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पर्यावरण दिवस विशेष: देश के भूजल दोहन में आई कमी, एसओई रिपोर्ट 2023 में खुलासा

समूचे देश में न सिर्फ भूजल निकासी में कमी आई है बल्कि भू-जल उपलब्धता भी बीते वर्षों के बराबर बनी हुई है।

फोटो सोशलमीडिया
फोटो सोशलमीडिया  

देश में भूजल का आति दोहन एक बड़ा संकट बनता जा रहा है। हालांकि एक राहत की भी खबर है कि समूचे देश में न सिर्फ भूजल निकासी में कमी आई है बल्कि भू-जल उपलब्धता भी बीते वर्षों के बराबर बनी हुई है। वर्ष 2020 में देश में 398 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) भूजल उपलब्धता थी जिसमें से 239 बीसीएम भूजल की निकासी कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए किया गया था जबकि 2022 में कुल 398 बीसीएम भूजल की उपलब्धता में कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए 239 बीसीएम ही निकासी हुई। यानी 2020 की तुलना में 2022 में भूजल निकासी में 6 बीसीएम की कमी आई है।

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नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से 5 जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट ऑफ एनवायरमेंट (एसओई) रिपोर्ट 2023 में यह खुलासा किया है। एसओई रिपोर्ट 2023 के मुताबिक भूजल निकासी का चरण भी सुधरा है। 2020 में भूजल निकासी का चरण 62 फीसदी था जबकि 2022 में यह 60 फीसदी ही रहा।

भू-जल निकासी के विभिन्न चरण होते हैं। इसका मान शुद्ध वार्षिक भूजल की निकासी/ शुद्ध वार्षिक भूजल उपलब्धता के आधार पर निकाला जाता है। इससे पता चलता है कि देश के कुल स्थानों में कितने ऐसे स्थान हैं जहां भू-जल दोहन सुरक्षित श्रेणी में है या कहां पर अति भू-जल दोहन हो रहा है। भू-जल निकासी के चरण में 70 फीसदी तक निकासी को सुरक्षित माना गया है। यानी उदाहरण के लिए यदि जमीन में 100 लीटर भू-जल रिचार्ज किया जा रहा है और उसमें से 70 लीटर पानी की निकासी की जा रही है तो वह सुरक्षित रहेगा।

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इसी तरह 70 से 90 फीसदी तक भूजल की निकासी सेमी क्रिटिकल और 90 से 100 फीसदी तक क्रिटिकल श्रेणी में मानी जाएगी। जबकि 100 फीसदी से भी ज्यादा पानी की निकासी अति भूजल दोहन है। यानी इसका आशय हुआ कि जितना पानी जमीन के अंदर एक वर्ष में रिचार्ज किया गया उससे ज्यादा पानी जमीन से बाहर निकाल लिया गया। और अंत में अति दोहन के बाद जमीन से निकलता है खारा पानी, खारा पानी के स्थानों का बढ़ना एक और चिंता का विषय है।

एसओई रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में न सिर्फ सुरक्षित भूजल दोहन वाले स्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है बल्कि भूजल के दोहन और अति दोहन वाले स्थानों की संख्या घटी है। 2022 में 7089 स्थानों से भू-जल दोहन के नमूने एकत्र किए गए, इनमें कुल 4780 स्थान सुरक्षित, 885 स्थान सेमी क्रिटिकल, 260 क्रिटिकल और अति दोहन वाले स्थानों की संख्या 1006 रही। जबकि 2020 में 6965 नमूने ही लिए गए थे इनमें 4427 स्थान ही सुरक्षित, 1057 स्थान सेमी क्रिटिकल, 270 स्थान क्रिटिकल और 1114 स्थान भूजल के अतिदोहन वाले स्थान थे।

चिंताजनक यह है कि खारा पानी के स्थानों में वृद्धि हुई है। एसओई रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में कुल 97 स्थान खारा पानी वाले थे और 2022 में 158 स्थान खारा पानी वाले हो गए हैं।

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