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दिल्ली में भी NPR-NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित, केजरीवाल ने अमित शाह को दी जन्म प्रमाण पत्र दिखाने की चुनौती

दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं गृहमंत्री अमित शाह को सरकार द्वारा जारी किए जन्म प्रमाण पत्र दिखाने की चुनौती देता हूं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक प्रस्ताव पास कर दिया है। यह प्रस्ताव दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पेश किया। इस प्रस्ताव के माध्यम से केंद्र सरकार को एनपीआर और एनआरसी के बीच संबंध स्पष्ट करने को कहा गया है। प्रस्ताव के जरिए एनपीआर का विरोध करते हुए गोपाल राय ने कहा, "एनपीआर और एनआरसी को अलग करके नहीं देखा जा सकता। ये दोनों कानून एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एनपीआर और एनआरसी सिर्फ किसी एक समुदाय को धोखा नहीं हैं, बल्कि भारत के हर एक नागरिक की नागरिकता को धोखा है।"

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गोपाल राय ने विधानसभा में कहा, “अगर हमारे पास कागज नहीं हैं तो क्या हम अपने ही देश में बाहरी घोषित किए जाएंगे।” उन्होंने कहा, “सरकार एनपीआर और एनआरसी को वापस ले। इससे जुड़ी हुई सभी कावायदें रोक दी जाएं। अगर इसे लागू करना ही है तो एनपीआर को उसके उसी पुराने प्रारूप में लाया जाए। इसमें कोई नया बिंदु या प्रावधान शामिल न किया जाए।”

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वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने सिर्फ एनपीआर पर बात की है, उन्होंने एनआरसी पर कुछ नहीं कहा। केजरीवाल ने कहा, “'एनपीआर के इंफॉर्मेशन कलेक्ट किया जाएगा। बाद में उसी के आधार पर एनआरसी होगा। अभी अगर एनपीआर हो गया तो उसके बाद कुछ नहीं बचेगा। फिर तो एनआरसी होकर रहेगा। एनआरसी तो होना ही है। राष्ट्रपति जी ने कह दिया कि एनआरसी होगा, गृहमंत्री ने कहा दिया किया एनआरसी होगा...एनआरसी तो होगा ही होगा।” उन्होंने कहा कि अमित शाह ने कल ये कहा है कि एनपीआर में डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएंगे, उन्होंने ये नहीं कहा कि एनआरसी में डॉक्यूमेंट नहीं मांगे जाएंगे। एनआरसी में तो डॉक्यूमेंट मांगे जाएंगे।

केजरीवाल ने कहा कि सरकार ये कह रही है कि एनआरसी पर कोई ड्राफ्ट तैयार नहीं हुआ है। जब चिड़िया खेत चुग जाएगी तब पछताने से क्या होगा। उन्होंने कहा, ''गृहमंत्री अमित शाह ने ने देश को एक क्रोनोलॉजी बताई थी। पहले सीएए आएगा, फिर एनपीआर आएगा और फिर एनआरसी आएगा। ये तीनों कानून एक दूसरे से जुड़े है। देश के सारे लोगों की नागरिकता पर ये सवाल उठाएंगे।”

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दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं गृहमंत्री अमित शाह को सरकार द्वारा जारी किए जन्म प्रमाण पत्र दिखाने की चुनौती देता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे और मेरे परिवार के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पूरे मंत्रिमंडल के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, ऐसे में एनपीआर के तहत हम सभी को डिटेंशन सेंटर में जाना पड़ेगा।

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आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक आतिशी मार्लेना ने एनपीआर के विषय में कहा, “एनआरसी और एनपीआर को लेकर आज पूरे देश में दहशत मची हुई है, क्योंकि जो कागज एनआरसी और एनपीआर के लिए मांगे जाएंगे, मुझे नहीं लगता कि 80 से 90 फीसदी लोगों के पास वे कागज होंगे।”

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आतिशी ने कहा, “इस विधानसभा सदन में ही आधे से ज्यादा लोगों के पास अपने जन्म प्रमाण-पत्र नहीं हैं और तकरीबन सभी के पास अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण-पत्र भी नहीं होगा। पहले लोग अपना जन्म प्रमाण-पत्र नहीं बनवाते थे। अधिकांश के जन्म गांव-देहात में हुए हैं। इन सबके अलावा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत हमें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए लाइनों में खड़ा होना होगा। अगर हमारे पास कागज नहीं हुए तो बिना किसी पूछताछ के लोगों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा। असम के डिटेंशन सेंटर की कहानियों से पूरा देश दहशत में है।”

आप विधायक राघव चड्ढा ने कहा, “असम में एनआरसी की प्रक्रिया के तहत 19 लाख लोग बाहर हुए हैं। उसमें पांच लाख मुस्लिम और 14 लाख हिंदू हैं। एनपीआर और एनआरसी हर भारतीय के लिए बड़ा धोखा है।”

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राघव ने कहा, “अगर आपके पास जन्म प्रमाण-पत्र नहीं है तो चाहे आप किसी भी धर्म के हों, आपको डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा। आपको इस देश का नागरिक नहीं माना जाएगा।”

आप विधायक जरनैल सिंह ने कहा, “जैसे नोटबंदी से नुकसान हुआ और बेहिसाब परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ, वैसे ही एनपीआर और एनआरसी लागू करने से भी परेशानी और नुकसान के अलावा कुछ हासिल नहीं होने वाला। बेरोजगारी, बैंकों के घोटाले, गिरती जीडीपी, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, सरकार की नाकामियों से ध्यान हटाने का नाम है एनपीआर और एनआरसी।”

बता दें कि एनपीआर, एनआरसी के खिलाफ कई राज्य प्रस्ताव पास कर चुके हैं। दिल्ली से पहले बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान , मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी और केरल प्रस्ताव पास कर चुके हैं।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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