वीडियो- मोदी सरकार द्वारा शुरु किया जा रहा एनपीआर दरअसल एनआरसी ही है: अजय माकन

कैबिनेट की बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी का आपस में कोई संबंध नहीं है। उनका यह बयान उन तमाम बातों और दस्तावेजों के संदर्भ में झूठा साबित होता है जो सरकार कहती रही है और जिसके दस्तावेज़ी और वीडियो सबूत मौजूद हैं।

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नवजीवन डेस्क

नागरिकता संशोधन कानून और इसके कॉम्बो पैकेज एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स को लेकर पूरे देश में जबरदस्त विरोध हो रहा है। वजह साफ है कि नागरिकता कानून में धर्म के आधार पर बदलाव किए गए हैं, और इस कानून का मसौदा पेश करते वक्त मोदी सरकार ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने की घोषणा की है।

सीएए और एनआरसी पर अभी विरोध शांत भी नहीं हुए हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एनपीआर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। है। कैबिनेट की बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी का आपस में कोई संबंध नहीं है। उनका यह बयान उन तमाम बातों और दस्तावेजों के संदर्भ में झूठा साबित होता है जो सरकार कहती रही है और जिसके दस्तावेज़ी और वीडियो सबूत मौजूद हैं।

आखिर 2011 में हुई जनगणना और 2010 के एनपीआर और 2021 में होने वाली जनगणना और 2020 के एनपीआर में कितना फर्क है, यह समझने के लिए हमने बात की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन से। आपको बता दें कि 2011 में जब जनगणना हुई थी तो उस समय अजय माकन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और जनगणना 2011 के इंचार्ज थे। ऐसे में एनपीआर और एनआरसी के परस्पर संबंध को उनसे बेहतर कौन समझा सकता है।

अजय माकन ने स्पष्ट बताया कि मौजूदा एनपीआर और पिछले एनपीआर में जमीन आसमान का फर्क है। उन्होंने एनपीआर के जारी 2010 के फार्मेट और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे 2020 के एनपीआर फार्मेट को सामने रखते हुए बताया कि नए फार्मेट में जो बातें पूछा जा रही हैं या पूछने की मंशा है उसका एनपीआर से न तो कोई लेना देना है और न ही इसकी जरूरत है।

उन्होंने बताया कि एनपीआर देश के साधारण नागरिकों का रजिस्टर है, जिसकी परिभाषा संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय की गई है। इसके तहत ऐसा साधारण व्यक्ति जो किसी स्थान पर बीते 6 महीने एक दिन से रह रहा है और आने वाले 6 महीने के लिए उसी स्थान पर रहने की मंशा जताता है, तो उसका ब्योरा एनपीआर में दर्ज होना चाहिए। इसमें व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि, लिंग, शैक्षणिक योग्यता जैसी साधारण जानकारियां दर्ज होनी होती हैं।

पूर्व गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने बताया कि मौजूदा सरकार के एनपीआर का फार्मेट जो कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसके मुताबिक ऐसी जानकारियां एनपीआर के नाम पर मांगी जा रही हैं, जिनका एनपीआर से संबंध नहीं है और जो निजता का भी उल्लंघन करती हैं। उन्होंने बताया कि नए फार्मेट को लेकर सरकारी स्तर पर कोई खंडन सामने नहीं आया है। नए फार्मेट में बुनियादी जानकारियों के अलावा नागरिक के माता-पिता की जन्मतिथि और जन्म के स्थान की जानकारी मांगी जाएगी। इसके अलावा इससे पहले कहां रहते थे, वह जानकारी देनी होगी। साथ ही आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड नंबर और मोबाइल नंबर भी देना होगा। अजय माकन ने बताया कि कुल मिलाकर एनपीआर 2020 को एनआरसी भी माना जा सकता है।

उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अंश सामने रते हुए स्पष्ट किया, जिसमें लिखा है कि एनपीआर दरअसल एनआरसी के लिए उठाया गया पहला कदम है।

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