नेपाल में हाल ही में बनी अंतरिम सरकार का असर अब भारत-नेपाल सीमा पर साफ दिखाई देने लगा है। शनिवार को रुपईडीहा बॉर्डर से यात्री वाहन, कार, मोटरसाइकिल, पैदल यात्री और मालवाहक ट्रक सामान्य रूप से गुजरते देखे गए। बड़ी संख्या में कारोबारी ट्रक नेपाल में दाखिल हुए, हालांकि आम नागरिकों की आवाजाही अभी भी सीमित रही।
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42वीं बटालियन सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के कमांडेंट गंगा सिंह उडावत ने बताया कि नई सरकार बनने के बाद हालात सामान्य होने लगे हैं। शनिवार को किसी को रोका नहीं गया, लेकिन पहचान की पुष्टि के बाद ही प्रवेश दिया गया। उन्होंने कहा कि सीमा चौकियों से नागरिकों और वाहनों की लगातार निगरानी की जा रही है। आम तौर पर रुपईडीहा बॉर्डर से प्रतिदिन करीब 50,000 लोग गुजरते हैं, लेकिन शनिवार को यह संख्या घटकर करीब 20,000 रह गई। इस दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे करीब 20 भारतीय श्रद्धालुओं का जत्था भी नेपाल की ओर रवाना हुआ।
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पांच दिनों से सीमा पर रुके कारोबारी ट्रकों के ड्राइवर और सहायकों के चेहरों पर शनिवार को राहत झलकी। भूमि बंदरगाह प्राधिकरण के प्रभारी अधिकारी सुधीर शर्मा ने बताया कि सभी फंसे वाहन नेपाल भेज दिए गए, वहीं नेपालगंज में रुके कारोबारी वाहन भी भारत वापस लौट आए। उन्होंने कहा कि रुपईडीहा के एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) से शनिवार को 500 से अधिक कारोबारी वाहन नेपाल गए, जिनमें डीजल, पेट्रोल, गैस और खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएं लदी हुई थीं। सैकड़ों खाली वाहन सामान की आपूर्ति पूरी करने के बाद भारत लौट आए और अब सीमा पर कोई वाहन फंसा नहीं है।
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रुपईडीहा-नेपालगंज बॉर्डर भारत के लिए व्यापारिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है। सुधीर शर्मा ने बताया कि इस सीमा से होने वाला व्यापार लगभग 99 फीसदी निर्यात और केवल 1 फीसदी आयात का है। नेपाल से मुख्य रूप से हर्बल दवाइयों का आयात किया जाता है। शनिवार को भी नेपाल से हर्बल दवाइयों से भरे दो ट्रक भारत पहुंचे।
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नेपाल में हाल ही में हुए बड़े पैमाने पर Gen-Z प्रदर्शनों ने वहां की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया। शुरुआत सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगाने से हुई थी, लेकिन आंदोलन जल्दी ही भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, आर्थिक असमानता और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ गुस्से की आवाज में बदल गया।
डिस्कॉर्ड जैसे प्लेटफॉर्मों पर ऑनलाइन सक्रियता ने इस आंदोलन को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई। 9 सितंबर को हजारों युवा सड़कों पर उतरे, जो हिंसक झड़पों में बदल गया। इन झड़पों में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई और सरकारी और राजनीतिक दलों की इमारतों को नुकसान पहुंचा।
इस अशांति के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। कार्की के नेतृत्व में नई अंतरिम सरकार अब मार्च 2026 में नए चुनाव कराने की जिम्मेदारी संभालेगी।
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