एनएमसी बिल का विरोध जारी, जानिए धरने पर बैठे डॉक्टरों को क्यों है इससे आपत्ति

राज्यसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल पास होने के बाद से ही देश के कई बड़े सरकारी असपतालों के डॉक्टर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर इस बिल से डॉक्टरों को क्यों है आपत्ति।

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नवजीवन डेस्क

गुरुवार 1 अगस्त से देश के कई बड़े सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर एनएमसी बिल के विरोध में हड़ताल पर हैं। आखिर ऐसा क्या है एनएमसी बिल में जिसको लेकर सभी डॉक्टर्स धरने पर बैठ गए हैं।

एनएमसी बिल में संशोधन के बाद कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर्स (सीएचपी) भी मरीजों के लिए दवाइयां लिख सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा करना मरीजों की जान जोखिम में डालना है।

संशोधित बिल के अनुसार आयुर्वेद-होम्योपैथी डॉक्टर ब्रिज कोर्स करके एलोपैथिक इलाज कर पाएंगे। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि ऐसा करने से नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा।

एनएमसी बिल के मुताबिक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज 50 फीसदी सीटों की फीस तय करेंगे जबकि डॉक्टरों का कहना है कि इससे प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भ्रष्टाचार और ज्यादा बढ़ जाएगा।

इस बिल के अनुसार डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद प्रैक्टिस शुरू करने के लिए डॉक्टरों को एक टेस्ट पास करना होगा। जबकि डॉक्टरो का मानना है कि पढ़ाई पूरी करने बाद भी अगर उस टेस्ट में पास नहीं हुए तो दोबारा टेस्ट देने का कोई विकल्प ही नहीं है।

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