फुटबाल की बादशाहत फ्रांस के नाम, क्रोएशिया का सपना टूटा, विश्व कप के फाइनल में पहली बार हुआ आत्मघाती गोल

फाइनल मैच में जिस तरह की उम्मीद थी उसी स्तर की फुटबाल देखी गई। पहली बार फाइनल खेल रही क्रोएशिया किसी भी तरह के दवाब में नहीं थी। वो उसी तरह की फुटबाल खेल रही थी जिस तरह की पूरे विश्व कप में खेलती आ रही थी।

फोटो  : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण के फाइनल में रविवार को फ्रांस ने लुज्निकी स्टेडियम में खेले गए बेहद रोमांचक और नाटकीय मैच में पहली बार विश्व कप खेल रही क्रोएशिया को 4-2 से शिकस्त दे दूसरी बार विश्व विजेता का तमगा हासिल किया। फ्रांस 20 साल बाद विश्व फुटबाल का सरताज बनने में सफल रहा है। इससे पहले उसने अपने घर में 1998 में दिदिएर डेसचेम्प्स की कप्तानी में पहली बार विश्व कप जीता था।

वही डेसचेम्प्स एक कोच के तौर पर इस बार अपनी टीम को दूसरी बार खिताब दिलाने में सफल रहे हैं। वह ऐसे तीसरे शख्स हैं जो खिलाड़ी और कोच के तौर पर विश्व कप जीतने में सफल रहे हैं। उनसे पहले ब्राजील के मारियो जागालो और जर्मनी के फ्रांज बेककेनबायुएर ने कोच और खिलाड़ी से तौर पर विश्व कप जीते हैं।

फ्रांस दूसरी बार 2006 में विश्व कप का फाइनल खेली थी जहां इटली ने उसे खिताब से महरूम रख दिया था, लेकिन तीसरी बार फ्रांस खिताब जीतने में सफल रही।

फाइनल मैच में जिस तरह की उम्मीद थी उसी स्तर की फुटबाल देखी गई। पहली बार फाइनल खेल रही क्रोएशिया किसी भी तरह के दवाब में नहीं थी। वो उसी तरह की फुटबाल खेल रही थी जिस तरह की पूरे विश्व कप में खेलती आ रही थी। उसने फ्रांस पर दवाब बनाए रखा और गेंद अपने पास ज्यादा रखी। हालांकि फ्रांस पहले हाफ की समाप्ति तक 2-1 से आगे थी। इसमें सही मायने में क्रोएशिया की गलती थी।

18वें मिनट में ऐसा पल आया जो अभी तक विश्व कप के फाइनल में कभी नहीं आया और जिसने क्रोएशियाई टीम तथा प्रशंसकों को निराश कर दिया। फ्रांस को फ्री किक मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने लिया। ग्रीजमैन की किक को क्लीयर करने के प्रयास में क्रोएशिया के माकियो मांजुकिक आत्मघाती गोल कर बैठे। उन्होंने अपने हेडर के जरिये गेंद को बाहर भेजना चाहा, लेकिन गेंद सीधे नेट में गई और फ्रांस बिना प्रयास के 1-0 से आगे हो गई। यह विश्व कप के फाइनल में किया गया पहला आत्मघाती गोल है।

क्रोएशियाई खिलाड़ी निराश नहीं हुए। वो अपना खेल खेलते रहे और 10 मिनट बाद क्रोएशिया ने बराबरी का गोल दाग दिया। इस बार क्रोएशिया को फ्री किक मिली जिसे माजुकिक ने लिया। गेंद विदा के पास आई जिन्होंने उसे इवान पेरीसिक के पास पहुंचाया और पेरीसिक ने गेंद को शानदार तरीके से नेट में डाल अपनी टीम को 1-1 से बराबर कर दिया।

जिन पेरीसिक ने क्रोएशिया को बराबरी दिलाई थी उन्हीं की गलती से क्रोएशिया मैच में एक बार फिर एक गोल से पीछ हो गई। ग्रीजमैन ने गेंद बॉक्स के अंदर डाली जो पेरीसिक के हाथ से टकरा गई। रेफरी ने इस पर पेनाल्टी नहीं दी तो फ्रांस ने वीएआर का उपयोग किया जो उसके पक्ष में रहा। ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में पेनाल्टी को गोल में तब्दील कर अपनी टीम को 2-1 से आगे कर दिया।

पहले हाफ के अंत में क्रोएशिया को बराबरी के कुछ मौके मिले थे जिन्हें वह भुना नहीं पाई। वह बराबरी के लिए उतवाली थी। दूसरे हाफ में आते ही उसने 48वें मिनट में एक मौका बनाया। लुका मोड्रिक ने गेंद बॉक्स में एंटे रेबिक को दी। फ्रांस के ह्यूगो लोरिस हालांकि रेबिक के शॉट को बचा ले गए।

फ्रांस दूसरे हाफ में बेहतर और पहले हाफ से ज्यादा आक्रामक दिख रही थी। उसने लगातार क्रोएशिया के घेरे में प्रवेश किया और आखिरकार 59वें मिनट में उसे सफलता मिल ही गई।

कीलियन एमबाप्पे काफी दूर से गेंद लेकर बॉक्स में आए और क्रोएशियाई डिफेंडरों को छकाते हुए गेंद ग्रीजमैन को दी और उनसे गेंद पॉल पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने गेंद को रिबाउंड पर बेहतरीन तरीके से गोल में डाल फ्रांस को 3-1 से आगे कर दिया।

इस गोल से फ्रांस और आक्रामक हो गई थी और कभी न हार मानने वाली क्रोएशिया कमजोर दिख रही थी। नतीजन फ्रांस ने चौथा गोल दाग क्रोएशिया की वापसी लगभग नामुमकिन कर दी। यह गोल 19 साल के युवा खिलाड़ी एमबाप्पे ने किया। इस शानदार खिलाड़ी ने यह गोल 65वें मिनट में लुकास हर्नाडेज से बॉक्स के बाहर मिली गेंद पर किया।

मैच में रोमांच अभी तक खत्म नहीं हुआ था। लोरिस पूरे विश्व कप में अपनी शानदार गोलकीपिंग के लिए जाने जा रहे थे, लेकिन 69वें मिनट में उन्होंने एक बड़ी गलती कर दी जिसने क्रोएशिया को दूसरा गोल सौंप दिया। हर्नाडेज ने खाली खड़े लोरिस को गेंद क्लीयर करने दी और गेंद के साथ ही मांजुकिक भी बॉक्स में घुस गए। लोरिस ने सोचा कि वह गेंद को आसानी से कटा देंगे लेकिन मांजुकिक ने उनके शॉट पर पैर अड़ा कर गेंद को नेट में डाल क्रोएशिया के लिए दूसरा गोल किया।

यह गोल हालांकि क्रोएशिया के लिए कुछ कर नहीं सका। अंत में तमाम कोशिशें उसे बराबरी नहीं दिला सकी और उसका पहली बार विश्व विजेता बनने का सपना टूट गया।

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