वीडियो: पोंगल पर तमिलनाडु में फिर खेला गया विवादित ‘जल्लीकट्टू’, सांडों की रेस में 2014 में गई थी 17 की जान

मकर संक्रांति के मौके पर तमिलनाडु में मदुरै के अवनियापुरम में सांडों को काबू में करने के परम्परागत खेल ‘जल्लीकट्टू’ का आयोजन किया गया है। पोंगल की शुरुआत के साथ ही मदुरै में जल्लीकट्टू का खतरनाक खेल खेलने के लिए युवा अखाड़े में नजर आए।

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नवजीवन डेस्क

मकर संक्रांति के दिन तमिलनाडु में सूर्य उपासना का त्योहार पोंगल मनाया जा रहा है। इस दौरान मदुरै में विवादित जल्लीकट्टू खेल का आयोजन किया गया। पोंगल की शुरुआत के साथ ही मदुरै में जल्लीकट्टू का खतरनाक खेल खेलने के लिए युवा अखाड़े में नजर आए।

जल्लीकट्टू के लिए तमिलनाडु सरकार ने इस साल नए नियम-कानून जारी किए हैं। जल्लीकट्टू में हिस्सा ले रहे सभी सांडों के नाम पर टोकर जारी किए गए हैं, ताकि नुकसान की संभावना न के बराबर हो। राज्य सरकार ने ये नोटिफिकेशन पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 2 और 2017 के संशोधित अधिनियम के तहत जारी किया है।

बता दें कि ये खेल उस वक्त विवादों में आया। जब 2014 में जल्लीकट्टू खेल के दौरान 17 लोगों की जान चली गई थी और 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सांडों की इस लड़ाई वाले खेल जल्लीकट्टू को बैन कर दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया और सांडों को काबू करने से जुड़े इस खेल को फिर से शुरू कर दिया। इस पर बैन को लेकर राज्य में काफी प्रदर्शन हुआ था।

क्या है जल्लीकट्टू?


जल्लीकट्टू तमिलनाडु का प्राचीन खेल है। फसलों की कटाई के मौके पर पोंगल के दौरान इसका आयोजन किया जाता है। जल्ली का अर्थ होता है सिक्का और कट्टू का मतलब बांधा हुआ। इसमें भारी-भरकम सांडों की सींगों में सिक्के या नोट फंसाकर रखे जाते हैं और फिर उन्हें भीड़ में छोड़ दिया जाता है। सींगों को पकड़कर सांड पर काबू पाना होता है। सांडों के सींग में कपड़ा बंधा होता है जिसे इनामी राशि पाने के लिए निकालना होता है।

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Published: 15 Jan 2019, 12:58 PM