करणी सेना हिंसा: मोदी के मंत्रालय की हड़बड़ी यानी चौबे जी चले थे छब्बे बनने, दुबे जी बनकर लौटे

पुरानी कहावत है कि चौबे जी चले थे छब्बे बन्ने, दूबे जी बन कर लौटे।यह कहावत इस संदर्भ में कही जाती है कि जब कोई काम किसी और मकसद से किया जाए औरउसका उलटा असर हो जाए। ऐसा ही हुआ पर्यावरण मंत्रालय के साथ।

फोटो स्क्रीनशॉट
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नवजीवन डेस्क

कॉपी, पेस्ट, पोस्ट...बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्रालयों का यह रोजमर्रा का शगल हो गया है। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को ट्रॉल करने की कोशिश में खुद सरकार का मंत्रालय ही ट्रॉल हो गया। हालत खराब हुई तो उलटे पैर भागे।

यह दिलचस्प किस्सा शुरु हुआ गुरुवार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे। इस दिन यानी 25 जनवरी को पद्मावत रिलीज हुई और बीजेपी शासित कम से कम सात राज्यों में उपद्रवियों का तांडव शुरु हो गया। पहले शो का समय होते-होते इन राज्यों से हिंसा और तोड़ फोड़ की खबरें आने लगीं।

इन्हीं सबके बीच मोदी सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से एक पोस्ट डाली गई। इसमें जिज्ञासा के साथ यह कहा गया कि, “करणी सेना द्वारा जारी हिंसा की निंदा करने वाला एक भी ट्वीट कांग्रेस अध्यक्ष ने नहीं किया, सिवाय इस एक चटपटे ट्वीट के।”

करणी सेना हिंसा: मोदी के मंत्रालय की हड़बड़ी यानी चौबे जी चले थे छब्बे बनने, दुबे जी बनकर लौटे
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा किया गया ट्वीट

पर्यावरण मंत्रालय ने यह पोस्ट @aAccheDin नाम के ट्विटर हैंडल के जवाब में डाली। इस ट्वीट में गुड़गांव में स्कूली बस पर हुए करणी सेना के हमले की निंदा करते हुए कहा गया था कि, “करणी सेना की इस हिंसा का बीजेपी को भारी मूल्य चुकाना पड़ेगा। मोदी जी यह गुजरात नहीं है, यह 2002 नहीं है। हम भारतीय जानते हैं कि आतंकवादियों और उनके नेताओं से कैसे लड़ा जाता है। अगर हम पाकिस्तान को लात मार सकते हैं, तो मोदी, शाह और करणी सेना को भी नहीं छोड़ेंगे। अगर मेरे बच्चों को छुआ भी तो देश से बाहर धकेल देंगे।”

करणी सेना हिंसा: मोदी के मंत्रालय की हड़बड़ी यानी चौबे जी चले थे छब्बे बनने, दुबे जी बनकर लौटे
वह ट्वीट जिसका जवाब दिया था पर्यावरण मंत्रालय ने

इसी ट्वीट के जवाब में पर्यावरण मंत्रालय ने सुबह 11.24 बजे ये ट्वीट किया। लेकिन शायद या तो पर्यावरण मंत्रालय को जानकारी नहीं थी, या फिर कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना करने की हड़बड़ी में पर्यावरण मंत्रालय यह भूल गया कि बीती रात यानी 24 जनवरी की रात 10.54 बजे राहुल गांधी ने गुड़गांव में बच्चों की बस पर हमले की निंदा करते हुए ट्वीट किया था और कहा था कि हिंसा कमजोर लोगों के हथियार होते हैं और बच्चों पर हमला किसी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा था कि हिंसा और नफरत का इस्तेमाल कर बीजेपी देश में आग लगा रही है।

हड़बड़ी और गड़बड़ी इतनी ही नहीं हुई पर्यावरण मंत्रालय से कि राहुल गांधी के ट्वीट करने के 11 घंटे बाद उसने राहुल गांधी से सवाल पूछा। पर्यावरण मंत्रालय ने इस ट्वीट में इस्तेमाल एक-एक शब्द और हैशटैग तक किसी और ट्वीट से नकल कर लिए।

दरअसल करणी सेना की हिंसा पर पत्रकार मिनहाज़ मर्चेंट ने एक ट्वीट किया था जिसे उन्होंने राहुल गांधी के उस ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा था जिसमें राहुल ने मोदी की दावोस यात्रा और स्विटज़रलैंड से वापसी पर कालेधन को लेकर सवाल पूछा था। मिनहाज मर्चेंट का ट्वीट तो फिर भी सही ठहराया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने इसे राहुल के ट्वीट करने से एक करीब एक घंटा पहले किया था। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने तो इसी ट्वीट को हू बहू नकल कर अपने अधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से पोस्ट कर दिया।

इस ट्वीट के पोस्ट होते ही ट्विटर पर लोगों ने पर्यावरण मंत्रालय को ट्रॉल करना शुरु कर दिया इस ट्वीट के बाद जब लोगों ने मिनहाज मर्चेंट को टैग कर बताया कि उनका ट्वीट पर्वायवरण मंत्रलय ने कॉपी कर लिया है, तो उन्होंने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने लिखा कि भाई कम से कम तथ्य तो देख लिया करो।

सोशल मीडिया पर बवाल मचता देख, घबराकर पर्यावरण मंत्रालय ने पांच-सात मिनट बाद ही इसे डिलीट कर दिया। लेकिन तकनीक के इस दौर में आप किसी को कुछ मौखिक तौर पर कहके तो मुकर सकते हो, लेकिन कुछ भी ऑनलाइन किया है, तो वह शाश्वत हो जाता है। लोगों ने इस ट्वीट के स्क्रीनशॉट और आर्काइव लिंक सुरक्षित कर लिए हैं, और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।

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