मनरेगा में सिर्फ गड्ढे नहीं खोदे गए, मजदूरों को जब समझ आएगा संगठित होंगे: अर्थशास्त्री रितिका खेरा

प्रोफेसर रीतिका खेरा ने कहा कि परसेप्शन से परे हमें देखना होगा कि जल संचयन और बागबानी को लेकर मनरेगा में कितने काम हुए। सड़कों का कितना निर्माण हुआ और पलायन के संकट के साथ सूखे की स्थिति में मनरेगा कितनी कारगर रही। उन्होंने कहा कि मनरेगा थी, है और रहेगी।

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नवजीवन डेस्क

लेखिका, अर्थशास्त्री और IIT दिल्ली की प्रोफेसर रीतिका खेरा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा मनरेगा को रद्द किए जाने के बाद नवजीवन से बात करते हुए कहा कि मनरेगा में सिर्फ गड्ढे नहीं खोदे गए। परसेप्शन से परे हमें देखना होगा कि जल संचयन और बागबानी को लेकर मनरेगा में कितने काम हुए। सड़कों का कितना निर्माण हुआ और पलायन के संकट के साथ सूखे की स्थिति में मनरेगा कितनी कारगर रही। उन्होंने कहा कि मनरेगा थी, है और रहेगी... देश के मजदूर किसानों की तरह लंबी लड़ाई लड़ पाएंगे, यह कहना मुश्किल होगा, लेकिन जब उन्हें पता चलेगा कि मनरेगा को खत्म कर दिया गया है, वह संगठित होंगे। देखिए अर्थशास्त्री प्रोफेसर रितिका खेरा के साथ यह वीडियो बातचीत - 

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