कोरोना वायरस की वजह से देश के कई राज्यों में लॉकडाउन का ऐलान किया गया है। इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों के उन 75 जिलों को लॉकडाउन करने के निर्देश दिए गए हैं जहां कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस पाए गए। जहां-जहां लॉकडाउन लगा है, वहां सीमाएं सील कर दी गई हैं। साथ ही सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर भी बड़े स्तर पर रोक लगा दी गई। कई लोग इस स्थिति को कर्फ्यू से जोड़कर देख रहे हैं। पंजाब में लॉकडाउन के साथ-साथ कर्फ्यू की भी घोषणा कर दी गई है। ऐसे में लोगों के लिए लॉकडाउन और कर्फ्यू में फर्क करना काफी मुश्किल हो गया। हम आपको बताते हैं कि कर्फ्यू और लॉकडाउन में क्या फर्क होता है।
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क्या है कर्फ्यू?
सबसे पहले बात करते हैं कर्फ्यू की, कर्फ्यू के दौरान लोगों को अपने घरों से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है। हां अगर कोई इमरजेंसी हो तो लोग बाहर जा सकते हैं। इसका प्रमुख मकसद लोगों को सड़कों से दूर रखने का होता है। कर्फ्यू बेहद कड़ा मैंडेट है, जिसके तहत लोगों को निश्चित समय के लिए घरों में ही रहना होता है। इसका उल्लंघन करने वालों को जेल में डाला जा सकता है।
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क्या है लॉकडाउन?
बड़ी संख्या में लोगों को क्वारैंटाइन में रखने के दौरान लॉकडाउन सबसे बेहतर स्थिति होती है। यह आमतौर पर तब लगाया जाता है, जब लोगों के क्वारैंटाइन की स्थिति इमरजेंसी जैसी हो जाती है। यानी किसी एक जगह को सीमित करने के लिए लॉकडाउन प्रतिबंध लगाने का तरीका होता है। इस स्थिति में लोगों को घर छोड़ने और बाहर घूमने के लिए सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। जिन जगहों पर लॉकडाउन होता है, वहां के लोग आपात स्थितियों के अलावा एक निश्चित इलाके से बाहर नहीं जा सकते।
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कर्फ्यू और लॉकडाउन में अंतर?
कर्फ्यू और लॉकडाउन के बीच प्रशासनिक गतिविधियों का फर्क होता है। आमतौर पर कर्फ्यू बेहद गंभीर स्थिति में लगाया जाता है। चूंकि इसमें छूट बेहद कम होती है, इसलिए कर्फ्यू के दौरान सिर्फ वही सेवाएं चालू रहती हैं, जो बेहद जरूरी हों। जब किसी इलाके में अगर दंगे या हिंसा होती है और प्रशासन स्थिति पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाता है। जितनी देर कर्फ्यू रहता है, उतनी देर जरूरी सेवाएं जैसे बाजार और बैंक भी बंद रहते हैं। जब कर्फ्यू में ढील दी जाती है, तभी ये सारी सेवाएं भी लोगों को मुहैया कराई जाती हैं।
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