AIFF ने महासचिव शाजी प्रभाकरन को तत्काल प्रभाव से किया बर्खास्त, फेडरेशन के साथ किया था विश्वासघात!
एआईएफएफ के उप सचिव एम सत्यनारायण तत्काल प्रभाव से एआईएफएफ के कार्यवाहक महासचिव का कार्यभार संभालेंगे।
![फोटो: सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2023-11%2Fffaf85ab-57d4-466d-b9b9-19c721adcf24%2F525fbd1c577024b2eeefb2b8f7404f6f.jpg?rect=0%2C0%2C2000%2C1125&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने अपने महासचिव शाजी प्रभाकरन को "विश्वास तोड़ने" के कारण तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। राष्ट्रीय शासी निकाय ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि एआईएफएफ के उप सचिव एम सत्यनारायण तत्काल प्रभाव से एआईएफएफ के कार्यवाहक महासचिव का कार्यभार संभालेंगे। एआईएफएफ का दावा है कि फेडरेशन के साथ उन्होंने विश्वासघात किया, जिसके चलते उनसे पद छीन लिया गया।
प्रभाकरन को पिछले सितंबर में एआईएफएफ का महासचिव नियुक्त किया गया था। कल्याण चौबे की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति की बैठक में उनके नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगायी गयी थी। हाल ही में, एआईएफएफ कार्यकारी समिति के भीतर प्रभाकरन के कामकाज और उनके उच्च मासिक वेतन को लेकर चिंताएं उभर रही थीं। प्रभाकरन ने वीडियो असिस्टेंट रेफरल (वीएआर) प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए महासंघ के भीतर धन की कमी के बारे में शिकायत की थी।
एआईएफएफ ने एक्स पर लिखा है, "अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने घोषणा की है कि डॉ. शाजी प्रभाकरन की सेवाएं 7 नवंबर, 2023 से तत्काल प्रभाव से विश्वासघात (ब्रीच ऑफ ट्रस्ट) के कारण समाप्त कर दी गई हैं। एआईएफएफ के उप सचिव एम सत्यनारायण, तत्काल प्रभाव से एआईएफएफ के कार्यवाहक महासचिव के रूप में कार्यभार संभालेंगे।" महासंघ का ये फैसला बहुत कुछ दर्शाता है। एक बड़ी संस्था में विश्वासघात करने वालों के लिए जगह नहीं है।
शाजी प्रभाकरन को पिछले साल सितंबर में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन का महासचिव चुना गया था। वे दिल्ली फुटबॉल के अध्यक्ष थे और लंबे समय से खेल प्रशासक रहे। एआईएफएफ की नई कार्यकारी समिति ने उनकी नियुक्ति की थी। उसी समय कल्याण चौबे ने एआईएफएफ अध्यक्ष का पद हासिल किया था। उन्होंने फेडरेशन के चुनाव में पूर्व खिलाड़ी बाईचुंग भूटिया को 33-1 से हराया था।
कल्याण चौबे ने ही महासचिव पद के लिये प्रभाकरन के नाम की अनुशंसा की थी। उनके इस अनुशंसा को बाकी सदस्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया था। शाजी प्रभाकरन ने हमेशा एआईएफएफ में बदलाव की मांग की थी। ऐसा पहली बार था जब सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार छह पूर्व दिग्गज खिलाड़ी समिति का हिस्सा थे।
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