बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और कैमूर में कथित रूप से जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर कहा कि एक वर्ग को छोड़कर, राज्य के अधिकांश लोग शराबबंदी के पक्ष में हैं। नीतीश कुमार को मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और कैमूर में संदिग्ध जहरीली शराब के कारण हुई मौतों को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज जैसी घटनाएं सख्त प्रतिबंध के बावजूद शराब कारोबारियों और माफियाओं के कारण दूसरे राज्यों में भी हो रही हैं। लोगों को समझना होगा कि शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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मुख्यमंत्री ने कहा, शराब निषेध इकाई और बिहार पुलिस सतर्क हैं और नियमित रूप से हमें जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वो शराब निषेध एजेंसियों की आंख और कान बनें, फोटो खींचे, वीडियो बनाएं और अवैध शराब के बारे में सूचना दें। उन्होंने कहा, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून इतना सख्त है कि अगर कोई सरकारी अधिकारी नशे में पाया जाता है तो हम उसकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
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बता दें कि बिहार में शराबबंदी पर विपक्ष अक्सर सवाल खड़े करता है। विपक्षी पार्टियां इसे असफल बताती रही हैं। उनका कहना है कि शराबबंदी के नाम पर गरीबों पर जुल्म किया जा रहा है। अब राज्य सरकार के पशुपालन एवं मत्स्यपालन मंत्री वीआइपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी बड़ा बयान दे दिया है। शराबबंदी की सफलता पर उन्होंने सवाल खड़े कर दिए हें। उन्होंने कहा है कि शराबबंदी पूरी तरह सफल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह सीएम नीतीश कुमार का ड्रिम प्रोजेक्ट है। इस कारण सात हजार करोड़ के नुकसान के बावजूद भी यह लागू है। आम जनता को जागरूक होने की जरूरत है। वे सहयोग करेंगे तब ही यह कानून पूरी तरह से सफल हो पाएगा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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