दिल्ली के शाहीन बाग में CAA के खिलाफ प्रदर्शन के चलते सड़क जाम को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले को पुलिस पर छोड़ दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने मथुरा रोड-कालिंदी कुंज के बीच रोड खोलने को लेकर कहा कि पुलिस कानून के तहत अपना काम करे। हालांकि कोर्ट ने जनहित को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की इजाजत दी। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली और उसे संबंधित विभाग जैसे कि ट्रैफिक पुलिस, केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार जनहित को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करें और रास्ता खुलवाएं। हालांकि कोर्ट की तरफ से इस काम के लिए कोई डेडलाइन नहीं तय की गई है।
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दरसल शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ बीते 15 दिसंबर से लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में युवा से लेकर बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं। करीब एक महीने से 24 घंटों तक चलने वाले इस प्रदर्शन की वजह से वहां के व्यापारियों में नाराजगी है, जिसके चलते वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसके खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रदर्शन के कारण पिछले 27 दिनों से कालिंदी कुंज-शाहीन बाग रोड बंद है। इसकी वजह से हजारों लोगों को अपने गंतव्यों तक पहुंचने में भारी परेशानी हो रही है। रोड बंद होने की वजह से दूसरे वैकल्पिक रास्तों पर भारी जाम है। इसके अलावा स्कूली बच्चों को दो घंटे पहले घर से निकलना पड़ता है।
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याचिका में यह भी कहा गया था कि कालिंदी कुंज का इलाका दिल्ली NCR को जोड़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस मार्ग के बंद होने की वजह लोगों को DND और अन्य वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जिससे भारी यातायात जाम की स्थिति बन रही है और साथ ही समय-ईंधन की बर्बादी भी हो रही है।
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बता दें कि भरी सर्दी के बावजूद भी शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों के न तो हौसलों में कोई कमी आई है और ना ही उनका जोश ठंडा हुआ है। महिलाओं के प्रदर्शन की वजह से शाहीन बाग का प्रदर्शन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। बीते दिनों प्रदर्शन के दौरान शाहीन बाग में एकता की मिसाल देखने को मिली थी जहां एक ही जगह पर बैठकर सिख समुदाय के लोग कीर्तन कर रहे थे, हिन्दू यज्ञ कर रहे थे, ईसाई कैरल गा रहे थे और मुस्लिम समाज के लोग कुरान ख्वानी कर रहे थे।
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