उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में कानून व्यवस्था जैसे चरमरा गई है। राज्य में आए दिन भीड़ की हिंसा देखने को मिल रही है। कभी गौकशी के नाम पर भीड़ का तांडव देखने को मिल रहा है तो कभी किसी और नाम पर। अभी बुलंदशह हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर के आरोपी की ठीक से पहचान तक नहीं हो पाई थी कि गाजीपुर में हुई भीड़ की हिंसा में कांस्टेल सुरेश वत्स को अपनी जान गंवानी पड़ी।
उत्तर प्रदेश में भीड़ कि हिंसा से पुलिस-प्रशासन त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है और उनके परिजन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर भीड़ के सामने पुलिस इतानी बेबस क्यों है? गाजीपुर हिंसा में शहीद हुए कांस्टेबल के बेटे ने यही सवाल पूछा। शहीद कांस्टेबल सुरेश वत्स के बेटे वीपी सिंह ने मीडिया से बात करते हुए राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “पुलिस खुद की सुरक्षा नहीं कर पा रही है। ऐसे में उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है। हम मुआवजे का क्या करेंगे। इससे पहले बुलंदशहर और प्रतापगढ़ में भी ऐसी ही घटना हुई थी।”
Published: 30 Dec 2018, 11:12 AM IST
कांस्टेबल सुरेश वत्स के बेटे ने योगी सरकार और उसकी कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। सवाल बेहद जायज है कि अगर राज्य की पुलिस खुद की सुरक्षा नहीं कर पाती है तो उससे और क्या उम्मीद की जाएगी। शहीद कांस्टेबले के बेटे का जवाब शायद योगी सरकार के पास नहीं।
इससे पहले बुलंदशहर हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी ने इसी तरह के सवाल पूछे थे। और पति के आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उन्हें सजा दिए जाने की मांग की थी। लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी पुलिस बुलंदशहर हिंसा की गुत्थी सुलझा नहीं पाई है। अलग-अलग गिरफ्तारियों में अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। ऊपर से बीजेपी के विधायक और नेता इस मामले में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को ही दोषी ठहराने में जुटे हुए हैं। अभी शनिवार को ही बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने अपने बयान में कहा था कि बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार निराश हो गए थे। वह निराशा में गोली चला रहे थे और वह गोली उन्हीं को लग गई।
Published: 30 Dec 2018, 11:12 AM IST
बीजेपी विधायकों और नेताओं के शर्मनाक बयान और पुलिस द्वारा अब तक बुलंदशहर हिंसा की गुत्थी नहीं सुलझाए जाने पर शनिवार को कांग्रेस पार्टी ने राज्य की योगी सरकार पर सवाल खड़े किए थे। कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि बुलंदशहर हिंसा की एक कार्यरत जर्ज से न्यायिक जांच कराई जाए। लेकिन इस मामले की सिटिंग जज से जांच कराए जाने से पहले शनिवार को ही गाजीपुर में हिंसा हो गई। सवाल यह है कि आखिर कब तक यूपी पुलिस के जवान भीड़ की हिंसा के शिकार होते रहेंगे?
Published: 30 Dec 2018, 11:12 AM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 30 Dec 2018, 11:12 AM IST