
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाली जनहित याचिका दायर करने के लिए लखनऊ के एक वकील पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तरह की तुच्छ याचिकाएं दायर करने से न केवल अदालत का बल्कि पूरे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का कीमती समय बर्बाद होता है।
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न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अशोक पांडे के कहने पर मामले को पहले भी दो बार स्थगित किया जा चुका है। अपनी याचिका में, अशोक पांडे ने तर्क दिया था कि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य कानून के तहत अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य रहेगा जब तक वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी नहीं हो जाता।
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बता दें कि पिछले साल अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने 'मोदी उपनाम' मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी थी, यह कहते हुए कि ट्रायल जज ने दो साल की अधिकतम सजा देने के लिए कोई कारण नहीं बताया था। सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद, लोकसभा सचिवालय ने 7 अगस्त 2023 को संसद में उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी।
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अक्टूबर 2023 में न्यायमूर्ति गवई की अगुवाई वाली पीठ ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैज़ल की लोकसभा सदस्यता की बहाली के खिलाफ इसी तरह की याचिका दायर करने के लिए पांडे पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि आप एक वकील हैं और ऐसी तुच्छ याचिकाए दायर कर रहे हैं। आपको ऐसी याचिकाएं दायर करने से पहले दस बार सोचना चाहिए।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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