वीडियो: राजीव बजाज से राहुल बोले- गरीबों, मजदूरों के लिए कोरोना महामारी है विनाशकारी, लोगों ने खोया आत्मविश्वास

राहुल गांधी ने राजीव बजाज से संवाद करते हुए कहा कि कोरोना वायरस से समृद्ध लोग इससे निपट सकते हैं। उनके पास घर है, आरामदायक माहौल है, लेकिन गरीब लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए यह पूरी तरह से विनाशकारी है। उन्होंने वास्तव में आत्मविश्वास खो दिया है।

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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए एक सीरीज की शुरुआत की गई है, जिसमें वह एक्सपर्ट से चर्चा कर रहे हैं। आज इसी कड़ी में राहुल गांधी ने उद्योगपति राजीव बजाज से बात की।

इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना वायरस से समृद्ध लोग इससे निपट सकते हैं। उनके पास घर है, आरामदायक माहौल है, लेकिन गरीब लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए यह पूरी तरह से विनाशकारी है। उन्होंने वास्तव में आत्मविश्वास खो दिया है। काफ़ी लोगों ने बोला है कि भरोसा खो दिया है, भरोसा ही नहीं बचा और और मुझे लगता है कि यह बहुत दुखद और देश के लिए खतरनाक है।

इस पर राजीव बजाज ने कहा कि मुझे शुरू से ही लगता है, यह मेरा विचार है, इस समस्या के दृष्टिकोण के बारे में में मैं यह नहीं समझता कि एशियाई देश होने के बावजूद हमने पूरब की तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। हमने इटली, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका को देखा। जो वास्तव में किसी भी मायने में सही बेंचमार्क नहीं हैं। चाहे यह जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता हो से लेकर तापमान, जनसांख्यिकी, आदि हो। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने जो कुछ भी कहा है, वो यही है कि हमें इनकी तरफ कभी नहीं देखना चाहिए था।

उन्होंने आगे कहा कि अगर मेडिकल की दृष्टि से देखा जाए, तो एक बेहतरीन में स्वास्थ्य ढांचा स्थापित करने से शुरू करना होगा। हम सभी जानते हैं कि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए ऐसा कोई भी चिकित्सा ढांचा नहीं हो सकता, जो पर्याप्त हो। लेकिन कोई भी हमें यह बताने के लिए तैयार नहीं कि कितने प्रतिशत लोग खतरे में हैं? यह ऐसा दिखता है कि या तो हम खुद को तैयार कर रहे हैं या शायद हम खुद को तैयार नहीं कर सकते हैं। शायद यह कहना राजनीतिक रूप से उचित नहीं है। लेकिन जैसा कि नारायण मूर्ति जी हमेशा कहते हैं, जहां संदेह होता है, वहां खुलासा होता है। मुझे लगता है कि हमारे यहां खुलासा करने और सच्चाई के मामले में कमी रह गई और फिर यह बढ़ता गया और लोगों में इतना बड़ा भय पैदा कर दिया है कि लोगों को लगता है कि यह बीमारी एक संक्रामक कैंसर या कुछ उसके जैसी है। और अब लोगों के दिमाग को बदलने और जीवन पटरी पर लाने और उन्हें वायरस के साथ सहज बनाने की नई नसीहत सरकार की तरफ से आने वाली है। इसमें लंबा समय लगने वाला है।

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