असमानता दूर करने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी, पिछड़ों को हक दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना इसी असमानता की सच्चाई को सामने लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जबकि इसके विरोधी इस सच्चाई को बाहर आने देना नहीं चाहते हैं।

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नवजीवन डेस्क

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को जातिगत जनगणना को लेकर कहा कि 98 साल पहले शुरू हुई हिस्सेदारी की लड़ाई आज भी जारी है। जातिगत जनगणना इसी असमानता की सच्चाई को सामने लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जबकि इसके विरोधी इस सच्चाई को बाहर आने देना नहीं चाहते हैं।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “98 साल पहले शुरू हुई हिस्सेदारी की लड़ाई जारी है।“

 “20 मार्च 1927 को बाबासाहेब अंबेडकर ने महाड़ सत्याग्रह के ज़रिए जातिगत भेदभाव को सीधी चुनौती दी थी। यह केवल पानी के अधिकार की नहीं, बल्कि बराबरी और सम्मान की लड़ाई थी।“

उन्होंने आगे लिखा, "बाबासाहेब का सपना आज भी अधूरा है। उनकी लड़ाई सिर्फ अतीत की नहीं, आज की भी लड़ाई है — हम इसे पूरी ताक़त से लड़ेंगे।“

राहुल गांधी ने दलितों की शासन, शिक्षा, नौकरशाही और संसाधनों तक पहुंच के लिए अब भी जारी संघर्ष जैसे विषयों पर जाने-माने शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, दलित विषयों के जानकार और तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण पर बनी अध्ययन समिति के सदस्य प्रो. थोराट से इस सत्याग्रह के महत्व पर चर्चा की।

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