बिहार चुनाव पर चर्चा: 'अमित शाह नहीं हैं चाणक्य, मोदी भी नहीं जिता सकते राज्यों के चुनाव'

बिहार में पहले दौर का मतदान खत्म हो चुका है। करीब 55 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। इस चुनाव पर चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने साफ कहा कि अमित शाह कोई चाणक्य नहीं हैं और पीएम मोदी भी राज्यों का चुनाव नहीं जिता सकते।

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार काफी कुछ रोचक देखने को मिला है। जहां विकास के नाम पर दिल्ली की गद्दी पर बैठी विकास के नाम से भागती दिखी, वहीं विपक्ष के महागठबंधन ने विकास को ही मुद्दा बनाया। इतना ही नहीं विपक्ष ने विकास के सार्थक मुद्दों जैसे बेरोजगारी, आर्थिक हालात, कानून व्यवस्था को सामने रखा।

बुधवार को बिहार की 71 सीटों पर मतदान पूरा हो गया। करीब 55 फीसदी लोगों ने वोट दिया। इस चुनाव पर नवजीवन पर हुई चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने साफ कहा कि यह चुनाव मुख्यत: युवा जोश और झूठे वादों के बीच है। उन्होंने इस चुनाव में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की गैरमौजूदगी पर कहा कि, अमित शाह कोई चाणक्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह इतने ही बढ़े चाणक्य थे तो राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का चुनाव क्यों हारते? महाराष्ट्र में क्यों सरकार नहीं बना पाए? गुजरात का चुनाव हारते-हारते बचे? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता तो कायम है लेकिन राज्यों का चुनाव वे भी नहीं जिता पाते। उन्होंने इसके लिए दिल्ली, पंजाब, 2015 के बिहार और अन्य राज्यों का जिक्र किया।

चर्चा में शामिल नेशनल हेरल्ड के कंसल्टिंग एडिटर उत्तम सेनगुप्ता ने कहा कि यह चुनाव नीतीश कुमार के लिए काफी अहम है क्योंकि उन्हें इस चुनाव में सारे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने तेजस्वी यादव में आए बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि बीते कुछ सालों में तेजस्वी यादव में काफी परिपक्वता आई है।

पटना से चर्चा में शामिल वरिष्ठ वकील और राजनीतिक विश्लेषक इरशाद अहमद ने नीतीश कुमार के उन फैसले को सामने रखा जिनसे लोगों के बीच काफी नाराजगी हुई। उन्होंने खासतौर से शराबबंदी की नाकामी का जिक्र किया।

चुनावों को नजदीक से देख रहे बिहार के स्थानीय पत्रकार नियाज आलम का कहना था कि बिहार में नुक्कड़ों और गलियों में यह चर्चा आम है कि बीजेपी जानबूझकर नीतीश कुमार को बदनाम कराने की साजिश रच रही है। उन्होंने इस चुनाव में युवाओं की भागीदारी को अहम बताया।

चर्चा में बोलते हुए हेरल्ड समूह के राजनीतिक संपादक सैयद खुर्रम रजा ने कहा कि यह चुनाव बदलाव का चुनाव है। उन्होंने रेखांकित किया कि एक तरफ तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को लेकर जोश और उत्साह है क्योंकि उन्होंने बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों को सामने रखा, वहीं नीतीश कुमार के अटपटे बयान और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मंदिर उठाना सत्तारूढ़ गठबंधन की हताशा को स्पष्ट करता है

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