कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्रीय बजट के कई पहलुओं को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस सरकार ने भारत की आने पीढ़ियों पर भी कर्ज का बोझ लाद दिया है।
उन्होंने लोकसभा में बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि दुनिया में कई आर्थिक विचार रहे जो परिवर्तनकारी साबित हुए, लेकिन इस सरकार का सबसे बड़ा विचार ‘नोटबंदी’ अपने एक भी उद्देश्य को पूरा नहीं कर सका।
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तिवारी के अनुसार, आज भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन 35.99 लाख करोड़ रुपये है, जबकि नोटबंदी के समय यह राशि 16 लाख करोड़ रुपये से अधिक ही थी।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि वर्ष 2024-25 में वित्तीय घाटे में मामूली कमी आई है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने बहुत ही चतुराई से वित्तीय घाटे के मापने के तरीके को बदल दिया।
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उन्होंने सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मौजूद नहीं होने पर सवाल उठाया और दावा किया कि यह सदन की परंपरा के अनुरूप नहीं है। इस पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि वित्त मंत्री राज्यसभा में हैं।
तिवारी ने कहा कि इस सरकार ने आने वाली पीढ़ियों पर कर्ज का बोझ लाद दिया है। उन्होंने दावा किया कि सरकार द्वारा लगातार उधार लिया जा रहा है और कर्ज बढ़कर 200 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
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कांग्रेस सदस्य ने डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट का उल्लेख करते हुए कहा कि अब यह 87 को पार कर गया है जबकि मई, 2014 में यह 58 पर था।
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तिवारी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (यूपीए) सरकार के समय रुपये में गिरावट को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उम्र के बारे में टिप्पणी की गई थी।उनका कहना था, ‘‘मैं प्रधानमंत्री की उम्र के बारे में टिप्पणी नहीं करूंगा।’’
तिवारी ने सवाल किया कि यदि वर्ष 2017 से 2022 तक भारत का कृषि क्षेत्र पांच प्रतिशत बढ़ रहा था तो मनरेगा का बजट क्यों बढ़ता रहा? तिवारी ने कहा, ‘‘इससे स्पष्ट होता है कि भारत के कृषि क्षेत्र में गंभीर संकट है।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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