तुर्की और सीरिया की सीमा क्षेत्र में सोमवार सुबह आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या 2,300 से पार चली गई है। बीबीसी ने बताया कि देश की आपदा प्रबंधन एजेंसी के अनुसार, तुर्की में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,498 हो गई है, जबकि सीरिया में यह आंकड़ा 810 पहुंच गया है। भूकंप के कहर से तुर्की और सीरिया के कई प्रभावित शहर मलबे में तब्दील हो गए हैं। शहरों में कई इमारतें, घर पूरी तरह जमींदोज हो गए हैं। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।
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वहीं, विनाशकारी भूकंप के बाद जान बचाने में लगे लोगों को उस समय फिर दहशत ने घेर लिया जब शाम में 24 घंटे के अंदर तीसरा भूकंप आया। इस बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.0 मापी गई। वहीं सोमवार तड़के तुर्की के गाजियांटेप के पास आए विनाशकारी भूकंप की तीव्रता रिक्चर स्केल पर 7.8 रही थी। इस भूकंप ने दोनों देशों को हिलाकर रख दिया और सैकड़ों लोगों की जान ले ली। इस भूकंप की तबाही से लोग अभी संभले भी नहीं थे कि दोपहर करीब 1.30 बजे 7.5 तीव्रता का एक और भूकंप आया। बार-बार भूकंप से लोग दहशत में हैं।
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इस बीच भारत ने आपदा की इस घड़ी में तुर्की के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। तुर्की के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है और दुख की इस घड़ी में वहां के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए हरसंभव सहायता का ऐलान किया है। पीएम मोदी के ऐलान के बाद सरकार ने तुर्की में राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ की दो टीम के साथ चिकित्सकों के एक दल को फौरन वहां भेजने का फैसला लिया है।
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वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी तुर्की और सीरियाई समकक्ष रेसेप तैयप एर्दोगन और बशर अल असद को शोक संदेश भेजा और कहा कि उनकी सरकार मदद के लिए तैयार है। आरटी ने बताया कि आपदा स्थलों पर सहायता के लिए दोनों देशों में रूसी बचाव दल भेजे गए हैं। अजरबैजान, जर्मनी, ग्रीस, भारत, इजराइल, सर्बिया, स्पेन, यूके और अमेरिका जैसे अन्य देशों ने भी मदद की पेशकश की है।
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