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Chandrayaan-1 ने 2008 में रखी थी भविष्य के अंतरिक्ष मिशन की बुनियाद, जानिए चंद्रयान-2 तक कैसा रहा भारत का सफर

चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान, एम. अन्नादुरई की देखरेख में डिजाइन किया गया था। उन्होंने बताया कि उपग्रहों से संचार स्थापित करना बहुत मुश्किल काम है। अन्नादुरई ने कहा कि चंद्रमा, पृथ्वी से तीन लाख 86 हजार किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

भारत ने अपने पहले चंद्र मिशन के रूप में पहली बार 2008 में 'चंद्रयान-1' लॉन्च किया था। संस्कृत और हिंदी के शब्दों से जोड़कर इस मिशन का नामकरण किया गया था, जिसमें 'चंद्र' का अर्थ चंद्रमा और 'यान' का अर्थ वाहन है। भारत के पहले मंगल मिशन की नींव 386 करोड़ रुपये के साथ रखी गई। यह मिशन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसने देश को भविष्य में होने वाले अंतरिक्ष मिशन के लिए तकनीकी और बुनियादी ढांचा प्रदान किया।

Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST

चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान, एम. अन्नादुरई की देखरेख में डिजाइन किया गया था। उन्होंने बताया कि उपग्रहों से संचार स्थापित करना बहुत मुश्किल काम है। अन्नादुरई ने कहा कि चंद्रमा, पृथ्वी से तीन लाख 86 हजार किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है, जोकि संचार उपग्रहों की कक्षा से 10 गुना अधिक दूरी है।

Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST

परिणामस्वरूप, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संकेतों को प्राप्त करने और संचारित करने के लिए कहीं अधिक उन्नत सेंसर विकसित किए।

अन्नादुरई ने कहा, “इसरो के ट्रैकिंग अधिकारियों को अंतरिक्ष यान दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन आखिरकार चंद्रयान-1 को देखे बिना ही यह प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया। मंगल मिशन के दौरान इस अनुभव ने हमारी मदद की।”

Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST

22 अक्टूबर, 2008 को 1,380 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को भारतीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) द्वारा सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में भेजा गया था। अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक परिक्रमाएं कीं। यह 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक चालू अवस्था में था। इसके बाद इसके स्टार सेंसर गर्मी की वजह से क्षतिग्रस्त हो गए थे।

Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST

उन्होंने बताया कि यह अंतरिक्ष यान अपने साथ कुल 11 प्रायोगिक पेलोड ले गया था। इसमें पांच भारतीय और छह विदेशी पेलोड शामिल थे। इसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के तीन, अमेरिका के दो और बल्गेरियाई एकेडमी ऑफ साइंसेज का एक पेलोड शामिल था।

Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST

इसके साथ ही भारत चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था। चंद्रयान-1 ने निर्णायक तौर पर चंद्रमा पर पानी के निशान भी खोजे, जोकि इससे पहले कभी नहीं किया गया था। इसके साथ ही चंद्रयान-1 ने चांद के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में पानी से बनी बर्फ का भी पता लगाया।

इसने चंद्रमा की सतह पर मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम और सिलिकॉन का भी पता लगाया। चंद्रमा की इस तरह की तस्वीर इस मिशन की एक और उपलब्धि है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST

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Published: 08 Sep 2019, 11:44 AM IST