चंडीगढ़ पर अधिकार के दावे को लेकर अब तीसरा पक्ष भी कूद पड़ा है। जी हां, खुद चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम ने आज सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करते हुए कहा कि चंडीगढ़ के लोगों की जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस शहर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बरकरार रखा जाए। इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए चंडीगढ़ में विधानसभा गठित करने की मांग की गई। प्रस्ताव में कहा गया है कि विधानसभा गठित होने से शहरवासी अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शहर की नीतियों एवं भविष्य के निर्णय में सहभागी हो सकेंगे। साथ ही केंद्र के हस्तक्षेप से हरियाणा एवं पंजाब को अपने-अपने राज्य की स्वतंत्र राजधानी विकसित करने के निर्देश दिए जाएं।
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यह होना ही था। यह कहानी मार्च के अंत में अमित शाह के चंडीगढ़ दौरे से शुरू हुई थी। अमित शाह ने अपने दौरे में चंडीगढ़ की कुछ परियोजनाओं के उद्घाटन के साथ ही यहां के कर्मचारियों पर केंद्र के सर्विस रूल लागू करने का ऐलान किया था। 1 अप्रैल से चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर यह सर्विस रूल लागू भी कर दिए गए। इसकी प्रतिक्रिया में पंजाब सरकार ने 1 अप्रैल को ही विस का विशेष सत्र बुलाकर चंडीगढ़ को संपूर्ण तौर पंजाब को देने के लिए प्रस्ताव पास कर दिया। इसके बाद बारी हरियाणा की थी। लिहाजा, पंजाब की प्रतिक्रिया में हरियाणा ने भी 5 अप्रैल को विस का विशेष सत्र बुलाकर चंडीगढ़ पर दावा करने के साथ ही पंजाब के साथ दूसरे विवादों का भी प्रस्ताव पास कर समाधान मांगा। उसी दिन से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि अब चंडीगढ़ भी ऐसा ही करेगा। आज चंडीगढ़ ने नगर निगम की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव कर उससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए चंडीगढ़ के लिए अलग से विधानसभा मांग ली। चंडीगढ़ नगर निगम में पास प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियमों के अधीन लाना एक दूरदर्शी निर्णय है। यह चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की वर्षों से लंबित पड़ी मांग थी। इसके पूरे होने से शहर के 23000 परिवार लाभान्वित हुए हैं। इस बाबत चंडीगढ़ की मेयर सरबजीत कौर का कहना है कि हमने भी इस बारे में सदन में एक बैठक बुलाई, जिसमें चंडीगढ़ के सभी 35 पार्षदों ने हिस्सा लिया।
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उन्होंने कहा कि सदन में हमने प्रस्ताव पास किया है कि चंडीगढ़ यूटी तो रहे ही साथ ही साथ इसे विधानसभा में बदल दिया जाए। इसके अलावा चंडीगढ़ में डेपुटेशन को भी खत्म किया जाए। क्योंकि अब चंडीगढ़ में भी पढ़े लिखे लोग रहते हैं, जो चंडीगढ़ को बेहतर तरीके से चला सकते हैं। चंडीगढ़ को दूसरे राज्यों से आए कर्मचारियों और अधिकारियों की जरूरत नहीं है।
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