CWG 2022: लॉन बॉल्स में भारतीय महिला टीम ने रचा इतिहास, पहली बार जीता गोल्ड मेडल, जानें क्या है यह खेल?

फाइनल मुकाबले में भारतीय चौकड़ी ने साउथ अफ्रीका को 17-10 से हराकर गोल्ड मेडल भारत की झोली में डाला। इन राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का यह कुल 10वां मेडल है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बर्मिंघम में जारी 22वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की महिला लॉन बॉल टीम ने इतिहास रच दिया है। महिला टीम ने स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया है। बता दें, फाइनल मुकाबले में भारतीय चौकड़ी ने साउथ अफ्रीका को 17-10 से हराकर गोल्ड मेडल भारत की झोली में डाला। इन राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का यह कुल 10वां मेडल है।

कैसे टीम इंडिया हुई अफ्रीकी खिलाड़ियों पर हावी?

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच कड़ा मुकाबला चला। भारत ने शुरुआत तो बहुत अच्छी की थी, मगर 3 राउंड के बाद स्कोर 3-3 से बराबर हो गया। इसके बाद भारत ने जबरदस्त पलटवार किया और 7वें राउंड के बाद 8- 2 से बढ़त हासिल की। हालांकि ये बढ़त भारत के पास ज्यादा देर तक नहीं रही और इस राउंड के बाद साउथ अफ्रीका ने बढ़त लेनी शुरू की और एक समय 12वें राउंड के बाद दोनों का स्कोर 10-10 से बराबर हो गया था।

इसके बाद टीम इंडिया हावी हुई और कोई गलती न करते हुए लीड हासिल की, जिसे आखिर तक बरकरार रखा। लवली चौबे, रूपा रानी टिर्की, नयनमोनी साइकिया और पिंकी की चौकड़ी की तारीफ आज देशभर में हो रही है।

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क्या है लॉन बॉल्स गेम?

  • यह गेम घास के मैदान (Lawn) में खेला जाता है और इसमें खिलाड़ी बॉल को रोल करते हैं। इस खेल में सिंगल्स या टीम इवेंट होते हैं। सिंगल्स में दो खिलाड़ी आमने सामने होते हैं, वहीं टीम इवेंट में दो, तीन या चार खिलाड़ियों की एक टीम बनाई जाती है, जो दूसरी टीम से भिड़ती है।

  • सबसे पहले टॉस होता है और फिर टॉस जीतने वाले खिलाड़ी या टीम को जैक बॉल को रोल करने का मौका मिलता है। जैक बॉल को आप टारगेट कह सकते हैं। जब टॉस जीतने वाले खिलाड़ी या टीम मेंबर इसे घास के मैदान के एक एंड से दूसरे एंड पर रोल करते हैं तो यह जहां रूक जाता है वही खिलाड़ियों का टारगेट बन जाता है। यानी खिलाड़ियों को अब इसी टारगेट के सबसे करीब अपनी बॉल्स रोल करके पहुंचाना होती है।

  • सिंगल हो या टीम इंवेंट खिलाड़ी एक-एक करके अपनी-अपनी थ्रोइंग बॉल को जैक बॉल के पास पहुंचाने की कोशिश करते हैं। थ्रोइंग बॉल जितनी ज्यादा जैक बॉल के करीब पहुंचती है, उतने ज्यादा पॉइंट्स मिलते हैं। सिंगल्स और टीम इवेंट में हर खिलाड़ी को हर एंड से बॉल थ्रो करने के बराबर मौके मिलते हैं, जो ज्यादा स्कोर करता है, उसे ही विजेता घोषित किया जाता है।

क्या है इस खेल का इतिहास?

ऐसा माना जाता है कि इस खेल की शुरुआत 12वीं शताब्दी में हुई थी। इसे सबसे पहले इंग्लैंड में खेले जाने के प्रमाण मिलते हैं। 18वीं शताब्दी में इस खेल से जुड़े नियम बने और हर दशक के साथ इनमें बदलाव आता गया।

कॉमनवेल्थ गेम्स के पहले संस्करण से लेकर अब तक यह लगातार शामिल किया जाता रहा है। केवल 1966 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में इसे शामिल नहीं किया गया था। ओलंपिक में यह खेल आज तक शामिल नहीं किया गया है। भारत में भी यह खेल कई दशकों से खेला जा रहा है लेकिन 2010 से इस खेल को ज्यादा तवज्जो मिलने लगी।

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