इस्लामाबाद में पीटीआई के नेतृत्व में सरकार विरोधी प्रदर्शन और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई के बाद आरोप-प्रत्यारोप की जंग शुरू हो गई है। एक और जहां सरकार का दावा है कि उसकी कार्रवाई में कोई हताहत नहीं हुआ वहीं पीटीआई अपने कई कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा कर रही है।
26 नवंबर को इस्लामाबाद में मौजूद हजारों पीटीआई प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा की बड़ी कार्रवाई की गई। सरकार का दावा है कि उन्होंने कम से कम 4,185 पीटीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार लोगों पर अब पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी अदालत (एटीसी) में आतंकवाद के आरोप लगाए जाएंगे।
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सूचना मंत्री अट्टा तरार ने दावा किया कि इस्लामाबाद में पीटीआई के विरोध प्रदर्शन को तितर-बितर करने और समाप्त करने के लिए गैर-घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया ।
अट्टा तरार ने कहा, "पीटीआई ने झूठा प्रचार अभियान शुरू किया है, जिसमें दावा किया गया है कि उसके कार्यकर्ता सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए हैं। मैं इस बात की पुष्टि करना चाहता हूं कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने किसी भी तरह के हथियार का इस्तेमाल नहीं किया। पीटीआई सरकार पर झूठा आरोप लगाने की कोशिश कर रही है और गंदी राजनीति कर अपने निहित स्वार्थ को पूरा करने की कोशिश कर रही है।"
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सरकार का दावा है कि इस्लामाबाद में पीटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के दौरान कोई भी हताहत नहीं हुआ।
सूचना मंत्री ने कहा, "पीटीआई का दावा है कि उसके सैकड़ों कार्यकर्ता मारे गए हैं। मैं उनसे पूछता हूं, शव कहां हैं? अस्पतालों में कोई डाटा क्यों नहीं है? पीटीआई एक झूठी कहानी चला रही है कि अस्पतालों को रिकॉर्ड छिपाने के लिए मजबूर किया गया है, जो पूरी तरह से गलत है।"
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दूसरी ओर, इस्लामाबाद विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने कार्यकर्ताओं के हताहत होने की संख्या के बारे में पीटीआई नेताओं द्वारा अलग-अलग दावे किए गए। इसके बाद पीटीआई नेतृत्व ने पुष्टि की कि उसके कम से कम 12 कार्यकर्ता मारे गए, जबकि सैकड़ों अन्य घायल हो गए। पीटीआई ने मौतों की संख्या के सबूत छिपाने की कोशिश करने के लिए सरकार की आलोचना की।
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पीटीआई नेता शेख वकास अकरम ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया, "अब तक विरोध प्रदर्शन के दौरान कम से कम 12 लोग शहीद हो चुके हैं। अधिकारियों ने शुरू में मृतकों के शवों को परिवारों को सौंपने की अनुमति नहीं दी और शवों को तीन दिन बाद ही परिवारों को दिया गया।"
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बता दें 26 नवंबर को इस्लामाबाद में सुरक्षा बलों और पीटीआई समर्थकों के बीच तीखी झड़पें हुईं। यह तब हुआ जब पीटीआई समर्थकों ने पार्टी के ‘अंतिम आह्वान’ के लिए भारी बैरिकेडिंग वाले डी-चौक की ओर कदम बढ़ाया, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए तीव्र आंसू गैस के गोले दागे गए।
सरकार द्वारा देर रात की गई कार्रवाई के बाद पीटीआई के शीर्ष नेतृत्व और समर्थकों को जल्दबाजी में पीछे हटना पड़ा, जिसके बाद पार्टी ने अचानक अपना विरोध आंदोलन स्थगित कर दिया।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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