दिल्ली में उतर आई थीं अजंता की गुफाएं

देश के तमाम ऐसे स्थल हैं, जो आज भी न सिर्फ विस्मित करते हैं, बल्कि इतिहास से रूबरू भी कराते हैं। ऐसी ही एक जगह है अजंता की गुफाएं। इस बार ये गुफाएं दिल्ली में उतर आई थीं

फोटो : काजी मोहम्मद रागिब
फोटो : काजी मोहम्मद रागिब

आपने अजंता की गुफाओं के बारे में तो सुना ही होगा। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित अजंता गुफाओं की चित्रकारी भारतीय संस्कृति का अमूल्य खजाना है। कई बार आप घूमने की योजना बनाते होंगे, लेकिन किसी कारणवश आपका कार्यक्रम निरस्त हो जाता हैं। लेकिन इस बार आईजीएनसीए के नाम से मशहूर दिल्ली का इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र आपके लिए अजंता की गुफाओं को दिल्ली ले आया था।

दिल्ली में उतर आई थीं अजंता की गुफाएं

इस प्रदर्शनी में अजंता की गुफाओं को स्केल मॉडल द्वारा दिखाया गया। सबसे बड़ा आकर्षण था, अजंता से एक पेंटिंग की एक 72 फीट लंबी तस्वीर। इस प्रदर्शनी पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी का कहना है कि, “अजंता गुफाओं के बारे में अपने शोध और शैक्षिक गतिविधियों की कड़ी में आईजीएनसीए ने ‘ग्लोरियस अजंता-रिसर्च एंड रेस्टोरेशन एग्जिबिशन’ का आयोजन किया।”

इसके लिए आईजीएनसीए ने प्रसाद पवार फाउंडेशन के सहयोग से अपनी ट्विन आर्ट गैलरी में प्रसाद पवार द्वारा उतारी गई अद्भुत तस्वीरों, पेंटिंग और कुछ मॉडल द्वारा अजंता को दर्शकों के लिये प्रस्तुत किया।।

दिल्ली में उतर आई थीं अजंता की गुफाएं

जोशी का कहना था कि, “आज जब हम अजंता की पेंटिंग्स को देखते हैं तो हम उन महान चित्रकारों के आगे नतमस्तक हो जाते हैं, जिन्होंने ये चित्र बनाये, ये दुर्भाग्य की बात है की हम उन महान चित्रकारों का नाम नहीं जानते, इन महान चित्रकारों ने कभी अपने नाम की चिंता नहीं की, वे केवल रचनात्मकता लिए चिंतित रहे, वो जानते थे की ये चित्र युगों तक संरक्षित रहेंगे फिर भी उन्होंने कभी अपना नाम चित्रों के साथ अंकित नही किया। आज जब हम अजंता के चित्रों के बारे में सोचते हैं तो हमें आश्चर्य होता है की वो महान चित्रकार कौन रहेंगे होंगे जिन्होंने इन चित्रों को बनाया होगा, इसलिए हमे हमेशा उन अज्ञात मगर महान कलाकारों का और उनकी उच्च स्तर की रचनात्मकता का सम्मान करते रहना चाहिए।”

फोटोग्राफर प्रसाद पंवार के अनुसार, “2000 वर्ष पहले अजंता की दीवारों पर जातक कथाओं के माध्यम से भगवान बुद्ध के पुनर्जन्म की कहानियां का चित्रण किया गया था जो आज भी भगवान बुद्ध के शांति संदेश के साथ विश्व को प्रबुद्ध कर रहे हैं, लेकिन समय के साथ-साथ अजंता की चित्रकला शैली अंधेरे में लुप्त होती जा रही है, प्रसाद पंवार फाउंडेशन का एक मात्र लक्ष्य अजंता की भव्यता को पुनः स्थापित करके उसे भविष्य की पीढ़ी के लिए संरक्षित रखना है |

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