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया अपने आप में कितना सुरक्षित है। जिस कर्मचारी ने ट्रंप का ट्विटर हैंडल डीएक्टिवेट किया वह उनके अकाउंट से कुछ भी ट्वीट कर सकता था, जो उनकी छवि और अमेरिका सहित विश्व को भी नुकसान पहुंचा सकता था। ट्विटर, फेसबुक और वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों में ट्रंप की जीत में ट्विटर की बड़ी भूमिका मानी जाती है। आज के समय ट्विटर पर ट्रंप को फॉलो करने वाले लोगों की संख्या 4 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी है। ट्रंप जो भी कहते हैं या कहना चाहते हैं वह बड़ी आसानी से अपने फॉलोअर तक पहुंचा सकते हैं। उनके हैंडल का फायदा कोई और उठाकर अव्यवस्था की स्थिति खड़ी कर सकता है।

इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया को लोगों की आवाज कहा जाता है। कई बार ऐसी खबरें या घटनाएं जिन्हें कहीं जगह नहीं मिलती है, उसे फेसबुक, ट्विटर और वाट्सऐप जैसे सोशल साइट पर जगह मिल जाती है, जिससे वह खबर लोगों तक पहुंच जाती है। लेकिन वाट्सऐप का अचानक से घंटे भर के लिए बंद होना और ट्रंप के ट्विटर हैंडल का डीएक्टिवेट हो जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि सोशल मीडिया पर भी लोग किसी और के नियंत्रण में हैं।

कई बार भारत में ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि फेसबुक ने किसी विशेष नेता या पार्टी के खिलाफ पोस्ट की गई खबर को दबा दिया या फेसबुक से हटा दिया। यहां तक कि ट्विटर पर भी ऐसे इल्जाम लगते रहे हैं। सर्च इंजन गूगल पर भी इस तरह के पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। आम लोगों की आवाज जिन सोशल साइटों को माना जा रहा है, वे केवल नियंत्रित ही नहीं असुरक्षित भी हैं।

इसके अलावा अगर डिजिटल दुनिया की बात की जाए तो वहां भी ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। भारत में पहचान-पत्र आधार के सुरक्षित होने पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। अमेरिका में कई डिजिटल चोरी-हैकिंग की घटनाएं हो चुकी हैं। 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूस द्वारा अमेरिकी डाटा को हैक करने की खबर ने खासा विवाद खड़ा किया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट्स के साथ जिस डिजिटल दौर की तरफ हम तेजी से बढ़ रहे हैं उन पर कितना भरोसा किया जाए?

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Published: 03 Nov 2017, 7:01 PM