खेल की खबरें: डबल सेंचुरी लगाने वाले ईशान को दिग्गजों ने किया सलाम और IOA की पहली महिला अध्यक्ष बनीं पीटी उषा

दुनिया के तमाम दिग्गजों ने ईशान की इस पारी की जमकर सराहना की, तो फैंस ने भी ईशान पर अपना प्यार लुटा रहे हैं। महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने कहा कि डबल तारीफ बनती है। वहीं क्रिकेटर सहवाग ने कह दिया है कि ऐसी एप्रोच भला करेगी।

फोटो: Getty Images
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नवजीवन डेस्क

आज बांग्लादेश के खिलाफ ईशान किशन ने इतिहास रच दिया है। ईशान किशन बांग्लादेश के खिलाफ डबल सेंचुरी जड़ दिया है। इसके साथ ही ईशान दुनिया में सबसे कम उम्र में सबसे तेज डबल सेंचुरी बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। इस शानदार प्रदर्शन के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया के मंच पर इस लेफ्टी बल्लेबाज को लेकर ही चर्चा होने लगी। दुनिया के तमाम दिग्गजों ने ईशान की इस पारी की जमकर सराहना की, तो फैंस ने भी ईशान पर अपना प्यार लुटा रहे हैं। महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने कहा कि डबल तारीफ बनती है। वहीं क्रिकेटर सहवाग ने कह दिया है कि ऐसी एप्रोच भला करेगी। इरफान पठान भी इस खिलाड़ी के मुरीद हो गए। रवि शास्त्री ने कहा है कि किसी भी युवा को ऐसे ही मौका भुनाना चाहिए।

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IOA की पहली महिला अध्यक्ष बनीं पीटी उषा

महान एथलीट पीटी उषा शनिवार को आधिकारिक रूप से भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के शासी निकाय के चुनावों के दौरान पहली महिला अध्यक्ष चुनी गईं। चुनाव में उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। 1960 के बाद पहली बार कोई खिलाड़ी आईओए का अध्यक्ष बना है। महाराजा यादविंदर सिंह (1938-1960) पिछले ऐसे अध्यक्ष थे जो खिलाड़ी रह चुके थे।

पीटी ऊषा के नाम एशियाई खेलों में चार स्वर्ण और सात रजत पदक हैं। वह 1982, 1986, 1990 और 1994 एशियाई खेलों में पदक जीती थीं। इसके अलावा उनके नाम एशियाई चैंपियनशिप में 14 स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक हैं। 58 साल की पीटी ऊषा 1984 ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में चौथे स्थान पर रही थीं। बता दें, चुनाव सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायाधीश सेवानिवृत एल नागेश्वर राव की निगरानी में हुए।


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भारत की भलाई के लिए, रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ प्रबंधन शैली बदलें

 खेलों में एक कहावत है कि एक कप्तान अपनी टीम जितना ही अच्छा है लेकिन साथ ही यह भी सही है कि एक टीम अपने कप्तान और कोच जितनी अच्छी है-खास तौर पर क्रिकेट में क्योंकि कप्तान और कोच टीम प्रबंधन का मुख्य हिस्सा बनते हैं और सभी महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं। इसलिए कप्तान रोहित शर्मा और मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को 50 ओवर के विश्व कप की तैयारी से पहले भारतीय टीम के हाल के सफेद गेंद क्रिकेट में खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेनी होगी।

भारत ने वर्ष 2022 की शुरूआत दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीनों बाहरी वनडे हारकर की थी और बांग्लादेश के खिलाफ ऐसी ही स्थिति में दिखाई दे रहा है। भारत पहले दो वनडे हारकर शर्मनाक स्थिति का सामना कर रहा है इसके अलावा भारत 2022 टी20 विश्व कप में इंग्लैंड से सेमीफाइनल में बुरी तरह हार गया था।

टीम को खेल के हर विभाग में संघर्ष करना पड़ रहा है और टीम प्रबंधन के लिए गए गए कई फैसलों पर सवाल उठ रहे हैं।

रोहित की कप्तानी और द्रविड़ की कोचिंग में स्थिरता है जबकि सफेद गेंद क्रिकेट में इसे गतिशील होना चाहिए। यही कारण है कि भारतीय बल्लेबाजी में एकरूपता ह,ै गेंदबाजी दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ प्रभावहीन है ।

टी20 विश्व कप में प्रबंधन जोड़ी की सबसे बड़ी गलती युजवेंद्र चहल को नहीं खिलाना थी जबकि रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल विफल साबित हो रहे थे।

भारतीय टीम प्रबंधन टी20 विश्व कप में ऋषभ पंत के इस्तेमाल पर भी कोई फैसला नहीं कर पाया और दिनेश कार्तिक को फिनिशर के रोल के लिए चुना। कार्तिक पर भरोसा कर रोहित और प्रबंधन ने पंत जैसी प्रतिभा वाले बल्लेबाज के साथ न्याय नहीं किया। भारत को पंत को टॉप आर्डर में एक विकल्प के रूप में चुनना चाहिए था क्योंकि विराट कोहली को छोड़कर अन्य कोई प्रदर्शन में निरंतर नहीं था। लाइन अप में बाएं हाथ का बल्लेबाज बेहतर प्रभाव डाल सकता था।

