मिलिये अभिषेक सिंह से, जो IAS अफसर होने के साथ सामाजिक कार्यकर्ता और अभिनेता भी हैं!

अभिषेक एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। कोविड की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने घर-घर ऑक्सीजन पहुंचाने का काम किया, तो वैक्सिनेशन को आसान बनाने के लिए 'यूनाइटेड बाई ब्लड' नाम की संस्था के जरिये ड्राइव-इन वैक्सिनेशन का कार्यक्रम भी शुरू किया।

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नवजीवन डेस्क

शुरुआत में जरा अजीब सा लगता है- एक म्युजिक वीडियो में एक आईएएस अफसर को उदास प्रेमी की भूमिका में देखना। परदे पर अभिषेक सिंह एक भावपूर्ण चेहरे वाले युवा अदाकार लगते हैं, जो पूरी मेहनत से अभिनय के हुनर को पैना करने में लगा है। लेकिन अभिषेक इससे कहीं ज्यादा बहुआयामी शख्सियत रखते हैं। वो एक आईएएस अफसर हैं और ये संयोग ही है कि वे अभिनेता हो गए।

एक लोकप्रिय वेब सीरीज 'डेल्ही क्राइम' में आईएएस अफसर की भूमिका करने के बाद उन्हें पंजाबी गायक बी प्राक और लोकप्रिय हिंदी गायक जुबिन नौटियाल के म्यूजिक वीडियो में काम करने का ऑफर मिला। दोनों ही म्यूजिक वीडियोज युवा पीढ़ी में खूब मशहूर हुए और अब अभिषेक जल्द ही एक फिल्म करने वाले हैं। साथ ही वे लोकप्रिय रैपर बादशाह के वीडियो में भी नजर आएंगे।

लेकिन अभिषेक की शख्सियत बस इतने भर से बयान नहीं की जा सकती। अभिषेक एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। कोविड की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने घर-घर ऑक्सीजन पहुंचाने का काम किया, तो वैक्सिनेशन को आसान बनाने के लिए 'यूनाइटेड बाई ब्लड' नाम की संस्था के जरिये ड्राइव-इन वैक्सिनेशन का कार्यक्रम भी शुरू किया।

सामाजिक काम की शुरुआत हुई थी 'सिग्मा' नाम की संस्था की स्थापना से। सिग्मा एक ऐसा मंच था जो पढ़े-लिखे युवाओं और एम्प्लोयेर्स को एक साथ लाता था ताकि दोनों की जरूरतों को एक ही मंच पर पूरा किया जा सके। पिछले साल लॉकडाउन के बाद इस संस्था ने जरूरतमंद प्रवासी मजदूरों की भी बहुत मदद की।

लेकिन अभिषेक के दिल के सबसे करीब है उनका 'प्रोजेक्ट होप'। पूर्वी दिल्ली के एक छोटे से सरकारी स्कूल के मुआयने के दौरान अभिषेक ने स्कूल की खस्ता हालत देख कर ठान लिया कि वो इस स्कूल की रंगत बदल देंगे। उन्होंने बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित करने से शुरुआत की और सभी माता-पिता इस पहल में उनके साथ आ गए, जो कुछ भी थोडा-बहुत कर सकते थे, किया। धीरे-धीरे कुछ मशहूर शख्सियत भी स्कूल से जुड़ गईं और स्कूल की सूरत बिलकुल बदल गई।

अभिषेक कहते हैं, "मैं बस यही करना चाहता हूं। लोगों को साथ लाकर लोगों के बीच उनके लिए ही काम करना। आखिर ये व्यवस्था हमारे लिए ही तो है। हमें मिल कर ही इसे 'मोबिलाईज' करना होगा"।

आज के अंधेरे, उदास समय में अभिषेक का ये जज्बा हमारे लिए भी उम्मीद की एक लौ है कि ज्यादा से ज्यादा युवा लोग एकसाथ आएं, लोगों को साथ लेकर काम करें ताकि हमारी लचर होती व्यवस्था में भी नए प्राण का संचार हो और एक समाज के तौर पर हम बेहतर बन सकें।

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