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सीरिया का भविष्य सीरियाई लोगों को तय करना है... UN प्रमुख ने तख्तापलट को बताया देश के लिए बड़ा मौका

विद्रोही गुटों ने रविवार को सीरियाई राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद राष्ट्रपति बशर अल असद परिवार के साथ देश छोड़ कर भाग गए। असद और उनका परिवार फिलहाल मॉस्को में हैं और उन्हें रूस ने शरण प्रदान की है।

सीरिया का भविष्य सीरियाई लोगों को तय करना है... UN प्रमुख ने तख्तापलट को बताया देश के लिए बड़ा मौका
सीरिया का भविष्य सीरियाई लोगों को तय करना है... UN प्रमुख ने तख्तापलट को बताया देश के लिए बड़ा मौका फोटोः IANS

सीरिया में तख्तापलट के बाद बशर अल असद शासन के पतन पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि 14 वर्षों के क्रूर युद्ध और तानाशाही शासन के पतन के बाद, सीरिया के लोग एक स्थिर और शांतिपूर्ण भविष्य के निर्माण के लिए ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीरिया का भविष्य सीरियाई लोगों को तय करना है।

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि सीरियाई संस्थाओं में नए सिरे से ऊर्जा भरने और व्यवस्थागत ढंग से राजनीतिक बदलाव लाने के लिए बहुत काम किया जाना बाक़ी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के मुताबिक सीरियाई नारिगक ही सीरिया के भविष्य को तय करेंगे और इस विषय में यूएन के विशेष दूत सभी पक्षों के साथ बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, “बिना किसी भेदभाव के, सभी सीरियाई नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जानी होगी।” उन्होंने कहा कि वह सीरिया को न्याय, आज़ादी, समृद्धि और आपसी मेलमिलाप के मार्ग पर आगे बढ़ाने में सीरियाई नागरिकों के साथ हैं।

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बता दें विद्रोही गुटों ने रविवार को सीरियाई राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया जिसके बाद राष्ट्रपति बशर अल असद परिवार के साथ देश छोड़ कर भाग गए। असद और उनका परिवार फिलहाल मॉस्को में हैं और उन्हें रूस ने शरण प्रदान की है। 59 वर्षीय बशर अल-असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मृत्यु के बाद सीरिया की सत्ता संभाली थी। असद पर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगते रहे हैं, जिनमें युद्ध के दौरान सीरिया में रासायनिक हथियारों का प्रयोग, कुर्दों का दमन और लोगों को जबरन गायब करना शामिल है।

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साल 2011 असद के शासन काल के लिए सबसे अहम साल रहा जब लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों सीरियाई नागरिक सड़कों पर उतर आए, लेकिन उन्हें भारी सरकारी दमन का सामना करना पड़ा। हालांकि सरकार के विरोध में देश में विभिन्न सशस्त्र विद्रोही समूहों का गठन हो गया और 2012 के मध्य तक, सरकार का यह विरोध एक पूर्ण गृह युद्ध में बदल गया।

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