रोहित और द्रविड़ गेंदबाजी इकाई की विफलता का भी हल नहीं ढूंढ पाया। रोहित और द्रविड़ के साथ मूल समस्या यह है कि वे पुरानी शैली के हैं जबकि सफेद गेंद क्रिकेट गतिशील है और टीमें नयी अवधारणाएं ढूंढती रहती हैं। इंग्लैंड की सफेद गेंद क्रिकेट में आक्रामक शैली काफी सफल रही है जिसकी बदौलत उन्होंने 50 ओवर और टी20 विश्व कप जीता है।

टी20 विश्व कप की तैयारी में भारत ने 30 खिलाड़ियों को आजमाया जबकि रोहित का मैदान पर ²ष्टिकोण भी उम्मीदों के अनुसार था।

टीम की हाल की निराशा को देखते हुए हार्दिक पांड्या को कप्तानी देने की बात उठ रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एक ऐसा कोच लाना चाहिए जिसने राहुल द्रविड़ के मुकाबले ज्यादा टी20 खेला हो।

रोहित और द्रविड़ को इन मुश्किल हालात से बाहर निकलने के लिए कुछ नए फैसले लेने होंगे और शुभमन गिल, उमरान मलिक, अर्शदीप सिंह जैसे युवा खिलाड़ियों को मौके देने होंगे।

रोहित को मैदान पर अपना नियंत्रण खोने और हताशा दिखाने जैसे फैसलों में भी बदलाव लाना होगा। जिम्मेदारी अब बीसीसीआई पर है कि या तो वह सफेद गेंद क्रिकेट में नेतृत्व परिवर्तन करे या फिर रोहित और द्रविड़ को मैदान में नया दृष्टिकोण लाने के लिए कहे। समय अब तेजी से भागता जा रहा है और विश्व कप अब एक साल दूर है।

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आईसीसी टूनार्मेंटों में विश्व क्रिकेट का नया चोकर बन गया है भारत?


लम्बे समय तक दक्षिण अफ्रीका की विश्व कप के नॉक आउट चरण में लड़खड़ाने के लिए आलोचना की जाती रही थी लेकिन अब लगता है भारत विश्व क्रिकेट का नया चोकर बन गया है और उसने दक्षिण अफ्रीका की जगह ले ली है। भारत ने पिछले एक दशक में द्विपक्षीय सीरीज में बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन यह आईसीसी टूर्नामेंटों और उसके नॉकआउट चरण हैं जहां सुपरस्टारों से भरी टीम लड़खड़ा जाती है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दे पाती।

भारत ने आखिरी बार 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी लेकिन उसके बाद से कप्तान, कोच और खिलाड़ी बदले गए हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को भारत को फिर से ट्रॉफी उठाते देखने का मौका नहीं मिल पाया है।

भारत 2014 के टी20 विश्व कप में फाइनल में श्रीलंका से हार गया, 2015 में 50 ओवर के विश्व कप में सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया, 2016 में टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में वेस्ट इंडीज से हार गया, 2017 चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से हार गया और 2019 में 50 ओवर के विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार गया।

इसके बाद भारत 2021 में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के इंग्लैंड में हुए फाइनल में न्यूजीलैंड से हार गया।

2021 में टी20 विश्व कप में विराट कोहली और रवि शास्त्री के तहत भारत ग्रुप चरण से आगे नहीं जा पाया। इस निराशाजनक अभियान के बाद महान कपिल देव ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम को चोकर्स कहा जा सकता है।

2021 में प्रशंसकों को उम्मीद थी कि नए कप्तान रोहित शर्मा अपनी आईपीएल कामयाबी के बाद कुछ चमत्कार कर दिखाएंगे लेकिन पूरे टूर्नामेंट के दौरान वह भारी दबाव में नजर आये और इंग्लैंड के ओपनरों का उनके पास कोई जवाब नहीं था।

खराब टीम चयन, एकतरफा ²ष्टिकोण, फेल होने का डर और बड़े मैचों का दबाव और आत्मविश्वास की कमी भारत की असफलता के बड़े कारण रहे।

अधिकतर क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इतनी प्रतिभा होने के बावजूद निडर शैली की क्रिकेट नहीं खेल पाया, जिसका कारण खिलाड़ियों पर टीम में अपना स्थान बनाये रखने का दबाव था।

करोड़ों प्रशंसकों का दबाव और अत्यधिक क्रिकेट कुछ ऐसे कारण हैं जहां खिलाड़ियों को अपने प्रदर्शन का आत्ममंथन करने का समय नहीं मिल पाता है।

भारत 2023 में वनडे विश्व कप का मेजबान है इस समय वह जैसा प्रदर्शन कर रहा है उससे प्रशंसकों को उम्मीद कम दिखाई देती है। अब जागने और कुछ कार्रवाई करने का समय आ गया है वरना फिर देर हो जायेगी।

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