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जनगणना को लेकर गंभीर नहीं है मोदी सरकार, आजादी के बाद यह पहली बार हो रहा ऐसा, जयराम रमेश का आरोप

कांग्रेस ने शनिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी भी जनगणना के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, जो 2021 में ही हो जानी चाहिए थी।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

कांग्रेस ने शनिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी भी जनगणना के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, जो 2021 में ही हो जानी चाहिए थी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार इसे (जनगणना) कराने को लेकर गंभीर नहीं है।

पार्टी के महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “जब डेटा प्रधानमंत्री और उनके ढोल बजाने वालों द्वारा फैलाई जा रही कहानी का समर्थन नहीं करता है, तो मोदी सरकार निम्नलिखित में से एक या सभी कार्य करेगी:

“पहला, डेटा तक पहुंच रोक देना; दूसरा, कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना; तीसरा, डेटा को अस्‍वीकार कर देना; चौथा डेटा का प्रकाशन बंद कर देना; और पांचवां डेटा संकलन और प्रकाशन करने वालों को बदनाम करना।''

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उन्होंने कहा, ''उन्‍हें अच्‍छी तरह पता है कि डेटा प्रधानमंत्री के दावों की हवा निकाल देगा। आंकड़ों की बात करें तो 2021 में जो जनगणना होनी चाहिए थी, उसका अभी तक कोई अता-पता नहीं है। आजादी के बाद यह पहली बार है कि सरकार जनगणना कराने को लेकर गंभीर नहीं है।''

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उन्होंने ट्वीट के साथ एक समाचार रिपोर्ट भी संलग्न की जिसमें दावा किया गया कि सरकार ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक के.एस. जेम्स को भर्ती में अनियमितता का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया है। 

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हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जेम्स के निलंबन पर चुप्पी साधे हुए है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के लिए जिम्मेदार है और भारत सरकार की ओर से ऐसे अन्य महत्वपूर्ण कार्य करता है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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