राहुल गांधी ने साझा किया पाकिस्तानी गोलीबारी से प्रभावित पूंछ का दर्द, सरकार से राहत पैकेज देने की मांग की
राहुल गांधी ने पाकिस्तानी गोलीबारी से प्रभावित पूंछ के अपने दौरे का वीडियो शेयर कर कहा कि पुंछ का दर्द वहां जा कर ही महसूस होता है। उन्होंने सरकार से पाक गोलाबारी से प्रभावित पुंछ और अन्य इलाकों के लिए ठोस और तात्कालिक राहत व पुनर्वास पैकेज की मांग की।
राहुल गांधी ने पाकिस्तानी गोलीबारी से प्रभावित पूंछ के अपने दौरे का वीडियो शेयर कर कहा कि पुंछ का दर्द वहां जा कर ही महसूस होता है। उन्होंने सरकार से पाक गोलाबारी से प्रभावित पुंछ और अन्य इलाकों के लिए ठोस और तात्कालिक राहत व पुनर्वास पैकेज की मांग की।
उन्होंने कहा कि हाल ही में मैंने पूंछ का दौरा किया, जहां पाकिस्तानी गोलीबारी में 4 मासूम बच्चों सहित 14 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई और दर्जनों लोग घायल हैं। इस अचानक और अंधाधुंध हमले ने आम जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है। सैकड़ों घर, दुकानें, स्कूल और धार्मिक स्थल बुरी तरह तबाह हो गए हैं। टूटे मकान, बिखरा सामान, नम आंखें और हर कोने में अपनों को खोने की दर्द भरी दास्तान- यह सब अपनी आंखों से देखने पर ही इस तबाही की गंभीरता का अहसास होता है। कई पीड़ितों ने बताया कि उनकी वर्षों की मेहनत और बचत एक झटके में राख हो गई। यह सिर्फ एक युद्ध का collateral damage नहीं, बल्कि अपने ही नागरिकों पर टूटी एक भारी विपदा है। इन वीर देशभक्त परिवारों ने हर बार सीमावर्ती इलाकों में जंग का सबसे बड़ा बोझ साहस, गरिमा और संकल्प के साथ उठाया है। उनकी हिम्मत और देशप्रेम को मैं शत-शत नमन करता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि पुंछ और सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों के लोग दशकों से शांति और भाईचारे के साथ जीते आए हैं, लेकिन अब जब वे इस गहरे संकट से गुजर रहे हैं, तो हमारा यह नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है कि हम उनके साथ मज़बूती से खड़े रहें। पुंछ का दर्द वहां जा कर ही महसूस होता है। टूटे आशियाने, बिखरी जिंदगियां- मगर इस दर्द की गूंज से एक ही आवाज़ आती है: हम हिन्दुस्तानी एक हैं। मैं पीड़ित परिवारों से मिला। उनकी आंखों में आंसू थे, पर शब्दों में मजबूती और विश्वास था - मैं वादा करता हूं कि उनकी हर मांग, हर मुद्दा, राष्ट्रीय स्तर पर पूरी ताकत से उठाऊंगा। यह केवल आग्रह नहीं है, सरकार को उसके दायित्व की याद दिला रहा हूं - पाकिस्तान की गोलाबारी से प्रभावित पुंछ और अन्य सीमावर्ती इलाकों के लिए ठोस, उदार और तात्कालिक राहत व पुनर्वास पैकेज तुरंत तैयार किया जाए। यह मदद नहीं, फ़र्ज़ है।
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