महान अंपायर डिकी बर्ड का 92 साल की उम्र में निधन, बेहतरीन फैसलों के साथ खास आदतों के लिए याद करेगा क्रिकेट जगत
बर्ड अविवाहित रहे लेकिन उन्होंने कुछ बेहतरीन दोस्त बनाए, जिनमें दिवंगत महारानी एलिजाबेथ भी शामिल थी। वह महारानी एलिजाबेथ के यहां अक्सर चाय पार्टियों में जाते थे। लेखक स्टीफन किंग और जॉन मेजर जैसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री उनके अच्छे दोस्त रहे।

क्रिकेट जगत में बेहद लोकप्रिय महान अंपायर डिकी बर्ड का मंगलवार को इंग्लैंड के साउथ यॉर्कशायर के बार्न्सली में 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बर्ड ने 1973 और 1996 के बीच अपने लंबे करियर में 66 टेस्ट और 69 एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग की थी। अंपायर के तौर पर बर्ड का आखिरी टेस्ट 1996 में लॉर्ड्स में भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। इसी मैच में पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली ने टेस्ट प्रारूप में पदार्पण किया था।
यॉर्कशायर क्लब ने मंगलवार की सुबह डिकी बर्ड के निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने आखिरी सांस अपने घर पर ली। यॉर्कशायर ने मंगलवार को अपने बयान में कहा, "वह अपने पीछे खेल भावना, विनम्रता, खुशी की विरासत और प्रशंसकों की एक बड़ी संख्या छोड़ गए हैं।" बयान में आगे कहा गया, "इस दुख की घड़ी में यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब के सभी लोग डिकी के परिवार और दोस्तों के साथ हैं। क्लब के सभी लोग उन्हें बहुत याद करेंगे, क्योंकि उन्होंने यहां सभी के साथ लंबा समय बिताया है। उन्हें यॉर्कशायर के इतिहास के सबसे महान व्यक्तित्वों में से एक के रूप में याद किया जाएगा।"
खेल के इतिहास में सबसे प्रिय अंपायर, डिकी अपने बेहतरीन फैसलों के साथ-साथ अपनी अजीबोगरीब आदतों के लिए भी जाने जाते थे। वह जिन मैचों में अंपायरिंग करते थे, वहां जल्दी पहुंचना और खिलाड़ियों को पगबाधा आउट देने में आनाकानी करना विशेष था। एक बार वह 11 बजे शुरू होने वाले मैच के लिए सुबह 6 बजे स्टेडियम में दीवार फांदने घुसने की कोशिश कर रहे थे, जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया था। यह उनका दूसरा प्रथम श्रेणी मैच था।
19 अप्रैल, 1933 को बार्न्सली, वेस्ट राइडिंग ऑफ यॉर्कशायर, इंग्लैंड में जन्मे डिकी ने 1973 से 1996 तक के अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान 66 टेस्ट, 69 एकदिवसीय और सात महिला एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग की। घुटने की चोट के कारण फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में करियर शुरू कर पाने में असमर्थ रहे डिकी बर्ड ने क्रिकेट को अपनाया और एक खिलाड़ी, कोच और अंपायर के रूप में इस खेल में अमूल्य योगदान दिया। दाएं हाथ के बल्लेबाज और दाएं हाथ के ऑफ-ब्रेक गेंदबाज डिकी ने यॉर्कशायर और लीसेस्टरशायर के लिए 93 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 3,314 रन बनाए, जिसमें दो शतक और 14 अर्धशतक शामिल हैं।
संन्यास के बाद डिकी बर्ड ने 1966 और 1968 के बीच प्लायमाउथ कॉलेज और 1968 और 1969 में जोहान्सबर्ग में कोचिंग की। उन्होंने 1970 में अपना पहला काउंटी चैंपियनशिप मैच और तीन साल बाद, लीड्स के हेडिंग्ले में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच अपने पहले टेस्ट मैच में अंपायरिंग की। डिकी बर्ड एलबीडब्ल्यू की अपील पर अपनी उंगली उठाने से हिचकिचाते थे। वह ज्यादातर बल्लेबाजों को संदेह का लाभ देते थे। डीआरएस के युग में उनके कई फैसले पलट दिए जाते। बर्ड को क्रिकेट में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 1986 में एमबीई और 2012 में ओबीई नियुक्त किया गया था।
बर्ड ने हमवतन दिवंगत डेविड शेफर्ड (2009 में निधन) के साथ मैदान पर अंपायरिंग की खास जोड़ी बनाई। बर्ड अपने फैसलों की सटीकता और अपनी खास आदतों के कारण दर्शकों और खिलाड़ियों दोनों के बीच काफी लोकप्रिय थे। भारत और इंग्लैंड के बीच 1974 में ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले गये टेस्ट मैच के दौरान भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर ने बर्ड से अपने बाल कटवाए क्योंकि उनके बाल बार-बार उनकी आंखों में आ रहे थे। बर्ड ने इसके लिए गेंद की सीम के धागे को काटने वाली कैंची का इस्तेमाल किया था।
बर्ड ने बाद में कहा, ‘‘यह वही है जो सभी अंपायरों को अपने पास रखना चाहिए।’’ बर्ड को उस समय के खिलाड़ियों से भी काफी सम्मान मिलता था। उन्होंने एक बार कहा था, ‘‘(गैरी) सोबर्स, (रिची) रिचर्ड्स, (डेनिस) लिली और (इयान) बॉथम जैसे महान खिलाड़ियों ने मुझे अच्छा अंपायर बताया था। यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है।’’
बर्ड अविवाहित रहे लेकिन उन्होंने कुछ बेहतरीन दोस्त बनाए, जिनमें दिवंगत महारानी एलिजाबेथ भी शामिल थी। वह महारानी एलिजाबेथ के यहां अक्सर चाय पार्टियों में जाते थे। लेखक स्टीफन किंग और जॉन मेजर जैसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री उनके अच्छे दोस्त रहे। बर्ड ने दो बेस्ट-सेलर किताबें ‘माई ऑटोबायोग्राफी विद कीथ लॉज’ और ‘द व्हाइट कैप एंड बेल्स’ नामक किताबें भी लिखी। बर्ड ने अंपायरिंग से संन्यास लेने के बाद खुद को क्विज सेशन, और चैट शो के माध्यम से सक्रिय रखा। यह सत्र बहुत मनोरंजक होते थे।
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